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Hindi Newsमुंबई 7/11 लोकल ट्रेन धमाका: 5 गुनहगारों को फांसी, 7 को उम्रकैद

मुंबई 7/11 लोकल ट्रेन धमाका: 5 गुनहगारों को फांसी, 7 को उम्रकैद

विशेष मकोका कोर्ट ने बुधवार को 11 जुलाई 2006 के लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में 12 दोषियों में से पांच को फांसी और सात को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इन दोषियों को जुर्माना भी लगया है।...

मुंबई 7/11 लोकल ट्रेन धमाका: 5 गुनहगारों को फांसी, 7 को उम्रकैद
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 30 Sep 2015 08:57 PM
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विशेष मकोका कोर्ट ने बुधवार को 11 जुलाई 2006 के लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में 12 दोषियों में से पांच को फांसी और सात को उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इन दोषियों को जुर्माना भी लगया है।

हालांकि, विशेष सरकारी वकील राजा ठाकरे ने इन दोषियों को मौत का सौदागर बताते हुए 12 में से 8 दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने लोकल ट्रेन में बम रखने वाले पांच दोषियों को ही फांसी की सजा सुनाई है। बचाव पक्ष के वकील शरीफ शेख ने कहा है कि मकोका कोर्ट के इस फैसले को बांबे हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहीं, कई पीडि़तों ने कहा कि नौ साल बाद सुनाए गए इस फैसले से उन्हें राहत मिली है। लेकिन सभी दोषियों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए थी।

इन्होंने लगाए थे बम, मिली मौत की सजा
1.कमाल अहमद अंसारी (37)
2. मोहम्मद फैजल शेख (36)
3. एहतेशाम सिद्दीकी (30)
4. नवीद हुसैन खान (30)
5. आसिफ खान (38)

इन्होंने दिया साथ, मिली उम्रकैद
6. तनवीर अहमद अंसारी (37)
7. मोहम्मद माजिद शफी (32)
8. शेख आलम शेख (41)
9. मोहम्मद साजिद अंसारी (34)
10. मुज्जम्मिल शेख (27)
11. सोहैल महमूद शेख (43)
12. जमीर अहमद शेख (36)

गौरतलब है कि खार रोड-सांताक्रूज, बांद्रा-खार रोड, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरवली के बीच 11 मिनट के अंतराल में लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों से मुंबई दहल गई थी। प्रथम श्रेणी के डिब्बों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 188 लोग मारे गए थे और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

पिछले हफ्ते सजा पर दलीलों को लेकर सुनवाई पूरी हुई थी और विशेष मकोका न्यायाधीश यतिन डी शिंदे ने 30 सितम्बर तक फैसला सुरक्षित रखा था। विशेष न्यायाधीश शिंदे ने लोकल में बम रखने वाले पांच दोषियों कमाल अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दीकी (30), नवीद हुसैन खान (30) और आसिफ खान (38) को मौत की सजा सुनाई जबकि साजिश में शामिल और रेकी करने वाले सात दोषियों तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख  (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुज्जम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43) और जमीर अहमद शेख (36) को उम्र कैद की सजा दी गई है।

सभी दोषियों के प्रतिबंधित संगठन सिमी से कथित संबंध रहे हैं। ये सभी भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक अधिनियम, गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम, भारतीय रेलवे अधिनियम और मकोका के प्रावधानों के तहत दोषी पाए गए हैं। अदालत ने सभी 12 आरोपियों को मकोका की धारा 3 (1) (आई) के तहत भी दोषी पाया है। पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादी आजम चीमा समेत 13 पाकिस्तानी नागरिक इस मामले में अभी भी फरार हैं।

इन 12 दोषियों ने अदालत में सजा सुनाए जाने से पहले पत्र लिखकर धमाके के पीडि़त परिवारों से मदद की गुहार लगाई थी। जेल में बंद सभी 12 दोषियों ने पत्र लिखकर कहा कि जिस तरह आप धमाके के पीडि़त हैं वैसे ही हम सिस्टम के पीडि़त हैं। हमें न्याय दिलाने में मदद कीजिए।
दोषियों को कानूनी लड़ाई में सहयोग करने वाली मुस्लिम संस्था के सेक्रेटरी गुलजार आजमी ने भी अदालत परिसर में पत्रकारों से कहा कि अदालत ने जिन आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाई है वे सब निर्दोष हैं। बांबे हाई कोर्ट ने इससे पहले भी कुछ मामलों में निचली अदालत के फैसले को बदला है। इसी उम्मीद के साथ मकोका अदालत के फैसले के खिलाफ बांबे हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।

इधर अदालत के फैसले पर धमाके के पीडि़त रमेश नाईक ने कहा कि उन्हें देर से न्याय मिला है। लेकिन सभी आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी। अदालत में यह साबित हुआ है कि वे दोषी हैं और उन्हें कठोर सजा मिलनी चाहिए ताकि उन्हें दर्द का एहसास हो।

वहीं तत्कालीन एटीएस प्रमुख केपी रघुवंशी ने कहा कि ये पूरा का पूरा केस पिछले नौ सालों से चल रहा था। इतने लंबे ट्रायल के बाद आज 5 को फांसी की सजा दी गई है। हमारी पूरी टीम को इस बात का समाधान है कि हमारी टीम ने जो भी तथ्य रखे थे कोर्ट ने उस पर यकीन किया है। एक पाकिस्तानी इसमें मारा गया था, बाकी जो भी लोग थे वे 24 घंटे में ही यहां से निकल कर चले गए। हमें खुशी होती अगर वे लोग भी पकड़े जाते। उन्होंने कहा कि पीडि़तों को देर से न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि दोषियों की तरफ से इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी सकती है। यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है।

इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने भी मकोका कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि अदालत के इस फैसले से न्याय व्यवस्था पर विश्वास बढ़ा है।

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