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व्यापमं की कत्लगाह

मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल या व्यापमं घोटाले से संबंधित जिन लोगों की मौत हुई है, उनकी तादाद को लेकर कुछ मतभेद हैं, लेकिन किसी घोटाले से संबंधित इतने सारे लोगों का मरना मात्र संयोग नहीं हो...

व्यापमं की कत्लगाह
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 06 Jul 2015 08:49 PM
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मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल या व्यापमं घोटाले से संबंधित जिन लोगों की मौत हुई है, उनकी तादाद को लेकर कुछ मतभेद हैं, लेकिन किसी घोटाले से संबंधित इतने सारे लोगों का मरना मात्र संयोग नहीं हो सकता, जैसा कि मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी से संबंधित कुछ लोग दावा कर रहे हैं। यह भी लग रहा है कि लोगों को इस तरह मरने से बचाने और व्यापमं घोटाले की जांच करने का काम विशेष जांच दल एसआईटी से उतनी चुस्ती और काबिलियत के साथ नहीं किया जा रहा है, जिससे कि आम जनता को उस पर विश्वास हो सके। ऐसे में, मध्य प्रदेश सरकार के लिए जरूरी है कि मामले की गंभीरता को समझे और खुद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए पहल करे। अब तक मध्य प्रदेश सरकार का रवैया मामले की गंभीरता को कम आंकने और इस पर चलताऊ अंदाज में एसआईटी की जांच का हवाला देने का है। अगर किसी घोटाले में सालों तक हजारों छात्रों को अवैध रूप से उच्च शिक्षा में प्रवेश या सरकारी नौकरी दिलाई गई हो और आए दिन उससे संबंधित कोई व्यक्ति मर रहा हो, तो यह छोटे-मोटे भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी का मामला नहीं है। इसमें अब तक भाजपा सरकार के एक पूर्व वरिष्ठ मंत्री, कई अन्य बड़े और रसूखदार लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, प्रदेश के राज्यपाल पर भी आरोप हैं।

इस हिसाब से शायद यह स्वतंत्र भारत के इतिहास के बड़े घोटालों में से है और इसने मध्य प्रदेश सरकार की अपनी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। यह सब उन आम छात्रों की कीमत पर हुआ है, जिनके पास न बड़ी मात्रा में पैसा है और न ही कोई रसूख है, उसके पास एकमात्र रास्ता अपनी मेहनत के जरिये प्रतियोगी परीक्षाओं में पास होकर उच्च शिक्षा या नौकरी पाना है। मेहनत और लगन के जरिये बेहतर स्थिति पाने का रास्ता काफी लोगों को अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार हुआ करता था। व्यापमंघोटाले ने आम छात्र के लिए उपलब्ध इस एकमात्र रास्ते की विश्वसनीयता भी खतरे में डाल दी है। अगर व्यावसायिक परीक्षाओं में भी रिश्वत या रसूख के सहारे बड़े पैमाने पर धांधलेबाजी हो रही हो, तो यह हमारी व्यवस्था की जड़ें खोखली होने के लक्षण हैं।

ऐसा नहीं है कि धांधलेबाजी सिर्फ मध्य प्रदेश में है, इन दिनों किसी भी राज्य या संस्थान की प्रतियोगी परीक्षाओं को संदेह से परे नहीं माना जा सकता, लेकिन मध्य प्रदेश में इस धांधलेबाजी का आकार-प्रकार चौंकाने वाला है। इसके बाद अगर इस घोटाले से जुड़ी आधी मौतों को भी संदेहास्पद मानें, तो भी इससे पता चलता है कि घोटाले के सूत्रधार कितने ताकतवर और क्रूर हैं। और इतना सब होने के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार जिस तरह से अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ रही है, उससे जनता में अच्छा संदेश नहीं जाता।

अब सिर्फ मध्य प्रदेश सरकार को नहीं, सारी सरकारों को अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता फिर से कायम करने के लिए जुट जाना चाहिए। एआईपीएमटी की परीक्षा इस साल रद्द हो ही चुकी है। एकाध बार एम्स की स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा में भी धांधलेबाजी पकड़ी गई है। हर शहर में ऐसे दलाल आसानी से मिल जाते हैं, जो किसी भी परीक्षा में पास करवाने का दावा करते हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले दिनों में हमारा प्रतियोगी परीक्षाओं का सारा तंत्र मजाक बन कर रह जाएगा और डिग्रियों की कोई कीमत नहीं रह जाएगी। किस तरह के खूंखार और संगठित अपराधी इस तंत्र में सक्रिय हैं, इसका प्रमाण व्यापमं घोटाला है। सरकार को सचेत होने के लिए और कितना बड़ा झटका चाहिए?

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