अच्छे दिनों की ठोस शुरुआत
उद्योग से लेकर खेती-किसानी तक छाए निराशा और हताशा के स्याह बादलों के बीच केंद्र की सत्ता के क्षितिज पर उजाले के उद्घोष के साथ उभरे नरेंद्र मोदी के सामने चुनौतियां भी कुछ अलग तरह की थीं। लोगों की...
उद्योग से लेकर खेती-किसानी तक छाए निराशा और हताशा के स्याह बादलों के बीच केंद्र की सत्ता के क्षितिज पर उजाले के उद्घोष के साथ उभरे नरेंद्र मोदी के सामने चुनौतियां भी कुछ अलग तरह की थीं। लोगों की उम्मीदें आसमान पर थीं और एक बार फिर उन्होंने अच्छे कल के सपने संजोने शुरू कर दिए थे। नरेंद्र मोदी के लिए यही सबसे बड़ी कसौटी थी। बहरहाल, इन सौ दिनों में मोदी सरकार ने यह तो दिखा दिया है कि उसके पास लीक से हटकर चलते हुए इच्छित लक्ष्यों को पाने की प्रतिबद्धता है और वह एक-एक कर अपने तमाम वादों को पूरा करने का हौसला भी रखती है। इसी का नतीजा है कि लोगों को लगने लगा है कि वाकई अच्छे दिन आने वाले हैं।
नई दिल्ली, रामनारायण श्रीवास्तव
अच्छे दिन आने के वादे और सबका साथ-सबका विकास के मूल मंत्र पर चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले100 दिन का कोई लक्ष्य तो तय नहीं किया था, लेकिन उसके खाते में खासी उपलब्धियां है। काले धन के खिलाफ एसआईटी गठन से शुरुआत करने वाली सरकार प्रधानमंत्री जन धन योजना के जरिए गांव व गरीब के घर तक पहुंच गई है। अर्थव्यवस्था ने भी अंगड़ाई ली है और सकल घरेलू उत्पाद की दर ढाई साल बाद 5.7 फीसद तक जा पहुंची है। हालांकि सरकार के अंदरुनी विवाद ने इस जश्न को किरकिरा किया है।
दस बड़े फैसले
सौ दिन में दस बड़े फैसले लेकर सरकार ने अपने कामकाज की छवि बनाई है। काम संभालन के पहले ही दिन कालेधन पर एसआईटी बनाकर उसने अपने फैसलों की शुरुआत की थी। इसके बाद महंगाई रोकने के लिए खाद्य पदार्थो की राष्ट्रीय ग्रिड बनाने की घोषणा, न्यापालिका में सुधारों के संकेत देते हुए नियुक्तियों के लिए न्यायिक आयोग का गठन, योजना आयोग को भंग करना, गंगा सफाई अभियान की शुरुआत, दो अक्टूबर से शुरू होेने जा रहा निर्मल भारत अभियान, आन लाईन पर्यावरण मंजूरी, नौकरशाही पर अंकुश, प्रधानमंत्री जन धन योजना व विदेश नीति के मुद्दे पर यूरोप-अमेरिका की तरफ भागने के बजाए पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने के चीन व पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाना शामिल है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का मानना है कि इस सबसे आम जनता में विश्वास का माहौल है, लोग मान रहे हैं कि काम हो रहा है। सरकार द्वारा किए जा रहे कार्य उसकी कामयाबी को बयां कर रहे हैं।
कुछ कड़े कदम
मोदी सरकार इन सौ दिनों में कई बड़े व कड़े निर्णय लिए। परिणामस्वरूप नौकरशाही पर अंकुश लगा है और सरकार के मंत्री दिन-रात काम कर रहे है। नाते-रिश्तेदार सरकार से दूर है और मंत्रियों से लेकर अफसरों तक के सैर सपाटे बंद है। मंत्रियों के कामकाज ही नहीं उनकी गतिविधियों पर भी प्रधानमंत्री की नजर है।
महंगाई बड़ी चुनौती
मोदी सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र से लेकर राष्ट्रपति के अभिभाषण, वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले बजट व लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के संबोधन में की गई घोषणाओं पर अमल शुरू कर चुकी है। केवल महंगाई का मोर्चा ही कुछ कमजोर है, लेकिन वहां भी अब हालात सुधरते दिखने लगे है। विरोधियों के पास महंगाई ही एक ऐसा हथियार है जिस पर सरकार के खिलाफ कुछ सवाल खड़े हो रहे है। हालांकि भाजपा नेता इन सवालों को पूरी तरह खारिज कर रहे है। उनका कहना है कि मोटे तौर महंगाई नियंत्रण में है। कहीं कम हुई है और कहीं बढ़ी है।
कुछ महीनों में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में होगी।
पीएम का जनता से सीधा संवाद जारी
सरकार के सौ दिन के दौरान सबसे खास बात यह है कि प्रधानमंत्री का जनता से सीधा संवाद जारी है। प्रधानमंत्री के सरकारी कार्यक्रमों में भी चुनावी सभाओं की तरह का आलम होता है। मोदी-मोदी के नारों में विरोधी दलों के मुख्यमंत्री मंच छोड़ रहे हैं। हालांकि हाल के उपचुनावों में लगे झटके से भाजपा नेतृत्व के माथे पर सलवटें पड़ी हैं। लेकिन मोदी आश्वस्त हैं। उनके विश्वस्त व प्रबंधन कौशल के माहिर अमित शाह के हाथों में पार्टी की कमान ऐसे में सत्ता व संगठन के बीच बेहतर तालमेल है। वाजपेयी सरकार के समय कार्यकर्ताओं की नाराजगी से सबक सीखते हुए मजबूत समन्वय तंत्र बनाया गया है। सरकार के मंत्री पार्टी कार्यालय में आकर कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुन रहे है। उनके कामों की सूची हर सप्ताह प्रधानमंत्री व संबंधित मंत्रियों तक पहुंच रही है।
मनमोहन सरकार नहीं पूरा कर पाई थी एजेंडा
9 अगस्त 2009 को मनमोहन सिंह सरकार के 100 दिन पूरे किए थे। मनमोहन सिंह सरकार ने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत बहुत तेजी से की थी। चुनाव नतीजों से खासी उत्साहित सरकार लक्ष्य और समय तय करके काम करना चाहती थी। लिहाजा 100 दिनों का एजेंडा तय किया गया ताकि कामकाज का हिसाब किताब सालों में नहीं बल्कि दिनों में किया जाए।
वादे जो रहे अधूरे
- सरकार ने सत्ता में आते ही 100 दिनों में देश की जनता को महंगाई से राहत दिलाने की बात कही थी। पर तीन महीने में जनता को महंगाई से राहत नहीं मिल सकी।
- यूपीए-2 में राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने कहा था कि 100 दिनों में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ।
- 5 सालों में देश से झुग्गी झोपड़ी खत्म करने और बीपीएल परिवार को 3 रुपए किलो की दर से 25 किलो अनाज हर महीने देने जैसी बातें भी सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर थीं।
- यूपीए 2 के शुरुआती काल में ही देश के 11 राज्यों के 278 जिलों सूखा पड़ गया। सरकार सूखा प्रभावित इलाकों में फौरी राहत पहुंचाने में नाकाम रही।
वादा जो पूरा हुआ
पंचायतों और नगरपालिकाओं में 50 फीसदी आरक्षण मिलेगा। नरेगा पर निगरानी के लिए जिला स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति होगी। सरकार ने पंचायतों में 50 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी देकर अपना एक अहम वायदा पूरा कर दिया।
२६ मई को ली थी शपथ
सुशासन सबसे बड़ी प्रथमिकता
26 मई को नरेंद्र मोदी ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पीएम मोदी ने अपने 100 दिन के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इनका असर धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी की प्राथमिकता सुशासन यानी गुड गवर्नेंस की रही है।
तेजी से लिए गए फैसले
- 10 जून को सरकारी कामों के लिए राजपत्रित अधिकारियों से दस्तावेजों अटेस्ट कराने का झंझट खत्म किया।
- 1950 में गठित ऐतिहासिक योजना आयोग की भंग कर उसकी जगह एक नया रचनात्मक संस्थान बनाने का ऐलान।
- 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत। हर परिवार के लिए बैंक खाते खोलवाने की हुई शुरूआत जिससे बैंकिंग का लाभ गरीब परिवारों को भी मिले।
- 1.84 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले गए एक ही दिन में।
- 62 मंत्रिसमूह और ईजीओएम थे मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में, लेकिन सभी को खत्म कर दिया
वाराणसी और गंगा
- 2,037 करोड़ रुपये के आवंटन गंगा सफाई के लिए। साथ ही गंगा संरक्षण मिशन ‘नमामि गंगे’ की शुरुआत।
- शहरी विकास मंत्रालय ने सांस्कृतिक नगरी वाराणसी शहर के विकास के लिए प्लान तैयार किया।
- वाराणसी में बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा। शहर में मेट्रो या मोनो रेल चलाने के लिए स्टडी।
- काशी के गंगा घाटों को हरिद्वार के तर्ज पर विकसित करने के लिए हेरिटेज डेवलपमेंट आगमेंटेशन प्लान से मिलेगा धन।
वित्तीय मामले
- 500 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरता कोष गठित जिससे महंगाई पर रोक लगाई जा सके।
- 2.5 लाख तक की आय पर नागरिकों को नहीं देना होगा आय कर।
- 49 फीसदी की गई बीमा और रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर।
- बैंक खातेदारों को इंटरनेट के बिना भी मोबाइल बैंकिंग की सुविधा का ऐलान।
- काले धन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की अंतरिम रिपोर्ट विदेशों में काले धन की जांच के काम में प्रगति को माना।
- 1,000 रुपये न्यूनतम मासिक पेंशन -ईपीएफओ अंशधारकों के लिए। मासिक वेतन की उच्चतम सीमा 6,500 से बढ़ाकर 15,000 हुआ।
गांव- किसान
- 1.50 लाख ग्रमीण भूमिहीनों को आवास के लिए वित्तीय सहायता राशि देने की सिफारिश की ग्रामीण विकास मंत्रालय ने
- 2022 तक सबके लिए घर के लक्ष्य के तहत राष्ट्रीय आवास बैंक के लिए 4000 करोड़ रुपये का प्रावधान।
- 1000 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ किसानों के लिए प्रधानमंत्री कृषि संचयी योजना।
- अनाज की आर्थिक लागत तय करने को कमेटी गठित
- भूमि अधिग्रहण बिल में सुधार के प्रयास। इस एक्ट से उद्योगपतियों और किसानों को होती है परेशानी।
- डिजिटल इंडिया के तहत ग्रामीण स्तर पर शिक्षा और टेली मेडिसिन जोड़ने के लिए ब्रॉडबैंड योजना की शुरुआत।
- हर सांसद को अपने क्षेत्र के एक गांव को 2016 तक आदर्श गांव के रूप में बनाने का लक्ष्य।
आधारभूत ढांचा
- 100 फीसदी रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर में और डिफेंस में 49 फीसदी एफडीआई को मिली मंजूरी।
- अहमदाबाद से मुंबई के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा।
- 1988 के मोटर वाहन अधिनियम का स्थान लेगा नया सड़क यातायात अधिनियम
- 100 स्मार्ट सिटीज की स्थापना के लिए बजट में 7060 करोड़ रुपये के फंड का एलान।
- 2 लाख करोड़ रुपये के इन्फ्रा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी।
- 1000 करोड़ पूर्वोत्तर में रेल संपर्क बढ़ाने के लिए
- 14 हाइवे प्रोजेक्ट की शुरुआत जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र समेत दस राज्यों में
- महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में नई बिजली परियोजनाओं के लिए रखी गई बुनियाद।
- मुंबई मेट्रो और वैष्णो देवी रेल परियोजना की शुरुआत, कटरा तक रेल परिवहन शुरू।
- सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह पर मल्टी प्रोजेक्ट सेज की बुनियाद रखना।
कानूनी और प्रशासनिक सुधार
- पर्यावरण मंजूरी के लिए ऑनलाइन सेवा की शुरुआत।
- उच्च न्यायपालिका में जजों की पारदर्शी नियुक्त के लिए जूडिशरी बिल पास।
- जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 में बदलाव होगा, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड तय करेगा किशोरों पर केस चलाना।
- लेबर कानून में बड़े सुधारों के लिए कैबिनेट की तरफ पेश प्रस्ताव।
- नए कानून ला आरटीओ दफ्तर खत्म किया जाएगा। संसद के अगले सत्र में पेश होगा मोटर वाहन संशोधन विधेयक।
- मंत्रियों के रिश्तेदारों को पर्सनल स्टाफ में रखने और कांट्रेक्ट परिचितों को देने पर रोक।
- मंत्रालयों में हफ्ते में 6 दिन होगा काम, कड़े नियम के तहत सुबह 9 बजे पहुंचना होगा दफ्तर।
महंगाई रोकने के उपाय
- एफसीआई में उच्चे स्तररीय समिति बनाई, प्याज और आलू के एक्सपोर्ट को रोकने के लिए एमईपी बढ़ाई।
- 8.59 फीसदी रही रिटेल महंगाई दर। मई में घटकर 8.28 फीसदी और जून में 7.31 फीसदी।
- निर्माण के जरिए युवाओं को रोजगार अवसर के लिए मैक इन इंडिया का ऐलान।
- मंत्रियों को एक लाख से ज्यादा के खर्च पर अब पीएमओ से लेनी होगी अनुमति।
- हर महीने एक सिलेंडर की जगह सालभर में कभी भी 12 सिलेंडर लेने की अनुमति।
- 50 लाख टन चावल की अतिरिक्त आपूर्ति होगी राज्यों को
- अनाज की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए खुले बाजार में आवंटन
रक्षा-विदेश मामले
- कश्मीरी अलगाववादियों से संपर्क रखने के कारण पाकिस्तान के साथ सचिव स्तर की वार्ता रद्द करना।
- समुद्री सीमा सुरक्षा दुरुस्त करने के लिए सेना को आईएनएस कोलकाता और आईएनएस कमोर्ता सौंपना।
- अमेरिका की कोशिशों के बावजूद सब्सिडी समझौते पर दस्तखत नहीं करना।
- 17 साल बाद नेपाल यात्रा में नेपाल को मदद का ऐलान। सार्क देशों से बने बेहतर संबंध।
- 100 अरब डॉलर के ब्रिक्स बैंक की स्थापना का फैसला।
महंगाई बढ़ाने वाले फैसले
- 25 जून 2014 से रेल यात्रा किराया में 14 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई
- 22 अगस्त को चीनी पर आयात शुल्क बढ़कर 15 से 25 फीसदी होने से खुदरा बाजार में चीनी के बढ़े दाम