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मंगल मिशन के बाद अब मानव मिशन को भी लगेंगे पंख

मंगल मिशन के सफलता के करीब पहुंचने के बाद भारत अब चांद पर रोबोट उतारने और अंतरिक्ष में मानव भेजने के कार्यक्रमों पर तेजी से आगे बढ़ेगा। इन दो मिशनों पर आगे बढ़ने के लिए इसरो को मंगल मिशन की सफलता का...

मंगल मिशन के बाद अब मानव मिशन को भी लगेंगे पंख
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 24 Sep 2014 07:41 AM
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मंगल मिशन के सफलता के करीब पहुंचने के बाद भारत अब चांद पर रोबोट उतारने और अंतरिक्ष में मानव भेजने के कार्यक्रमों पर तेजी से आगे बढ़ेगा। इन दो मिशनों पर आगे बढ़ने के लिए इसरो को मंगल मिशन की सफलता का बेसब्री से इंतजार है। मिशन मंगल में इसरो ने अभी तक अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं का शानदार प्रदर्शन किया है। माना जा रहा है कि इसके बाद इसरो के लिए चंद्रयान-2 और अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजना ज्यादा कठिन लक्ष्य नहीं रह गया है।

लाल ग्रह के करीब पहुंच चुके मंगलयान के इंजन को चालू करने का परीक्षण सफल रहा है। इसरो के लिए यह सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि करीब तीन सौ दिन से बंद पड़े इंजन को 21.5 करोड़ किलोमीटर की दूरी (रेडियो डिस्टेंस) से कमांड देकर चालू करना था। उम्मीद है कि अब 24 सितंबर को इसे पुन: चालू कर मंगलयान को सफलतापूर्वक लाल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। इसके बाद इसरो के वैज्ञानिक अब नए अभियानों के लिए कमर कसेंगे।

चंद्रयान-2 के निर्माण का काम प्रगति पर
अंतरिक्ष विभाग के अनुसार, मंगल मिशन के बाद इसरो का अगला कदम चांद पर रोबोट उतारने का है। चंद्रयान-2 का निर्माण प्रगति पर है। लैंडर और रोवर के परीक्षण शुरू हो गए हैं। चंद्रयान-2 चांद के चारों ओर चक्कर लगाएगा और लैंडर की मदद से एक रोबोटनुमा उपकरण रोवर चांद की सतह पर उतरकर आंकड़े एकत्र करेगा।

2017 के बाद अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने पर जोर
अंतरिक्ष विभाग के सूत्रों के अनुसार मंगलयान की अब तक की सफलता से अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत का आत्मविश्वास बढ़ा है। इसलिए अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की योजना पर अमल की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। इसके लिए इसरो ने पहले ही जरूरी अध्ययन कर लिए हैं। 2017 के बाद इस मिशन पर कार्य शुरू होगा और 2020 में इसरो अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजेगा।

पहले चरण में इन्हें करीब 500 किलोमीटर की ही दूरी तक धरती की निचली कक्षा में मानव मिशन भेजा जाएगा और उसके बाद यह दायरा बढ़ाया जाएगा। इस योजना पर करीब 12 हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान व्यक्त किया गया है।

सूर्य का अध्ययन करेगा आदित्य-1
इसके साथ ही इसरो सूर्य के इर्द-गिर्द भी अपना एक उपग्रह आदित्य-1 भेजने की योजना बना रहा है। इसका मकसद सौर ऊर्जा और सौर हवाओं पर अध्ययन करना है। इस मिशन में भी अब तेजी आएगी।

कक्षा में पहुंचते ही चालू हो जाएंगे उपकरण

लिमन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी)
यह उपकरण मंगल के ऊपरी वायुमंडल में ड्यूटेरियम एवं हाइड्रोजन कणों की किसी भी रूप में मौजूदगी या इनकी किसी प्रक्रिया का पता लगाने में मदद करेगा। उपकरण में लगे अत्याधुनिक लेंस ऐसे कणों को खोज कर मुख्य नियंत्रण कक्ष को संदेश भेजते हैं।

मीथेन सेंसर फॉर मार्स (एमएसएम)
यह उपकरण विशेष रूप से मीथेन गैस का पता लगाने के लिए है। मीथेन जो कार्बन के एक और हाइड्रोजन के चार अणुओं का मिश्रण है, उसका अरबवां हिस्सा भी यदि मंगल के वातावरण में मौजूद हुआ तो यह उपकरण उसका पता लगा लेगा।

मार्स एक्सोफेरिक कंपोजिसन एक्सोप्लोरर (एमईएनसीए)
यह उपकरण यह पता लगाएगा कि मंगल के ऊपरी वायुमंडल की प्राकृतिक संरचना कैसी है। यदि वहां हाइड्रोजन, मीथेन आदि नहीं भी है तो क्या है। मूलत यह मंगल पर मौजूद किसी भी प्राकृतिक संघटकों का पता लगाने का कार्य करेगा।

मार्स कलर कैमरा (एमसीसी)
सतह का मानचित्रण करेगा। इस कैमरा से अधिकतम 50 गुणा 50 किमी दायरे के चित्र लिए जा सकते हैं। जबकि न्यूनतम 25 मीटर के दायरे में इसका किसी बिन्दु पर फोकस करके भी यह कैमरा चित्र ले सकता है। इस प्रकार सतह की स्थिति को समझने में मदद मिलेगी।

टीआईआर इमेजिंग स्पेक्टोमीटर
मंगल की सतह पर खनिजों का पता लगाना। उपकरण से निकलने वाली  खास किरणें मंगल की सतह में गहराई तक जाकर यह पता लगाएंगी कि वहां किस किस्म के खनिज भंडार छुपे हो सकते हैं।

मंगलयान की आगे की चुनौती

1. 24 सितंबर को पुन इंजन को चालू किया जाएगा और फिर इसरो के वैज्ञानिक कमांड देकर पहले इसकी गति कम करेंगे और फिर इसे लालग्रह की कक्षा में प्रवेश कराएंगे। इस मामले में असली चुनौती इंजन के चालू होने की थी जो अब साफ है कि इंजन सही स्थिति में है। इसलिए इंजन को पुन: चालू करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

2. दूसरी चुनौती इसे कमांड देकर इसे लालग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में स्थापित करना है। नासा की मदद से इसरो इस कार्य को अंजाम देगा। नासा इस कार्य को कई बार अंजाम दे चुका है, इसलिए मुश्किल नहीं होगी।

3. इसके बाद यान में लगे पांच उपकरणों को कमांड देकर चालू करना होगा, ताकि उनसे आंकड़े बंगलुरु के ब्यालालू स्थित नियंत्रण कक्ष को प्राप्त हो सकें।

4. मंगलयान के आंकड़ों का विश्लेषण और उनका सही नतीजा निकालने की प्रक्रिया भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। क्योंकि पहले अभियानों में परछाई की तस्वीरों को पानी समझ लिया गया।

मोदी देखेंगे ऐतिहासिक क्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार सुबह करीब 7:30 बजे यान को मंगल की कक्षा में प्रवेश करते हुए खुद देखेंगे। वह बंगलुरु के ब्यालालु कमांड सेंटर में मौजूद रहेंगे।

मंगलयान के कुछ अहम दिन

05 नवंबर 2013 को प्रक्षेपित

01 दिसंबर को पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र से बाहर

11 दिसंबर 2013 को पहली बार प्रक्षेप पथ ठीक किया गया

11 जून 2014 को दूसरी बार प्रक्षेप पथ ठीक किया गया

14 सितंबर को अंतरिक्षयान की कमांड अपलोड की गईं

22 सितंबर को मंगल के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करेगा यान

24 सितंबर को मंगल की कक्षा में सुबह 7.30 बजे प्रवेश

मिशन की सफलता से बढ़ेगी भारत की धाक

- इससे भारत ने सुदूर अंतरिक्ष में पहुंचने की अपनी क्षमता हासिल की है। अभी तक भारत की उपस्थिति निचले अंतरिक्ष में ही पहुंचने तक सीमित थी।

- भविष्य में कभी मंगल पर मीथेन, हाइड्रोजन और अन्य खनिजों के भंडार मिलते हैं तो उस पर अमेरिका, रूस, यूरोप के साथ भारत की भी दावेदारी होगी।

- युवा वैज्ञानिकों में यह मिशन अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में जबरदस्त उत्साह पैदा करेगा। बच्चों में विज्ञान पढ़ने की ललक बढ़ेगी और शोध पर भी ध्यान बढ़ेगा।

- देश में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास होगा। भारत विदेशी उपग्रह बनाने और प्रक्षेपण का कार्य तेज करेगा। इससे इसरो की आय भी बढ़ेगी।

- अगले दो-चार सौ सालों में कभी मंगल पर आबादी बसने की राह खुली तो भारत के लिए वहां अपनी कालोनियां बसाना संभव होगा।

मैवेन भी मंगल की कक्षा में पहुंचा

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मंगल ग्रह का एक और अभियान सफल रहा। सोमवार की सुबह मंगल की कक्षा में प्रवेश के साथ ही नासा के अंतरिक्ष यान मैवेन ने ग्रह का चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। यह मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन करने वाला अपने किस्म का पहला यान होगा। मैवेन की वैज्ञानिक टीम के जॉन क्लार्क ने कहा, मंगल एक ठंडी जगह है, परंतु वहां ज्यादा वायुमंडल नहीं है। वहां वायुमंडल, हमारे वायुमंडल से करीब आधा है जिसमें हम अभी सांस ले रहे हैं।

छह थ्रस्टर दागे गए
मार्स एटमॉस्फीयर एंड वॉलेटाइल एवोल्यूशन(मैवेन) के छह रॉकेट थ्रस्टर दागकर 5.72 किमी प्रति सेकेंड से 4.47 किमी प्रति सेकेंड की गति पर लाया गया। नासा के गोडार्ड स्पेस सेंटर में विज्ञान क्षेत्र के उप निदेशक कोलीन हार्टमैन ने कहा कि मैवेन पता लगाएगा कि कैसे ग्रह के ऊपरी वायुमंडल से सौर हवाएं परमाणुओं और अणुओं को उड़ा ले गईं।

पता लगाएगा कैसे गायब हुआ पानी
मैवेन लाल ग्रह की जलवायु में आए परिवर्तनों का अध्ययन करने गया है। यह उपग्रह तथ्य जुटाएगा कि अरबों साल पहले मंगल की सतह पर मौजूद पानी और कार्बन डाइआक्साइड का क्या हुआ। मैवेन पता लगाएगा कि किस प्रकार मंगल समय बीतने के साथ गर्म और नमी के वातावरण से ठंडे और शुष्क जलवायु वाले ग्रह में बदला।

खोजी दल का सातवां सदस्य होगा मंगलयान
मैवेन के पहले नासा के दो अन्य आर्बिटर, दो रोवर और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक आर्बिटर मंगल की जलवायु, वायुमंडल और संरचना की थाह में लेने में जुटे हैं। मंगल की कक्षा में प्रवेश करने की ओर बढ़ रहा मंगलयान इस खोजी दल का सातवां सदस्य होगा। नासा का क्यूरॉसिटी रोवर अभी मंगल के गेल क्रेटर और माउंट शार्प की चट्टानों की संरचना का अध्ययन कर रहा है।

मैवेन बनाम मंगलयान

नासा का मैवेन
18 नवंबर को प्रक्षेपित
10 माह 04 दिन की यात्रा
71.1 करोड़ किमी यात्रा
33 मिनट तक हुआ इंजन परीक्षण
7.55 बजे (22 सितंबर) को कक्षा में पहुंचा
01 वर्ष मिशन की अवधि
4026 करोड़ रुपये लागत
386 गुना 44600 किमी की कक्षा में घूमेगा

इसरो का मंगलयान
05 नवंबर को प्रक्षेपित
10 माह 19 दिन यात्रा
66.6 करोड़ किमी यात्रा
24 मिनट तक होगा इंजन परीक्षण
7.30 बजे (बुधवार सुबह) कक्षा में जाएगा
06 माह मिशन की अवधि
450 करोड़ रुपये लागत
372 गुना 80 हजार किमी की कक्षा में घूमेगा

मंगल पर मानव को भेजने का अहम पड़ाव
अगर मैवेन कभी मंगल पर कभी मौजूद रहे जलस्नोतों के बारे में आंकड़े जुटा पाया तो यह इस ग्रह पर मानव को भेजने के मिशन की दिशा में अहम पड़ाव साबित होगा। इससे उन परिस्थितियों और विकल्पों को खोजने में मदद मिलेगी कि मानव वहां कैसे खुद को जिंदा रख सकता है। नासा ने वर्ष 2030 में इस ग्रह पर मानव को भेजने की योजना बनाई है।

लाल ग्रह की कैसे  होगी निगरानी

- बेंगलुरु के बयालू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क से नजर
- नासा के फ्लोरिडा के जेट प्रोपल्शन सेंटर के वैज्ञानिक रखेंगे नजर
- कैनबरा और मैड्रिड में नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से रहेगा संपर्क

आखिरी क्षण बेहद अहम

- कक्षा में प्रवेश करते वक्त दूरी, गति की सटीक स्थित जानना अहम
- मंगलयान के बारे में इसरो और नासा के आंकड़ों एक जैसे पाए गए

नासा ने शुरू की 20 हजार डॉलर की प्रतियोगिता
मंगल के वातावरण में प्रवेश करने वाले अंतरिक्ष यान को जरूरी वजन संतुलन मुहैया कराने में मददगार विज्ञान और तकनीक के छोटे उपकरणों का खाका तैयार करने वालों के लिए नासा ने 20,000 डॉलर का इनाम घोषित किया है। इसके लिए प्रविष्टियां 21 नवंबर तक भेजी जा सकेंगी। विजेता की घोषणा जनवरी 2015 के मध्य में होगी।

 

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