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गंगा सफाई का काम 45 दिन में शुरू होगाः उमा भारती

सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि गंगा नदी की सफाई का काम 45 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा और 140 नालों से गंदगी की नदी में निकासी पर रोक और तटों पर हरियाली लगाने से यह काम प्रारंभ किया...

गंगा सफाई का काम 45 दिन में शुरू होगाः उमा भारती
एजेंसीMon, 27 Oct 2014 06:49 PM
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सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि गंगा नदी की सफाई का काम 45 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा और 140 नालों से गंदगी की नदी में निकासी पर रोक और तटों पर हरियाली लगाने से यह काम प्रारंभ किया जाएगा।  

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया। उन्होंने बताया कि गंगा के प्रवाह वाले राज्यों के सहयोग से गंगा की स्वच्छता के तात्कालिक एवं मध्यम कालिक उपायों का क्रियान्वयन 45 दिन के अंदर शुरू हो जाएगा। 

बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के सिंचाई मंत्री शामिल हुए। जबकि केन्द्र सरकार की ओर से सड़क, नौवहन एवं ग्रामीण विकास मंत्री नितिन गडकरी, वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह भी मौजूद थे। 

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राधिकरण को जलसंसाधन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाने के साथ ही भारती का कार्यकारी शक्तियों के साथ इसका उपाध्यक्ष बनाया है। प्राधिकरण की यह चौथी एवं मोदी सरकार के कार्यकाल में यह पहली बैठक थी। 

भारती ने बताया कि नई सरकार ने चार माह के अंदर किए गए कामों एवं नीतिगत फैसलों पर आज की बैठक में चर्चा की और उनके क्रियान्वयन का रास्ता साफ कर दिया है। उन्होंने बताया कि गंगा को निर्मल बनाने का काम सबसे पहले और फिर उसकी अविरलता यानी सतत प्रवाह सुनिश्चित करने के मध्यम कालिक उपायों पर काम शुरू होगा। 

उन्होंने बताया कि सबसे पहला फोकस 140 नालों और उन छोटी नदियों पर होगा जो नालों में तब्दील हो गई हैं। इसी समय नदी तटों पर हरियाली लगाने का काम भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगोत्री से गंगा सागर तक औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे एवं सीवर लाइनों का प्रवाह गंगा में पूरी तरह से निषिद्ध किया जाएगा और इतना ही नहीं इनका ट्रीटमेंट करके निकले पानी को भी नदी में नहीं जाने दिया जाएगा बल्कि उसका अन्य कार्यों में उपयोग किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि नदी में पूजन सामग्री जैसे फूल, हवन सामग्री, नारियल आदि के प्रवाह और अस्थि विसर्जन पर रोक तो नहीं होगी लेकिन पूजन सामग्री को श्रद्धालुओं की दृष्टि से दूर जाल लगा कर निकाल लिया जाएगा जिसे खाद बनाने में उपयोग किया जाएगा। अस्थि विसर्जन नदी के बीचों बीच गहरे पानी में ही करने की अनुमति होगी। 

शवदाह के लिए उन्होंने बताया कि अधजले शवों एवं लकड़ियों को नदियों में बहाने से रोका जाएगा। संतों की जलसमाधि के बारे में साधु संतों से विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शवदाह की ऐसी तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा जिसमें कम से कम लकड़ी का प्रयोग हो। अस्थि विसर्जन से प्रदूषण होने के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अस्थियां मछलियों एवं अन्य जलीय जीवों के लिए भोजन होती हैं और गंगा संरक्षण का मतलब नदी में रहने वाले जीव जन्तुओं का संरक्षण भी शामिल है।

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