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मनमोहन सिंह से निजी खुन्नस नहीं हैं: विनोद राय

पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने मंगलवार को कहा कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कोई व्यक्तिगत खुन्नस नहीं है। लेकिन सरकार के मुखिया को सराहना तथा आरोप दोनों की जिम्मेदारी...

मनमोहन सिंह से निजी खुन्नस नहीं हैं: विनोद राय
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Sep 2014 10:07 PM
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पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने मंगलवार को कहा कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कोई व्यक्तिगत खुन्नस नहीं है। लेकिन सरकार के मुखिया को सराहना तथा आरोप दोनों की जिम्मेदारी लेनी होती है। राय की किताब को लेकर इस समय बवाल मचा हुआ है। विनोद राय के समय पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटनों पर कैग की रिपोर्ट को लेकर भारी राजनीतिक हंगामा मचा हुआ था। घोटालों को रोकने के लिए सिंह द्वारा कथित रूप से कोई कदम नहीं उठाए जाने की राय की टिप्पणी पर कांग्रेस ने उनके खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

राय ने कहा कि प्रधानमंत्री सरकार का मुखिया होता है। संभव है कुछ फैसलों में उनकी भूमिका नहीं हो। जैसा कि राष्ट्रमंडल खेलों के मामले में वह सीधे तौर पर किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं थे। लेकिन अंतत: संस्थान के मुखिया को ही वाहवाही तथा आरोप दोनों लेने होते हैं। इस संदर्भ में मैंने बातें कहीं हैं और इसमें व्यक्तिगत खुन्नस की कोई बात नहीं है। निश्चित रूप से इसमें व्यक्तिगत खुन्नस जैसा कुछ नहीं है। उदाहरण देते हुए पूर्व कैग ने कहा कि हमारी भारतीय टीम क्रिकेट टीम खेलने इंग्लैंड गई और सभी टेस्ट मैचों में खराब प्रदर्शन किया। क्या इसके लिए टीम के कप्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया हो, हो सकता है कि कई बड़े खिलाड़ी सही तरीके से नहीं खेले लेकिन कप्तान को जिम्मेदारी लेनी होती है।

गौरतलब है कि राय की किताब ‘द डायरी ऑफ द नेशंस कान्शंस कीपर-नाट जस्ट एन एकाउंटेंट’ में
2008-13 के दौरान उनके कैग रहते विभिन्न मुद्दों का जिक्र है। इसमें 2जी और कोयला खदानों के आवंटन जैसे मामलों में मनमोहन सिंह की भूमिका का भी उल्लेख है।


पीएम के खिलाफ कार्रवाई नहीं
विनोद राय का कहना है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती। इस मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री  ए. राजा की ज्यादा संलिप्तता थी और वह इस सारे घटनाक्रम के बारे में प्रधानमंत्री को सूचित कर रहे थे। इस तरह प्रधानमंत्री को राजा के कामों की पूरी जानकारी थी। हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती है क्योंकि इसमें असली भूमिका तत्कालीन दूरसंचार मंत्री की थी।


राय से कोई पत्र नहीं मिला
पूर्व वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि उन्हें पीपीपी परियोजनाओं के अंकेक्षण पर पूर्व कैग विनोद राय से किसी तरह का कोई पत्र नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि 2010 में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के नाम कुछ पत्र आए थे और उन पर अतिरिक्त सचिव व आर्थिक मामलों के सचिव के स्तर पर काम किया गया था। अगस्त, 2012 में वित्त मंत्रलय में लौटने के बाद उनके समक्ष कोई फाइल नहीं पेश की गई। राय का आरोप है कि उन्होंने पीपीपी परियोजनाओं को लेकर पूर्व पीएम सिंह, मुखर्जी और चिदंबरम को पत्र लिखे थे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।

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