विपक्ष धर्मांतरण रोकने के कानून का समर्थन क्यों नहीं करताः अमित शाह
जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर विवाद के बीच भाजपा और केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों को धर्मांतरण रोकने के कानून का समर्थन करने की चुनौती दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि आखिर तथाकथित...
जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर विवाद के बीच भाजपा और केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों को धर्मांतरण रोकने के कानून का समर्थन करने की चुनौती दी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को कहा कि आखिर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां धर्मांतरण विरोधी कानून का समर्थन क्यों नहीं करतीं।
चेन्नई में एक प्रेस कान्फ्रेंस में शाह ने कहा कि विपक्षी दल एनडीए सरकार को विकास के एजेंडे की पटरी से नहीं उतार सकते। भाजपा और केंद्र सरकार पहले से ही कह रही है कि वह धर्मांतरण रोकने के लिए कानून लाने को तैयार है लेकिन यह आम सहमति के बिना नहीं हो सकता। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अगर विपक्षी दलों को लगता है कि धर्मांतरण पर राज्यों के कानून प्रभावी नहीं हैं तो पूरे देश में एक जैसा कानून लाने के मुद्दे पर वे सरकार का साथ दें। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण तो देश में आजादी के समय से होता रहा है। धर्मांतरण में संघ की भूमिका के सवाल पर शाह ने कहा कि आरएसएस एक देशभक्त संगठन है।
बहस के लिए तैयार नहीं हैं विपक्षी पार्टियां: प्रसाद
पटना। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि विपक्षी पार्टियां धर्मांतरण के मुद्दे पर बहस के लिए तैयार नहीं हैं। प्रसाद ने सवाल किया कि लोकसभा चल रही है पर राज्यसभा क्यों नहीं चल रही। ऐसा इस वजह से हो रहा है क्योंकि हम धर्मांतरण पर बहस के लिए तैयार हैं। जबकि कांग्रेस, जदयू, सपा समेत विपक्षी दल जानते हैं कि बहस होने पर उनकी पोल खुल जाएगी। प्रसाद ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश में 100 दंगे हुए या जब मुजफ्फरनगर में दंगे हुए और लोग मारे गए तो उन्होंने आवाज नहीं उठाई । इसी तरह, वे धर्मांतरण पर बहस नहीं चाहते।
हैदराबाद में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने भी कहा कि धर्मांतरण रोकने के कानून पर विपक्षी दलों ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। विपक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और उन्हें पारित करने के लिए राज्यसभा की कार्यवाही चलने दे। उन्होंने हिन्दू महासभा के एक नेता द्वारा नाथूराम गोडसे की मूर्ति स्थापित करने की मंजूरी मांगने पर कहा, सरकार द्वारा इसकी मंजूरी देने का सवाल ही नहीं उठता। यह राष्ट्रहित और जनभावनाओं के विपरीत है।
केरल में 30 ईसाई हिंदू बने
अलापुझा। विहिप ने रविवार को केरल में अनुसूचित जाति के ईसाइयों के आठ परिवारों के 30 लोगों का हिंदू धर्म में दोबारा वापसी कराई। विहिप की जिला इकाई ने कणिचनाल्लोर के एक स्थानीय मंदिर में इसका आयोजन किया। विहिप नेता प्रताप जी पदिक्कल ने कहा कि जिले के करीब 150 परिवारों ने हिंदू धर्म में शामिल होने की इच्छा जताई है और विहिप उनकी भी घर वापसी की व्यवस्था करेगी।
हिंदू मूल्य फिर स्थापित होंगे: सिंघल
नई दिल्ली। एक पुस्तक लोकार्पण करने के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहा कि देश में हिंदू मूल्य फिर से स्थापित होंगे। अब हम कह सकते हैं कि हमारी एक ऐसी सरकार है जो हिंदुत्व की रक्षा के प्रति कटिबद्ध है। हमारी संस्कृति और धर्म को कुचला गया और हमें संघर्ष करना पड़ा। देश में धीरे-धीरे हमारे मूल्य स्थापित होंगे।
वहीं विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने ने भोपाल में कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा देश को हिंदू राष्ट्र बनाने संबंधी बयान विश्व हिंदू परिषद के लिए ब्रह्म वाक्य के समान है। भागवत ने कोलकाता में शनिवार को कहा था कि जो भी व्यक्ति हिंदू धर्म से भटका है, उसे घर वापस लाएंगे। अगर किसी व्यक्ति को यह पसंद नहीं, तो इसे रोकने के लिए कोई कानून बनाएं।
आगरा में धर्मांतरण कार्यक्रम फरेब: अल्पसंख्यक आयोग
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग ने आगरा में हुए 300 से ज्यादा मुस्लमानों की घर वापसी को धोखेबाजी और फरेब भरी कवायद करार दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का धर्मांतरण से कोई मतलब नहीं है। आयोग के सदस्यों ने 25 दिसंबर को हिंदू धर्म में घर वापसी के बहाने सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के मंसूबों को विफल करने के लिए अलीगढ़ जिला प्रशासन के प्रयासों की भी सराहना की।
भागवत की टिप्पणी पर कांग्रेस ने पीएम से मांगा जवाब
नई दिल्ली। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत धर्मांतरण विरोधी कानून का समर्थन करने के लिए विपक्ष को चुनौती दिए जाने से राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि संघ को भारत का पाकिस्तानीकरण करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। तिवारी ने कहा, पाकिस्तान का विचार अपने मूल सिद्धांत के कारण बेकार साबित हुआ और अगर आरएसएस भारत का पाकिस्तानीकरण चाहता है तो किसी भी सूरत में इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, भारत के धर्मनिरपेक्ष विचार को कायम रखने के लिए न सिर्फ उचित मंचों पर लड़ाई लड़ी जाएगी, बल्कि इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसे जनता के स्तर पर लड़ा जाएगा।
एक अलग धर्मांतरण रोधी कानून की जरूरत नहीं है। जबरन धर्मांतरण रोकने का प्रावधान आईपीसी की धाराओं में पहले से मौजूद है।
- माकपा पोलित ब्यूरो
इस तरह की राजनीति से भविष्य में सिर्फ अंधेरा ही आएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर खामोश क्यों हैं।
- राशिद अल्वी, कांग्रेस नेता
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री की चुप्पी ने भागवत के उद्देश्यों को आगे बढ़ाया है। पूरे प्रकरण पर नरेंद्र मोदी को बयान देना चाहिए।
- केसी त्यागी, जदयू नेता
हालिया टिप्पणियों को अलग-थलग घटना के तौर पर नहीं देखा जा सकता, बल्कि इसे एक बड़ी योजना का हिस्सा माना जाना चाहिए।
-डी राजा, भाकपा नेता
यह देश सभी धर्म के लोगों का है। अब वे लोग इस मामले पर चुप क्यों हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मौनमोहन कहा करते थे।
-सुधींद्र भदौरिया, बसपा नेता