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व्यापमं मामला: शिवराज पर बढ़ा दबाव, सीबीआई जांच को हुए तैयार

व्यापमं मामले में सीबीआई जांच की मांगों को खारिज करते रहने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा तफ्तीश कराने की मंजूरी मांगने का फैसला किया...

व्यापमं मामला: शिवराज पर बढ़ा दबाव, सीबीआई जांच को हुए तैयार
एजेंसीTue, 07 Jul 2015 08:06 PM
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व्यापमं मामले में सीबीआई जांच की मांगों को खारिज करते रहने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा तफ्तीश कराने की मंजूरी मांगने का फैसला किया और आज ही उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति जताई।
   
चौहान द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा किए जाने के बाद राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से प्रवेश तथा भर्ती से जुड़े इस बड़े घोटाले के मामले में सीबीआई जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया। 

अतिरिक्त महाधिवक्ता पी कौरव ने कहा कि हमने व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच कराने के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है। पिछले कुछ दिनों में व्यापमं से जुड़े लोगों की एक के बाद एक मौत के मामलों पर विपक्ष के तीखे हमले और जनता के आक्रोश से घिरे चौहान ने उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच की सिफारिश करने के फैसले का ऐलान किया।

चौहान ने कहा कि लोकतंत्र लोक लज्जा से चलता है। जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच का अनुरोध करुंगा। उन्होंने कहा कि सरकार का कामकाज किसी भी संदेह से परे होना चाहिए।
   
चौहान ने भोपाल में आनन-फानन में बुलाये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों के प्रति पूरा सम्मान रखता हूं और व्यापमं घोटाले में चल रही जांच पर मुझे पूरा भरोसा है।

संबंधित घटनाक्रम में आज उच्चतम न्यायालय ने घोटाले में शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच कराने के लिए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तीन व्हिसलब्लोअरों की याचिका पर नौ जुलाई को सुनवाई करने की सहमति दी।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ व्हिसलब्लोअरों आशीष चतुर्वेदी, आनंद राय और प्रशांत पांडे ने शीर्ष अदालत से उसकी निगरानी में सीबीआई जांच करने की मांग की है।

चौहान पर चारों तरफ से सीबीआई जांच के लिए दबाव बन रहा था। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अदालत से इस संबंध में निर्देश नहीं होने पर इसकी संभावना से इनकार किया था। कांग्रेस ने राज्य सरकार के रुख पर संतोष नहीं जताते हुए कहा कि महज सीबीआई से जांच कराना पर्याप्त नहीं होगा और इस पर उच्चतम न्यायालय की निगरानी भी रहनी चाहिए।

दिल्ली में कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय को लिखने का शिवराज का ताजा फैसला सच को दबाने की एक और कोशिश है। कांग्रेस इसे पूरी तरह खारिज करती है। निष्पक्ष जांच और पीड़ितों को न्याय के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच ही विकल्प है।
  
पार्टी नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री देश में चुप रहते हैं। वह केवल उसके बारे में ट्वीट करते हैं जो टयूनीशिया, अल्जीरिया में हो रहा है।
  
घोटाले की सीबीआई जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में अर्जी लगा चुके सिंह ने कहा कि वह शीर्ष अदालत से अनुरोध करेंगे कि 2जी घोटाले की तरह मामले में साप्ताहिक आधार पर जांच पर निगरानी रखी जाए। उन्होंने कहा कि संदेह की सुई मुख्यमंत्री की ओर जाती है।

माकपा ने भी कांग्रेस की तरह विचार रखते हुए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच की वकालत की।

पार्टी ने व्यापमं घोटाले को भ्रष्टाचार और अपराध का सबसे खतरनाक मिश्रण बताया और घोटाले की जांच पूरी होने तक चौहान से पद छोड़ने की मांग की।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हम अब सुन रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह किसी सीबीआई जांच का विरोध नहीं कर रहे। अब हमारा कहना है कि वे विरोध करें या नहीं लेकिन इस मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच होनी चाहिए।

बहरहाल भाजपा ने चौहान की घोषणा का स्वागत करते हुए कांग्रेस पर मौत की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि पूरी तरह जांच से विपक्षी दल की सचाई सामने आ जाएगी।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि भाजपा का इरादा पूरी तरह साफ है कि हम सर्वोच्च स्तर की शुचिता चाहते हैं, हम सर्वोच्च संस्था द्वारा जांच चाहते हैं और वित्त मंत्री अरुण जेटली, गह मंत्री राजनाथ सिंह तथा शिवराज सिंह चौहान ने भी यही बात कही है।

मामले में रविवार को घोटाले की जांच कर रहे जबलपुर के एक मेडिकल कॉलेज के डीन अरण शर्मा की ही दिल्ली में मौत के बाद शिवराज पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की ओर से सीबीआई जांच के लिए दबाव बनाया जा रहा था। शर्मा की मत्यु से एक दिन पहले व्यापमं घोटाले को कवर कर रहे टीवी टुडे समूह के पत्रकार अक्षय सिंह की रहस्यमयी मौत हो गयी थी। मत्यु से कुछ मिनट पहले उन्होंने मामले की एक आरोपी के माता-पिता का इंटरव्यू लिया था। आरोपी महिला पहले ही मत मिली थी।
   
पिछले एक सप्ताह में व्यापमं से जुड़े पांच लोग रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत मिले जिनमें शर्मा और सिंह शामिल हैं। चौहान ने कहा कि इस मामले में घटनाक्रम निष्पक्ष उत्तर की मांग करता है।
उन्होंने कहा कि मैंने रातभर मामले के बारे में सोचा। जो सवाल उठे हैं उनका जवाब मिलना जरूरी है। अब जरूरी हो गया है कि मामले की जांच सीबीआई करे।

मुख्यमंत्री ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि एजेंसी को सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए। सीबीआई द्वारा उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की कांग्रेस की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं तैयार हूं। कुछ मित्रों ने माननीय उच्चतम न्यायालय का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने इस पर नजर रखी है। अब उच्चतम न्यायालय भी यह काम कर ले, मैं तैयार हूं।
   
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावों में लगातार हार के बाद दिग्विजय सिंह बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।

सीबीआई जांच की चौहान की घोषणा से कई लोगों को हैरानी हुई क्योंकि कल ही केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि राज्य सरकार घोटाले के मामले में सीबीआई जांच का आदेश नहीं दे सकती।

उन्होंने कल झाबुआ में कहा था, घोटाले में एसआईटी की जांच चल रही है और सरकार इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय को निर्देश नहीं दे सकती।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय पहले ही सीबीआई जांच की मांग वाली जनहित याचिकाओं को खारिज कर चुके हैं।

इस बीच मामले में मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल द्वारा चल रही जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल का नेतृत्व कर रहे उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश चंद्रेश भूषण ने कहा कि व्यापमं मामले में मौत रहस्यमयी नहीं बल्कि असामान्य हैं।

उन्होंने एसआईटी पर प्रदेश की भाजपा सरकार का दबाव होने की धारणाओं को खारिज करते हुए कहा कि हम दबाव में काम नहीं करते।

एक तरफ जहां विपक्ष ने घोटाले को लेकर चौहान पर निशाना साधा और इस मुद्दे पर मोदी की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए, वहीं कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने मामले को बेतुका मुद्दा करार देते हुए कहा कि इस पर प्रधानमंत्री को टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।

विधि मंत्री ने कहा कि देखिए, कुछ मुद्दे इतने सरल होते हैं, इसलिए बेतुके मुद्दों पर प्रधानमंत्री का जवाब देना जरूरी नहीं होता है। हमारे गृह मंत्री (राजनाथ सिंह), संबंधित विभागों के मंत्री और यहां तक कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने हर बात का जवाब दे दिया है। हर छोटे मुद्दों का जवाब प्रधानमंत्री दें, यह उचित नहीं है।

हालांकि बाद में गौड़ा ने कहा कि उन्होंने ललित मोदी विवाद पर उक्त टिप्पणी की थी, न कि व्यापमं घोटाले पर।

 

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