Hindi Newsकाले धन से मुकाबले को जेटली का मंत्र
काले धन की समस्या से मुकाबले को जेटली का मंत्र
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि घरेलू काले धन की समस्या का मुकाबला कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाकर और अन्य पहलों के अलावा अपेक्षाकृत और अधिक लोगों को बैंकिंग प्रणाली के तहत लाकर किया जा सकता...
एजेंसीTue, 06 Oct 2015 02:16 PM
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि घरेलू काले धन की समस्या का मुकाबला कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाकर और अन्य पहलों के अलावा अपेक्षाकृत और अधिक लोगों को बैंकिंग प्रणाली के तहत लाकर किया जा सकता है।
उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में दिए भाषण में कहा कि पहला कदम है कि कराधान की दर तर्कसंगत बनाएं, जिससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि लोग इसका अनुपालन करें।
उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि अर्थव्यवस्था का स्वरूप इतना अधिक बदल रहा है कि बैंकों के जरिए ज्यादा से ज्यादा हस्तांतरण, भुगतान गेटवे वास्तविकता बन गई हैं। इस सबसे प्रोत्साहन मिलेगा और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा बैंकिंग हस्तांतरण के दायरे से गुजरेगा।
जेटली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने बजट में घोषणा की है कि वह कुछ खंडों में नियत सीमा से अधिक लेन-देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य बना रही है। उन्होंने कहा कि जहां तक कार्पोरेट कर का सवाल है जब यह कम होगा तो छूटें खत्म करनी होंगी। ये ऐसी कार्पोरेट छूटें हैं जो लोगों को मिलती हैं, ज्यादातर मुकदमे और विशेषाधिकार इन्हीं छूटों के इर्द-गिर्द हैं। संसद में अटके जीएसटी विधेयक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।
उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में दिए भाषण में कहा कि पहला कदम है कि कराधान की दर तर्कसंगत बनाएं, जिससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि लोग इसका अनुपालन करें।
उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि अर्थव्यवस्था का स्वरूप इतना अधिक बदल रहा है कि बैंकों के जरिए ज्यादा से ज्यादा हस्तांतरण, भुगतान गेटवे वास्तविकता बन गई हैं। इस सबसे प्रोत्साहन मिलेगा और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा बैंकिंग हस्तांतरण के दायरे से गुजरेगा।
जेटली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने बजट में घोषणा की है कि वह कुछ खंडों में नियत सीमा से अधिक लेन-देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य बना रही है। उन्होंने कहा कि जहां तक कार्पोरेट कर का सवाल है जब यह कम होगा तो छूटें खत्म करनी होंगी। ये ऐसी कार्पोरेट छूटें हैं जो लोगों को मिलती हैं, ज्यादातर मुकदमे और विशेषाधिकार इन्हीं छूटों के इर्द-गिर्द हैं। संसद में अटके जीएसटी विधेयक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।