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बिहार में सुधरा है पीडीएस : ज्यां द्रेज

अर्थशास्त्री व रिसर्च स्कॉलर ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) में काफी सुधार हुआ है। अनाज वितरण में होने वाली 80 प्रतिशत लिकेज को रोकने में सफलता मिली है। 20 प्रतिशत अनाज अब...

बिहार में सुधरा है पीडीएस : ज्यां द्रेज
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Apr 2015 07:05 PM
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अर्थशास्त्री व रिसर्च स्कॉलर ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार में जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) में काफी सुधार हुआ है। अनाज वितरण में होने वाली 80 प्रतिशत लिकेज को रोकने में सफलता मिली है। 20 प्रतिशत अनाज अब भी खुले बाजार में पहुंच रहा है। वर्ष 2004-05 में 90 प्रतिशत अनाज खुले बाजार में पहुंचता था। आज बिहार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन में एक मार्गदर्शक राज्य के रूप में  देखा जाता है।

श्री द्रेज शुक्रवार को एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। कहा कि नया राशन कार्ड वाले परिवारों को पांच किलो अनाज की जगह केवल 3.8 किलो अनाज मिल रहा है। यह अब भी उनके पूर्ण हिस्से से कम है, लेकिन पहले की तुलना में सुधार हुआ है।

एक हजार परिवारों के बीच सर्वे : खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुए बिहार में एक वर्ष हो रहा है। 2014 के दिसंबर में बिहार के चार जिलों बांका, गया, पूर्णिया और सीतामढ़ी में एक हजार परिवार के बीच इसके लिए सैंपल सर्वे किया गया था। हर जिले के 12 प्रखंडों का रैंडम चयन किया गया। फिर चयनित प्रखंडों में 250 घरों का चयन हुआ। सर्वे में पाया गया कि पीडीएस के दायरे में अधिकतर लोग आ गए हैं। वितरण नियमित तरीके से होता है। चावल व गेहूं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

16 प्रतिशत को नहीं मिला है राशन कार्ड : द्रेज ने कहा कि परिवारों के छूटने में कमी आई है, लेकिन 16 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें अबतक राशन कार्ड नहीं मिले हैं। द्रेज की सहयोगी व आईआईटी, दिल्ली की प्राध्यापिका ऋतिका खेड़ा ने कहा कि नई लाभार्थी सूची पुरानी बीपीएल सूची से बेहतर है लेकिन अनाज का वितरण अनियमित है।

कूपन सिस्टम को बेहतर बताते हुए कहा कि जनवितरण प्रणाली को चलाने का जिम्मा सामूहिक संस्थानों को दे देना चाहिए, जैसा कि छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा में किया गया है। मौके पर एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. डीएम दिवाकर भी मौजूद थे।

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