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आमिर बोले-देश छोड़ने का इरादा नहीं, भारतीय होने पर गर्व है लेकिन बयान पर हूं कायम

असहिष्णुता के मुद्दे पर बयान देकर विवादों में फंसे बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने बुधवार को अपनी सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका और उनकी पत्नी का देश छोड़ने का इरादा नहीं है।...

आमिर बोले-देश छोड़ने का इरादा नहीं, भारतीय होने पर गर्व है लेकिन बयान पर हूं कायम
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 25 Nov 2015 11:55 PM
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असहिष्णुता के मुद्दे पर बयान देकर विवादों में फंसे बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने बुधवार को अपनी सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका और उनकी पत्नी का देश छोड़ने का इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को लेकर जान बूझकर गलतफहमी फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वह अपने बयान पर अब भी अटल हैं।

आमिर ने अपने विरोधियों को जमकर जवाब दिया है और कहा है कि जो लोग इस समय उन्हें भद्दी गालियां दे रहे हैं, मेरा कहा वो लोग सच साबित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय होने पर नाज है और उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए किसी का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की एकता और विविधता को बचाना है।

आमिर का पूरा बयान इस तरह है-
सबसे पहले मैं एक बात साफ करना चाहूंगा, न मेरा, न मेरी पत्नी का कोई इरादा है ये देश छोड़ने का। न हमारा ऐसा कोई इरादा था, न है और न रहेगा। जो कोई भी ऐसी बात फैलाने की कोशिश कर रहा है, उसने या तो मेरा इंटरव्यू नहीं देखा, या जान बूझकर गलतफहमी फैलाना चाह रहा है। भारत मेरा देश है, मैं उससे बेइंतहा प्यार करता हूं और यही मेरी सरजमीन है।

दूसरी बात, इंटरव्यू के दौरान जो भी मैंने कहा है, मैं उस पर अटल हूं। जो लोग मुझे देशद्रोही कह रहे हैं उनसे मैं कहूंगा, मुझे गर्व है अपने हिन्दुस्तानी होने पर और इस सच्चाई के लिए मुझे न किसी की इजाजत की जरूरत है और न ही किसी के सर्टिफिकेट की।

जो लोग इस वक्त मुझे भद्दी गालियां दे रहे हैं, क्योंकि मैंने अपने दिल की बात कही है, उनसे मैं कहना चाहूंगा कि मुझे बड़ा दुख है कि मेरा कहा वो सच साबित कर रहे हैं और उन सारे लोगों का मैं शुक्रिया अदा करना चाहूंगा जो आज इस वक्त मेरे साथ खड़े हैं। हमें हमारे इस खूबसूरत और बेमिसाल देश के खूबसूरत चरित्र को सुरक्षित रखना है। हमें सुरक्षित रखना है इसकी एकता को, इसकी अखंडता को , इसकी विविधता को, इसकी सभ्यता और संस्कृति को, इसके इतिहास को,  इसके अनेकतावाद के विचार को, इसकी विविध भाषाओं को, इसके प्यार को, इसकी संवेदनशीलता को और इसकी जज्बाती ताकत को।

अंत में मैं रवींद्रनाथ टैगोर की एक कविता दोहराना चाहूंगा। कविता नहीं बल्कि यह एक प्रार्थना है-
जहां उड़ता फिरे मन बेखौफ
और सर हो शान से उठा हुआ
जहां ज्ञान हो सबके लिए बेरोकटोक
बिना शर्त रखा हुआ
जहां घर की चौखट सी छोटी
सरहदों में न बंटा हो जहां
जहां सच की गहराइयों से निकले हर बयान
जहां बाजुएं बिना थके
लकीरें कुछ मुकम्मल तराशें
जहां सही सोच को धुंधला न
पाएं उदास मुर्दा रवायतें
जहां दिलो-दिमाग तलाशें नए
ख्याल और उन्हें अंजाम दे
ऐसी आजादी के स्वर्ग में,
ऐ भगवान, मेरे वतन की हो नई सुबह
जय हिंद
आमिर खान

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