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2016 में बुध ग्रह के लिए रवाना होगा बेपीकोलंबो

धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठाने के मकसद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) बुध ग्रह पर मिशन भेजेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारे सोलर सिस्टम के सबसे भीतरी ग्रह बुध के बारे में अन्य...

2016 में बुध ग्रह के लिए रवाना होगा बेपीकोलंबो
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 28 Nov 2014 03:37 PM
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धरती पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठाने के मकसद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) बुध ग्रह पर मिशन भेजेगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारे सोलर सिस्टम के सबसे भीतरी ग्रह बुध के बारे में अन्य ग्रहों की अपेक्षा काफी कम पता है।

बुध तक पहुंचने में यान को साढ़े सात साल लगेंगे
ईएसए वैज्ञानिकों के अनुसार मिशन मरकरी के 21 जुलाई 2016 में लांच होने  की पूरी उम्मीद है। इसे बुध पर पहुंचने में करीब साढ़े सात साल लगेंगे। मिशन 2024 में वहां पहुंचेगा। जो अंतरिक्ष यान इस मिशन पर भेजा जाएगा उसे बेपीकोलंबो नाम दिया गया है। यह इटली के अंतरिक्ष यात्राी गिसेपे बेपी कोलंबो के नाम पर होगा।

चुनौतियों से भरा है बुध का मिशन
ईएसए के बेपीकोलंबो मिशन के प्रभारी जोहानिस बेंखाफ ने बताया कि बुध ग्रह हमारे सौर मंडल के ग्रहों में सबसे अधिक घनत्व वाला ग्रह है। इस पैमाने पर यह पृथ्वी से भी घना है। इसके आसपास चुंबकीय क्षेत्र भी है। इसके चलते ‘मिशन मरकरी’ चुनौतीपूर्ण अभियान होगा। यह अपनी कक्षा में 48 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से गति कर रहा है, जबकि पृथ्वी की अपनी कक्षा में गति की रफ्तार 30 किलोमीटर प्रति सेकेंड है।  यह भी खुद में एक बड़ी चुनौती है। पृथ्वी और बुध के बीच की रैखिक दूरी 4 करोड़ 80 लाख किलोमीटर है। पृथ्वी और बुध की अपनी कक्षा में गति का जो अंतर है और दोनों के बीच की जो दूरी है, उसे देखते हुए इसका खतरा भी बरकरार है कि बुध मिशन पर जो यान भेजा जाएगा, गणना में गड़बड़ी होने की दशा में कहीं वह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण का शिकार होकर भस्म न हो जाए।

बुध की सतह का तापमान 400 डिग्री सेल्सियस
ईएसए वैज्ञानिकों के अनुसार, सूर्य के सबसे करीबी ग्रह बुध के सतह का तापमान करीब 400 डिग्री सेल्सियस है। बुध का वह हिस्सा जो सूर्य के ठीक सामने नहीं पड़ता, वहां का तापमान -170 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है। इसका कारण वहां वातावरण का अभाव है। छोटे से ग्रह पर तामपान की ऐसी विविधता का अध्ययन पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति का राज खोल सकता है।

नासा मार्च से शुरू करेगी ब्रहमांड में चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन
ब्रहमांड में चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने के लिए नासा अगले साल मार्च में महत्वाकांक्षी मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल (एमएमएस) मिशन शुरू करने की योजना बना रही है। इसके तहत एक रॉकेट से चार समरूप अंतरिक्षयान लांच किए जाएंगे।

नासा की ओर से हाल ही में इस लांचिंग से जुड़ा एक वीडियो जारी किया गया है। इस वीडियों में एक रॉकेट पर चार एमएमएस अंतरिक्षयान एक दूसरे के ऊपर खड़े दिख रहे हैं। नासा के मुताबिक, एमएमएस मिशन से मिलने वाला नया ज्ञान, संलयन ऊर्जा रिएक्टर जैसे स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के निर्माण में सहायता कर सकता है। नासा ने एक बयान में बताया कि अंतरिक्ष यान इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि रॉकेट के कक्षा में पहुंचने के बाद ये रॉकेट से मुक्त हो जाएंगे। चुंबकीय पुनर्जुड़ाव एक प्रक्रिया है, जो चुंबकीय ऊर्जा को गतिज या तापीय ऊर्जा में परिवर्तित करती है।

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