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यूपी के इस गांव में बाहर से नहीं आती बारात

पढ़कर अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है। यूपी के स्वार ब्लॉक दौंकपुरी टांडा गांव में युवक-युवतियां आपस में शादी के बंधन बंधते हैं। दूसरे गांव से बारात आने को ग्रामीण अशुभ मानते हैं। विचित्र...

यूपी के इस गांव में बाहर से नहीं आती बारात
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 28 Mar 2015 11:58 PM
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पढ़कर अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है। यूपी के स्वार ब्लॉक दौंकपुरी टांडा गांव में युवक-युवतियां आपस में शादी के बंधन बंधते हैं। दूसरे गांव से बारात आने को ग्रामीण अशुभ मानते हैं।

विचित्र परंपरा की वजह से दौंकपुरी टांडा गांव क्षेत्र में मशहूर है। इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाए तो लंबे समय से गांव के युवक-युवती आपस में निकाह के बंधन में बंध रहे हैं। मौलाना अरशद ने बताया कि गांव में ही शादी करने से समय की बचत होती है। हमारी बहन-बेटियां गांव में महफूज रहती हैं। कोई परेशानी होने पर हम उनसे राब्ता कायम कर लेते हैं। पिछले साल भी गांव में करीब डेढ़ सौ शादियां हुई थीं। गांव की एक और खासियत है कि निकाह में फिजूलखर्ची बिल्कुल नहीं की जाती। रीति-रिवाज सभी होते हैं, बारात लेकर दूल्हा लड़की के घर जाता है। शोर-शराबा, हंसी-खुशी तो होती है लेकिन बैंड बाजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। न कोई बाराती बैंड की धुन पर झूमता है और न ही कोई डीजे पर डांस करता है। सादगी के माहौल में निकाह होता है।

अमूमन, दूसरी जगहों पर बारात कभी-कभार ही समय से दुल्हन के दरवाजे तक पहुंचती है लेकिन गांव में ऐसा नहीं होता। अगर बारात एक बजे के बाद एक मिनट भी देरी से पहुंची तो सौ रुपये प्रति मिनट के हिसाब से जुर्माना वसूला जाता है। यही वजह है कि गांव में निर्धारित वक्त पर ही निकाह की रस्में पूरी होती हैं।

हफ्तेभर में गांव में होंगी करीब दो सौ शादियां
ग्रामीणों के अनुसार इस परंपरा के तहत एक सप्ताह के भीतर गांव में करीब दो सौ से अधिक शादियां होंगी। शुक्रवार रात सामूहिक रूप से आठ जोड़ों का एक साथ निकाह कराया गया। मौलाना कारी अब्दुल रऊफ ने निकाह की सभी रस्में अदा कराईं। ग्रामीणों के अनुसार शनिवार तक करीब सौ निकाह हो चुके हैं। अगले दिन दिन में भी इतने ही निकाह होंगे।

 

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