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बच्चों की उदासी और असामान्य बातों को नजरअंदाज न करें

देश में हर साल हजारों बच्चे यौन शोषण का शिकार होते हैं। कोई परिचित, पड़ोसी या स्कूल बस का ड्राइवर ही इन्हें अपनी गलत हरकतों का शिकार बनाता है लेकिन इनमें से आधे से भी ज्यादा बच्चे इस हरकत की शिकायत...

बच्चों की उदासी और असामान्य बातों को नजरअंदाज न करें
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 Aug 2014 10:00 AM
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देश में हर साल हजारों बच्चे यौन शोषण का शिकार होते हैं। कोई परिचित, पड़ोसी या स्कूल बस का ड्राइवर ही इन्हें अपनी गलत हरकतों का शिकार बनाता है लेकिन इनमें से आधे से भी ज्यादा बच्चे इस हरकत की शिकायत अपने माता-पिता से करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। ऐसे में वक्त आ गया है कि माता-पिता भी सतर्क रहें और बच्चों की असहज लगने वाली गतिविधियों पर नजर रखें ताकि उनका हंसता-खेलता बचपन बर्बाद होने से रोका जा सके।

बच्चों के इशारों को समझें

यदि बच्चा स्कूल, स्कूल बस या ट्यूशन जाने से मना करने लगे या विरोध करे
बच्चा लगातार बीमार पड़ रहा हो, या उदास दिख रहा हो, लेकिन शारीरिक लक्षण प्रकट न करे
यदि बच्चा खोया-खोया रहता हो, हमेशा बेचैन या चिंताग्रस्त दिखे, चिड़चिड़ा हो गया हो, बिना कारण लगातार रोता हो
छोटी उम्र में ही यौन संबंधों से जुड़ी बातों में रुचि दिखाए, इस बारे में ज्यादा बातें करे, दूसरों को अश्लील वीडियो या फोटो दिखाए। ये बातें इशारा करती हैं कि शायद बच्चा यौन प्रताड़ना का शिकार हुआ है, जिससे उसके मन पर गहरा असर पड़ा है
बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाए और वह पढ़ाई में और स्कूल की अन्य गतिविधियों में पिछड़ने लगे

बच्चों की अवश्य सुनें
उनसे बात करें:
बच्चों की देखभाल का सर्वप्रथम जिम्मा माता-पिता पर होता है, खासकर मां पर। ऐसे में माता को चाहिए कि छोटी उम्र में वह बच्चों को यौन र्दुव्यवहार के बारे में सचेत करें। बच्चों को बताएं कि यदि कोई उनके अंगों को छूता है तो वे उसका विरोध करें और वहां से भाग जाएं। इस संबंध में माता-पिता को अनिवार्य रूप से सूचित करें।

सवाल करें: समय-समय पर बच्चों से उनकी परेशानियों को लेकर सवाल करें और उनका समाधान करें। बच्चों से पूछें कि यदि उन्हें कोई बात परेशान कर रही है या कोई दिक्कत है तो वह उसे खुलकर और पूरे ब्योरे के साथ बताएं। बच्चे को विश्वास में लें कि उसकी परेशानी का तुरंत हल किया जाएगा।

सहारा दें: यदि बच्चे के साथ कोई घटना हुई हो तो उसे लेकर घर में बवाल न खड़ा करें। बच्चे पर अपना गुस्सा प्रकट न करें। इससे बच्चा बुरी तरह डर सकता है और उसका असर उसके मन मस्तिष्क पर लंबे वक्त पर रह सकता है। बच्चे को भावुक और मानसिक रूप से पूरा सहयोग करें।

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