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एक सेटेलाइट नेटवर्क से पूरी दुनिया में चलेगा इंटरनेट

वजिर्न और क्वालकॉम की सहायता वाली एक फर्म ऐसा सेटेलाइट नेटवर्क बना रही है, जिससे दुनिया के किसी भी कोने में इंटरनेट को एक्सेस किया जा सकेगा। यह सेटेलाइट नेटवर्क तेज गति के इंटरनेट सेवाएं देगा। इसके...

एक सेटेलाइट नेटवर्क से पूरी दुनिया में चलेगा इंटरनेट
एजेंसीTue, 20 Jan 2015 03:12 PM
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वजिर्न और क्वालकॉम की सहायता वाली एक फर्म ऐसा सेटेलाइट नेटवर्क बना रही है, जिससे दुनिया के किसी भी कोने में इंटरनेट को एक्सेस किया जा सकेगा। यह सेटेलाइट नेटवर्क तेज गति के इंटरनेट सेवाएं देगा। इसके लिए एक सबसे बड़े सेटेलाइट नेटवर्क को लांच करने की तैयारी की जा रही है। दुनियाभर में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग को देखते हुए कंपनी बड़े निवेश की तैयारी में है। दावा किया गया है कि इस इंटरनेट की सेवा को आपातकालीन स्थिति में भी आसानी से बिना किसी रुकावट के इस्तेमाल किया जा सकेगा। 

648 माइक्रो सेटेलाइट का होगा समूह
वन वेब नाम की अमेरिकी फर्म अंतरिक्ष की कक्षा में 648 माइक्रो सेटेलाइट के समूह को लांच करेगी। इसके लिए जोर-शोर से तैयारी चल रही है। कंपनी का दावा है कि इस प्रोजेक्ट पर काफी काम किया जा चुका है। बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए वजिर्न ग्रुप और क्वालकॉम की ओर से आर्थिक मदद दी जा रही है। वजिर्न के मुताबिक, सेटेलाइट के जरिए बिना रुकावट के दुनिया के किसी भी हिस्से में तेज गति की इंटरनेट सेवा मिल सकेगी। इसमें किसी तरह की बाधा से नहीं जूझना पड़ेगा। उसने दावा किया कि ये दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा सेटेलाइट नेटवर्क होगा।

कैसे काम करेगा सिस्टम
इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए धरती पर लगे खास तरह के टर्मिनल को सेटेलाइट से जोड़ा जाएगा। टर्मिनल मिल रहे डाटा को टूजी, थ्रीजी और वाई-फाई के जरिए अपने आसपास के क्षेत्र में मौजूद उपयोगकर्ता तक पहुंचाएगा। वन वेब के फाउंडर ग्रेग वेलर ने बताया कि हमारी कंपनी ऐसे सेटेलाइट नेटवर्क को लांच करने जा रही है, जिसके जरिए दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद व्यक्ति तक इंटरनेट की सेवा पहुंच सके। उन्होंने कहा कि इस नेटवर्क की मदद से दुनिया की ऐसी जगहों पर भी इंटरनेट तेज गति से इस्तेमाल किया जा सकेगा, जहां अब तक ये सेवा उपलब्ध नहीं है।

आपदा में भी निभाएगा साथ
ग्रेग ने बताया कि सेटेलाइट नेटवर्क आपातकालीन या आपदा की स्थिति में भी सेवा देने में सक्षम होगा। इसके जरिए रिफ्यूजी कैंप अथवा जरूरत के अन्य स्थानों पर भी इंटरनेट की सेवा मुहैया कराई जा सकेगी। आमतौर पर आपदा की स्थिति में  इंटरनेट सेवाएं ठप हो जाती हैं। सेटेलाइट नेटवर्क के जरिए ऐसे समय में भी तेज गति की इंटरनेट सेवा दी जा सकेगी।

माना जा रहा है कि ऐसा होने पर विपदा में फंसे लोगों से संपर्क साधने में आसानी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट की दुनिया में ये सबसे बड़ा सेटेलाइट नेटवर्क साबित होगा, जोकि आने वाले समय में इंटरनेट की दुनिया में नया इतिहास रचेगा। इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन ने हाल ही में दावा किया था कि दुनिया भर की आधी से अधिक आबादी की पहुंच में अब तक इंटरनेट नहीं पहुंच सका है।

यूरोप को इसी साल मिलेगा अपना नेविगेशन सिस्टम
यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) इसी साल अपना ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट लांच करने की तैयारी में है। गैलीलियो नाम के इस सेटेलाइट को 2015 के मध्य तक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा। ईएसए के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीयान डोरडेन ने बताया कि छह नेविगेशन सेटेलाइट इसी साल के मध्य तक लांच करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। हालांकि, उन्होंने तय तारीख के बारे में नहीं बताया।

डोरडेन ने कहा कि इस बारे में फैसला जनवरी के अंत तक लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सेटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने के लिए एरियन-5 और शेयज कैरियर रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। गैलीलियो ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) होगा। ये यूरोपियन यूनियन और ईएसए का साझा प्रोजेक्ट है। इटली के अंतरिक्षयात्राी गैलीलियो गैलीली के नाम पर इसका नाम रखा गया है। ये सेटेलाइट रूस के ग्लोनास और अमेरिका के (जीपीएस) ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम का विकल्प होगा।

भारत भी अग्रसर
भारत के पास भी जल्द ही अपना नेविगेनशन सेटेलाइट सिस्टम होगा। इस सिस्टम का नाम आईआरएसएस है। इसके लिए भारत पांच सेटेलाइट लांच करेगा। अब तक भारत एक सेटेलाइट लांच कर चुका है। इसको 1 जुलाई 2013 को लांच किया गया था। नेविगेनशन सेटेलाइट सिस्टम कुछ सेटेलाइट के समूह से बनता है। यह भारत में पहला इस तरह का सैटेलाइट सिस्टम होगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस तकनीक का इस्तेमाल ज्यादातर फौज में किया जाता है। ताकि दुश्मन की भौगोलिक स्थिति के बारे में आसानी से पता लगाया जा सके। 

 

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