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कहीं जानलेवा न बन जाए त्वचा की जलन

त्वचा जल जाए तो हम पूरी सावधानी नहीं बरत पाते, इस कारण कई बार यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। अगर आपके सामने ऐसा हादसा हो जाए तो आप क्या करें, क्या नहीं, आइए जानेंह मारे देश में जलना मृत्यु का एक...

कहीं जानलेवा न बन जाए त्वचा की जलन
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 28 Feb 2015 11:03 AM
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त्वचा जल जाए तो हम पूरी सावधानी नहीं बरत पाते, इस कारण कई बार यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। अगर आपके सामने ऐसा हादसा हो जाए तो आप क्या करें, क्या नहीं,

आइए जानेंह मारे देश में जलना मृत्यु का एक बड़ा कारण है। आग से सुरक्षा बहुत जरूरी है। मामूली रूप से जलने के जख्म तो समय के साथ वैसे ही अच्छे हो जाते हैं, पर गंभीर रूप से जलने पर संक्रमण को रोकने और घावों को भरने के लिए विशेष देखभाल करनी होती है। जलन के अलावा रेडिएशन, रसायन, बिजली से होने वाले जख्मों को भी बर्न कहते हैं।

त्वचा का जलना
त्वचा का जलना हल्के से लेकर बहुत ज्यादा तक हो सकता है। जब बहुत ही हल्का जला हो तो उसे फर्स्ट डिग्री बर्न कहते हैं। इसमें मेडिकल ट्रीटमेंट की इतनी आवश्यकता नहीं पड़ती, जब तक जलने का असर ऊतकों पर न हो। सेकेंड और थर्ड डिग्री के बर्न में अस्पताल ले जाना जरूरी है।

फर्स्ट डिग्री
इसमें सिर्फ त्वचा की सबसे ऊपरी परत प्रभावित होती है। घाव में दर्द होता है और सूजन तथा लाली आ जाती है। अगर घाव तीन इंच से बड़ा हो या ऐसा लगे कि घाव त्वचा की अंदरूनी परत तक है या वह आंख, मुंह, नाक या गुप्तांग के पास हो तो डॉंक्टर को जरूर दिखाएं। सामान्य घाव को भरने में 3 से 6 दिन लगते हैं।

क्या है उपचार
जली हुई त्वचा को जल्दी से ठंडे पानी में डुबो दें। उसे कम से कम 15 मिनट पानी में डुबोकर रखें, ताकि चमड़ी से गर्मी निकल जाए।
संक्रमण से बचने के लिए जली हुई त्वचा पर एलो वेरा जेल या एंटीबायोटिक क्रीम लगाएं।

सेकेंड डिग्री बर्न
यह बाहरी परत एपिडर्मिस और अंदरूनी परत डर्मिस, दोनों को प्रभावित करता है। इससे दर्द, लाली, सूजन और फफोले हो जाते हैं। घाव जोड़ों पर हुआ है तो उस हिस्से को हिलाने में तकलीफ होगी।

क्या है उपचार
घाव गहरा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
त्वचा प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ सकती है।
अंगों के मुड़ने से फिजिकल थेरेपी की जरूरत पड़ती है।

थर्ड डिग्री बर्न
इसमें त्वचा की तीनों परतें प्रभावित हो जाती हैं। इससे त्वचा सफेद या काली हो जाती है और सुन्न हो जाती है। जले हुए स्थान के हेयर फॉलिकल, स्वेट ग्लैंड और तंत्रिकाओं के सिरे नष्ट हो जाते हैं। तंत्रिकाओं के नष्ट होने से दर्द नहीं होता। कोई फफोला या सूजन नहीं होती। रक्त का संचरण बाधित हो जाता है। अत्यधिक डीहाइड्रेशन हो जाता है। लक्षण समय बीतने के साथ गंभीर होते जाते हैं। 80-90 प्रतिशत जलने पर जीवित बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है।

क्या है उपचार
अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ेगी।
रोगी के शरीर में शिराओं से तरल पदार्थों की आपूर्ति की जाती है।
कृत्रिम रूप से ऑक्सीजन देने की आवश्यकता पड़ती है।
पूरी देखभाल की आवश्यकता होती है।

क्या करें
अगर आग लग जाए तो फर्श पर लोट जाएं, धुंए की परत से नीचे। अगर आग पूरे स्थान पर फैल रही है तो बाहर निकल कर भागें।
मामूली रूप से जले हुए स्थान पर दस या पंद्रह मिनट तक ठंडा पानी डालें। ध्यान रहे कि पानी ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए।
जख्म के थोड़ा सूखने के बाद उस पर सूखी पट्टी ढीली बांधें, ताकि गंदगी और संक्रमण न फैले।
सांस नहीं चल रही हो तो सीपीआर दें।
जलने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका अत्यधिक होती है, इसलिए टिटनेस का इंजेक्शन जरूर लगाएं।

क्या न करें
गंभीर रूप से जले घाव पर कोई मलहम, क्रीम, तेल या मक्खन न लगाएं।
फफोले और मृत त्वचा को न छेड़ें, इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
अगर व्यक्ति गंभीर रूप से जला है तो उसे कुछ भी न खिलाएं।
गंभीर रूप से जले हुए अंग पानी में न डुबोएं।
जले हुए व्यक्ति के सिर के नीचे तकिया न रखें। अगर जलने से श्वास नली प्रभावित हुई होगी तो इससे श्वास मार्ग बंद हो सकता है।
घाव पर मक्खन या बर्फ न लगाएं। इससे लाभ नहीं होगा बल्कि त्वचा के ऊतक नष्ट हो जाएंगे।
अगर कपड़े जलकर चिपक चुके हैं तो उन्हें घाव से खींचकर अलग न करें।

...तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
अगर जला हुआ क्षेत्र बड़ा हो।
अगर बर्न थर्ड डिग्री का हो।
अगर बिजली का झटका लगा हो।
48 घंटे बाद भी दर्द कम न हुआ हो।
अगर बहुत प्यास लगे, चक्कर आएं।

बरतें कुछ सावधानियां
माचिस और लाइटर बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
किचन में सिंथेटिक कपड़े न पहनें।
वाटर हीटर का तापमान 120 डिग्री या उससे कम सेट करें।

क्यों जरूरी है त्वचा दान
हमारे देश में व्यावसायिक रूप से जेनोग्राफ्ट (सुअर की त्वचा) उपलब्ध नहीं है। बायोसिंथेटिक स्किन विकल्प (कृत्रिम त्वचा) अत्यधिक महंगी होने के कारण अधिकतर जले हुए मरीज इसका खर्च नहीं उठा पाते, इसलिए यदि त्वचा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंच चुका है तो उन मरीजों के लिए सिर्फ जेनोग्राफ्ट का ही विकल्प बचता है, जो कि दाता मानव से लिया जाता है। यह सस्ता होने के साथ ही सबसे प्रभावकारी भी माना जाता है। इसलिए जरूरी है कि इस बारे में जागरूकता फैलाई जाए और लोगों को त्वचा-दान के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि गंभीर रूप से जले हुए लोगों को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सके।

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