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एक्सक्लूसिव: जकरबर्ग ने कहा, हर किसी को मिले इंटरनेट की सुविधा

पिछले कुछ वक्त से देश भर में नेट न्यूट्रैलिटी के बारे में बात की जा रही है और तमाम लोग सोशल मीडिया पर इसी की चर्चा कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने हिन्दुस्तान टाइम्स और...

एक्सक्लूसिव: जकरबर्ग ने कहा, हर किसी को मिले इंटरनेट की सुविधा
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 17 Apr 2015 10:21 AM
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पिछले कुछ वक्त से देश भर में नेट न्यूट्रैलिटी के बारे में बात की जा रही है और तमाम लोग सोशल मीडिया पर इसी की चर्चा कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने हिन्दुस्तान टाइम्स और हिन्दुस्तान के लिए एक विशेष लेख लिखा है...पढ़िए नेट न्यूट्रैलिटी के बारे में क्या हैं जकरबर्ग के विचार।

पिछले एक हफ्ते में भारत में इंटरनेट डॉट ओआरजी और नेट न्यूट्रिलिटी पर बहुत कुछ लिखा गया है। मैं यहां इस विषय पर अपनी राय रखना चाहता हूं, ताकि हर कोई उसे जान सके।

सबसे पहले तो मैं एक छोटा-सा किस्सा बताऊंगा। पिछले साल मैं उत्तर भारत के एक छोटे-से गांव चंदौली गया था। उसी समय यह गांव इंटरनेट से जुड़ा था। इसी गांव के एक स्कूल की एक कक्षा में मुझे कुछ उन छात्रों से बात करने का मौका मिला, जो इंटरनेट का इस्तेमाल सीख रहे थे। वहां मेरे लिए यह सोचना एक अद्भुत अनुभव था कि इस कमरे में बैठे छात्रों में से ही किसी का बड़ा आइडिया दुनिया को बदल सकता है। अब उनके पास इंटरनेट है, जिससे वे इसे मुमकिन बना सकते हैं।

इंटरनेट आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सबसे ताकतवर औजार है। यह लोगों के लिए नौकरियों, ज्ञान और अवसरों के दरवाजे खोलता है। यह समाज के उन तबकों को आवाज देता है, जिनकी आवाज दबी रह जाती है, यह लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों से जोड़ता है। मैं मानता हूं कि दुनिया में हर किसी को इन अवसरों को हासिल करने का अधिकार मिलना चाहिए।

लेकिन दुनिया के बहुत से देशों में ऐसी सामाजिक और आर्थिक बाधाएं हैं, जो लोगों को इस नेटवर्क से जुड़ने से रोकती हैं। हर किसी के पास इंटरनेट से जुड़ने की आर्थिक हैसियत नहीं है, और कई जगहों पर इसके महत्व को लेकर जागरूकता भी काफी कम है। इस जुड़ाव के न होने की वजह से खासकर महिलाओं और गरीबों का सशक्तीकरण नहीं हो पा रहा है।

इसी समस्या को देखते हुए हमने इंटरनेट डॉट ओआरजी बनाया है, हमारी कोशिश है कि पूरी दुनिया आपस में जुड़ सके। इसके लिए हम विभिन्न देशों के मोबाइल ऑपरेटरों और सरकारों से साझेदारी कर रहे हैं। इंटरनेट डॉट ओआरजी स्थानीय भाषाओं में मूलभूत इंटरनेट सेवा मुफ्त देगा, जिसका इस्तेमाल नौकरियों, शिक्षा, स्वास्थ्य और संदेशों आदि के लिए किया जा सकेगा। इंटरनेट डॉट ओआरजी से न सिर्फ इंटरनेट से जुड़ने की लागत कम होगी, बल्कि इसके महत्व के बारे में जागरूकता भी बढ़ेगी। इसकी मदद से हर कोई दुनिया भर में मौजूद अवसरों से जुड़ सकेगा।

इस दिशा में हमने काफी प्रगति भी की है। दुनिया के आठ देशों के 60 करोड़ लोग अब इंटरनेट डॉट ओआरजी की मदद से इंटरनेट की मूलभूत सेवाओं को मुफ्त हासिल कर सकते हैं। भारत में भी हमने इन मूलभूत सेवाओं को मुफ्त उपलब्ध कराने की सेवा रिलायंस नेटवर्क पर शुरू की है। इसके जरिये तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और तेलंगाना के करोड़ों लोग इंटरनेट से जुड़ गए हैं। हमारा यह काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया इनीशिएटिव से सहयोग कर रहा है। उनके इस इनीशिएटिव का मकसद दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के लोगों में इंटरनेट का आधार बढ़ाना है।

इस प्रगति पर हमें गर्व है। लेकिन कुछ लोग इस पूरी सोच की आलोचना कर रहे हैं कि कुछ मूलभूत सेवाओं को लोगों को मुफ्त उपलब्ध कराया जाए। उनका कहना है कि जीरो रेटिंग नेट न्यूट्रिलिटी की मूल भावना का उल्लंघन है। मेरी इस बात से सख्त असहमति है।

हम भी नेट न्यूट्रिलिटी के समर्थक हैं। हम भी इंटरनेट को पूरी तरह खुला रखना चाहते हैं। नेट न्यूट्रिलिटी का मतलब होता है कि नेटवर्क ऑपरेटर कोई भेदभाव न करें, आप जिन सेवाओं को इस्तेमाल करना चाहते हैं, उसमें कोई सीमा न बांधें। इंटरनेट के खुलेपन का यह बहुत जरूरी हिस्सा है और हम पूरी तरह इसके पक्ष में हैं। लेकिन नेट न्यूट्रिलिटी का इस बात से कोई विरोध नहीं है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंटरनेट से जोड़ा जाए। नेट न्यूट्रिलिटी और सबको इंटरनेट से जोड़ना, ये दो सिद्धांत हैं, और दोनों एक साथ रह सकते हैं, दोनों एक साथ रहने भी चाहिए।

ज्यादा लोगों को इंटरनेट से जोड़ने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि कुछ सेवाएं लोगों को मुफ्त में दी जाएं। अगर आप इंटरनेट के लिए पैसा खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं, तो बेहतर होगा कि आपको इससे दूर रखने की बजाय इससे जुड़ने का थोड़ा-बहुत मौका ही दिया जाए। इंटरनेट डॉट ओआरजी न तो किसी दूसरी सेवा का रास्ता रोकता है और न ही किसी सेवा का गला घोंटता है।

इसके अलावा, हम किसी सेवा को तेज गति से हासिल करने का रास्ता (फास्ट लेन) भी नहीं बनाते। न तो हम लोगों को दूसरी सेवाओं का लाभ उठाने से रोकते हैं और न ही अपने लिए कोई फास्ट लेन इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा हम सभी मोबाइल ऑपरेटरों को इंटरनेट डॉट ओआरजी में शामिल करना चाहते हैं, हम किसी को इसमें शामिल होने से रोक नहीं रहे। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट सेवा प्रदाता इसमें शामिल हों और ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठाएं।

नेट न्यूट्रिलिटी के सिद्धांत का इस्तेमाल उन प्रयासों को रोकने के लिए नहीं होना चाहिए, जिनका मकसद समाज के वंचित और पिछड़े लोगों को इंटरनेट की सुविधा और इसके जरिये नए अवसर उपलब्ध कराना है। ज्यादा लोगों को नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश को खत्म करने से न तो लोगों का सामाजिक समावेश बढ़ेगा और न ही वह डिजिटल डिवाइड खत्म होगा, जिसमें एक तरफ इंटरनेट की सुविधा वाले लोग हैं और दूसरी तरफ इंटरनेट से वंचित लोग। इसके कारण हम दुनिया की उस दो तिहाई आबादी के विचारों और योगदान से वंचित रह जाएंगे, जो इंटरनेट से नहीं जुड़ी है।

जब लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं, तो हमें एक व्यक्ति के तौर पर और एक समुदाय के रूप में भी अद्भुत उपलब्धियां हासिल होती हैं। दुनिया के हर व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह उन अवसरों को हासिल कर सके, जिसे इंटरनेट उपलब्ध कराता है। इससे हम सबका फायदा होगा, जो लोग अभी तक इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं, उनके नजरिये, उनकी रचनात्मकता और प्रतिभा का फायदा सबको मिलेगा।

पहली बार हमारे सामने यह ऐतिहासिक अवसर आया है कि हम भारत के करोड़ों लोगों को इंटरनेट से जोड़ सकें। अब हम सबको इसके लिए मिलकर काम करना चाहिए।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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