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किसान ने छत पर शुरू की खेती

छत्तीसगढ़ में एक प्रगतिशील किसान ने जमीन छोड़ घर की छत पर ही खेती शुरू कर दी है। खेत में लगी फसल अक्सर मवेशी आकर चर जाते थे, इससे तंग आकर किसान ने खेती का यह अनोखा तरीका निकाला है। उसने अपने घर की छत...

किसान ने छत पर शुरू की खेती
एजेंसीTue, 22 Jul 2014 09:01 AM
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छत्तीसगढ़ में एक प्रगतिशील किसान ने जमीन छोड़ घर की छत पर ही खेती शुरू कर दी है। खेत में लगी फसल अक्सर मवेशी आकर चर जाते थे, इससे तंग आकर किसान ने खेती का यह अनोखा तरीका निकाला है। उसने अपने घर की छत पर धान का थरहा (नर्सरी) लगाया है, जिसमें इतने बिचड़े हैं कि 15 एकड़ खेत को आबाद किया जा सकता है।

जांजगीर चाम्पा जिले के झूलन पचरी गांव के किसान बलेसर डहरिया का धान के बिचड़ों को बचाने का यह प्रयास सफल होता दिख रहा है। किसान कृषि विभाग से पैडी ट्रांसप्लांटर (धान रोपाई यंत्र) प्राप्त कर खुद के 50 एकड़ तथा अन्य किसानों के 20 एकड़ खेत में धान की रोपाई भी करते आ रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना के अंतर्गत उन्हें तीन हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान मिल रहा है। कृषि विभाग द्वारा 100 हेक्टेयर में हाइब्रिड धान के बिचड़े लगाए गए हैं। इसमें बलेसर डहरिया का भी योगदान है।

बलेसर कहते हैं, ‘मशीन से रोपा लगाने पर प्रति एकड़ सात सौ रुपये खर्च में रोपाई हो जाती है। धान की खेती में सबसे जरूरी है बिचड़ा उगाना। हम बड़ी मेहनत से बिचड़े उगाते हैं, लेकिन उसे जानवर चर जाते हैं। तंग आकर मैंने घर की छत पर ही धान के बिचड़ों का थरहा लगा लिया है। बिचड़े बचे रहेंगे, तभी रोपाई हो पाएगी।’

ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी जे.पी. बघेल ने बताया कि एक एकड़ खेत के लिए एक मीटर चौड़ी और 20 मीटर लंबी पट्टी में थरहा लगाने की जरूरत होती है। एक एकड़ खेत में नर्सरी डालने के लिए 30 तगाड़ी गोबर खाद और 30 तगाड़ी मिट्टी की जरूरत होती है। मिट्टी को सांचे में डालकर प्रति वर्ग मीटर 960 से 1 हजार ग्राम बीज डालकर नर्सरी तैयार की जाती है।

उन्होंने बताया कि किसान अपने घर के आंगन, छत या बाड़ी में जहां पक्का स्थान हो और पानी भरने की व्यवस्था हो, नर्सरी डाल सकते हैं। नर्सरी की मिट्टी पौधे की जड़ में बंधकर खेत में चली जाती है, इसलिए मिट्टी को हटाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

किसान बलेसर की तारीफ करते हुए बघेल ने कहा कि इच्छा-शक्ति हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। यह इस किसान ने कर दिखाया है। घर की छत पर थरहा लगाना अनोखा प्रयास है। इसमें मेहनत तो दोगुनी है, लेकिन इस बात की गारंटी है कि धान के बिचड़े सुरक्षित रहेंगे। बिचड़े अच्छे तो धान की खेती भी अच्छी होना लाजिमी है।

 

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