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छत्तीसगढ़ का शिमला है मैनपाट

छत्तीसगढ़ के मैनपाट की वादियां शिमला का अहसास दिलाती हैं, खासकर सावन और सर्दियों के मौसम में। प्रकृति की अनुपम छटाओं से परिपूर्ण मैनपाट को सावन में बादल घेरे रहते हैं। लगता है, जैसे आकाश से बादल धरा...

छत्तीसगढ़ का शिमला है मैनपाट
एजेंसीSun, 27 Jul 2014 09:47 AM
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छत्तीसगढ़ के मैनपाट की वादियां शिमला का अहसास दिलाती हैं, खासकर सावन और सर्दियों के मौसम में। प्रकृति की अनुपम छटाओं से परिपूर्ण मैनपाट को सावन में बादल घेरे रहते हैं। लगता है, जैसे आकाश से बादल धरा पर उतर रहे हों। रिमझिम फुहारों के बीच इस अनुपम छटा को देखने पहुंच रहे पर्यटकों की जुबां से निकलता है...वाकई यह शिमला से कम नहीं है।

सहायक मौसम वैज्ञानिक एएम भट्ट कहते हैं कि उत्तरी छत्तीसगढ़ के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने के कारण बादल काफी नीचे आ जाते हैं। मैनपाट में पहाड़ियों से बादलों के टकराने के कारण यह नजारा देखने को मिलता है। मैनपाट के ऊपरी क्षेत्र में बादल इन दिनों जमीन के एकदम नजदीक आ गए हैं। बादलों के धरा के नजदीक आ जाने से धुंध सा नजारा है और रिमझिम फुहारें हर किसी का मन मोह रही हैं। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए सरगुजावासियों के मैनपाट आने-जाने का क्रम इन दिनों और बढ़ गया है।

मैनपाट की वादियां यों तो पहले से ही खूबसूरत हैं, लेकिन बादलों की वजह से इसकी खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं। शिमला, कुल्लू-मनाली जैसे पर्यटन स्थलों में प्रकृति की अनुपम छटा देख चुके लोग जब मैनपाट की वादियों को देखते हैं तो इसकी तुलना शिमला से करते हैं।

अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट जाने का रास्ता है। मार्ग में जैसे-जैसे चढ़ाई ऊपर होती जाती है, सड़क के दोनों ओर साल के घने जंगल अनायास ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। सावन में बादलों के कारण इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है।

मैनपाट के लोगों का कहना है कि ठंड के दिनों में भी ऐसा नजारा अक्सर देखने को मिलता है। सुबह काफी देर तक घना कोहरा छाया रहता है और दोपहर में भी धूप के बावजूद उष्णता का अहसास नहीं होता। लेकिन जुलाई महीने में मैनपाट में ऐसा नजारा देख पर्यटक अचंभित रह जाते हैं।

बादलों के काफी नीचे आ जाने के कारण सड़क ज्यादा दूर तक नजर नहीं आती। लोगों को सावधानी से वाहन चलाना पड़ता है। रिमझिम फुहारों के कारण कई स्थानों पर तो दिन में भी वाहनों की लाइट जलाने की जरूररत पड़ जाती है।

बादलों से घिरे मैनपाट के दर्शनीय स्थल हैं दलदली, टाइगर प्वाइंट और फिश प्वाइंट, जहां पहुंचकर लोग बादलों को नजदीक से देखने का नया अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यह नजारा मौसम साफ होते ही समाप्त हो जाएगा और शरद ऋतु आते ही फिर वैसा ही नजारा देखने को मिलेगा। पर्यटक यहां की अनुपम छटाओं को कैमरे में कैदकर सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट में सुविधाओं की अब कमी नहीं रह गई है। मैनपाट पहुंचने का मार्ग भी पहले से बेहतर हो गया है। अंबिकापुर से दरिमा होते हुए कमलेश्वरपुर तक पक्की घुमावदार सड़क और दोनों ओर घने जंगल मैनपाट पहुंचने से पहले ही हर किसी को प्रफुल्लित कर देते हैं।

पर्यटन विभाग ने पर्यटकों के लिए यहां एक होटल भी बनवा दिया है। इसके अलावा कुछ निजी रिसोर्ट और गेस्ट हाउस भी ठहरने के लिए उपलब्ध हैं। यही वजह है कि अब सालभर न सिर्फ सरगुजा, बल्कि प्रदेश के दूसरे कोने से भी पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों को देखने और प्रकृति को करीब से जानने के लिए पहुंचते हैं।

कलेक्टर ऋतु सैन और पुलिस अधीक्षक सुंदरराज पी. ने मैनपाट पहुंचकर कुछ और सुविधाएं जल्द शुरू करने का निर्देश दिया है। कमलेश्वरपुर में नवनिर्मित बस स्टैंड को शीघ्र शुरू किया जाएगा। यहां पर्यटकों के भ्रमण के लिए सुसज्जित वाहन उपलब्ध रहेगा। लोग अपनी वाहनें खड़ी कर संबंधित पर्यटक वाहन में मामूली किराया देकर मैनपाट के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर सकेंगे।

बताया गया है कि वाहन चालक ही गाइड का काम भी करेगा। इस व्यवस्था के लागू हो जाने से बाहर से आने वाले पर्यटकों को मैनपाट के पर्यटन स्थलों तक पहुंचने में आसानी होगी।

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