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लालग्रह के रहस्यों से पर्दा हटाएगा मंगलयान

अगर मंगलयान आगामी 24 सितंबर को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो जाता है तो उसे बेहद नजदीक से लालग्रह यानी मंगल के रहस्य को जानने का मौका मिलेगा। मंगलयान न्यूनतम 372 किलोमीटर की दूरी से मंगल के...

लालग्रह के रहस्यों से पर्दा हटाएगा मंगलयान
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 22 Sep 2014 10:25 AM
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अगर मंगलयान आगामी 24 सितंबर को मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो जाता है तो उसे बेहद नजदीक से लालग्रह यानी मंगल के रहस्य को जानने का मौका मिलेगा। मंगलयान न्यूनतम 372 किलोमीटर की दूरी से मंगल के वायुमंडल और सतह का मानचित्रण करेगा और उसकी तस्वीरें प्राप्त करेगा। 

72 घंटे में मंगल का एक चक्कर लगाएगा: मंगलयान लाल ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में घूमेगा। इस कक्षा का आकार 372 किमी से लेकर 80 हजार किलोमीटर तक है। इसरो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एक चक्कर पूरा करने में मंगलयान को कम से कम 72 घंटे का समय लगेगा। इस एक चक्कर के दौरान इसकी मंगल से जो सबसे कम दूरी होगी वह 372 किमी की होगी। इस दौरान मंगलयान में लगे पांच उपकरण अपना कार्य करेंगे और उसके चित्र इसरो के नियंत्रण कक्षों को भेजेंगे। 

इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार प्रत्येक 72 घंटे में एक मौका ऐसा आएगा जब मंगलयान लालग्रह के बेहद नजदीक से होकर गुजरेगा लेकिन हर बार इसका कोण बदल जाएगा। इसलिए इसके हर चित्र महत्वपूर्ण होंगे।

काले धब्बों का रहस्य
मंगल पर विभिन्न देशों द्वारा अब तक तीन दर्जन से भी ज्यादा अभियान भेजे जा चुके हैं। शुरुआती अभियानों से प्राप्त आंकड़ों से यह कहा गया कि मंगल पर जल स्त्रोत हो सकते हैं। लेकिन बाद में जब आगे शोध हुए तो यह पाया गया है कि जिन काले धब्बों के आधार पर जल स्त्रोत होने का दावा किया जा रहा था, वह वास्तव में प्रकाशीय भ्रम की वजह से थे। मंगलयान यदि इन काले धब्बों का रहस्य से पर्दा उठा देता है तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।

आज ही मंगल पर होगा मैवेन
मंगलयान के करीब दो हफ्ते बाद रवाना हुआ नासा का अंतरिक्षयान मैवेन सोमवार को भारतीय समयानुसार सुबह 6.30 बजे मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करेगा। मैवेन मंगल के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन कर पता लगाएगा कैसे समय के साथ उसकी जलवायु बदल गई।

पहले प्रयास में मंगल फतह करने वाला देश 
मंगलयान अगर 24 सितंबर को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ तो भारत यह कामयाबी पाने वाला पहला एशियाई देश होगा और पहले प्रयास में यह उपलब्धि करने वाला दुनिया का पहला देश भी होगा। इससे सुदूर अंतरिक्ष में कदम रखने की भारत की महात्वाकांक्षी योजना को भी पंख लगेंगे। बाहरी प्रतिबंधों के बावजूद अंतरिक्ष में इसरो की यह उपलब्धि उसके चंद्रमा पर मानव को भेजने के मिशन को भी नया आत्मविश्वास देगी। यह भारत का अब तक का सबसे लंबी दूरी का अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

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