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मरीज को टीबी की नई दवा देगी सरकार, इलाज होगा मुम्बई में

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को बताया कि जिंदगी और मौत से जूझ रही 18 साल की लड़की को क्षय रोग (टीबी) की नई दवा मुहैया कराएगी। सरकार ने कहा है कि टीबी के इस मरीज के लिए मुम्बई के एक डॉक्टर के...

मरीज को टीबी की नई दवा देगी सरकार, इलाज होगा मुम्बई में
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 21 Jan 2017 12:10 AM
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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को बताया कि जिंदगी और मौत से जूझ रही 18 साल की लड़की को क्षय रोग (टीबी) की नई दवा मुहैया कराएगी। सरकार ने कहा है कि टीबी के इस मरीज के लिए मुम्बई के एक डॉक्टर के देखरेख में दवा मुहैया कराई जाएगी। मरीज को नई दवा देने के लिए उसके पिता की भी सहमति ली गई है।

जस्टिस संजीव सचदेवा ने इसके साथ ही नई दवा की मांग को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा कर दिया। उन्होंने सरकार और मरीज के पिता के बीच तय शर्तों के आधार पर दवा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा है कि यह आदेश विशेष परिस्थिति में पारित किया गया है और इसे नजीर के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है। सरकार और लड़की के पिता के बीच तय शर्तों के अनुसार इलाज करने वाले डॉक्टर को टीबी की नई दवा बेडाक्वीलाइन के लिए केंद्रीय औषधि महानियंत्रक के समक्ष अर्जी दाखिल करना होगा। सभी शर्तों को पूरा करने पर इस आवेदन को 24 घंटे के भीतर मंजूरी दे दी जाएगी। का दवा मुहैया करा दी जाएगी। केंद्रीय औषधि महानियंत्रक से मंजूरी मिलने के बाद डॉक्टर अपने आवेदन को दवा बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जॉनसॉन एंड जॉनसॉन को देगी, जहां से कंपनी दवा मुहैया करा देगी।

अमेरिकी कंपनी जानसॉन एंड जानसॉन टीबी की इस नई दवा को बनाती है और भारत में दिल्ली में दो केंद्रों के अलावा मुम्बई, चेन्नई, अहमादाबाद गुहाटी में एक-एक केंद्र पर यह दवा मिलतीहै। इससे पहले दिल्ली में इस दवा को देने के लिए अधिकृत लाला राम स्वरूप टीबी अस्पताल ने मरीज को बेडाक्वीलाइन देने से इनकार कर दिया था। अस्पताल ने कहा था कि यदि टीबी की नई दवा उचित परीक्षणों के बगैर इस बीमारी के दवा प्रतिरोधी स्वरूप से पीड़ित मरीज को दी जाती है तो यह विकृति पैदा हो सकती है जो इस दवा का भी प्रतिरोधी होगा। हालांकि दो दिन पहले इस अस्पताल ने अपने रूख में बदालव करते हुए हाईकोर्ट में कहा था वह मरीज को उचित परीक्षण के बगैर नई दवा मुहैया कराने को तैयार है। यह नई दवा केवल सशर्त राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ही उपलब्ध कराई जाती है।

मूल रूप से बिहार निवासी मरीज की पिता कैलाश त्रिपाठी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने हाईकोर्ट को बताया था कि लड़की को मुम्बई स्थित कैम अस्पताल में जांच के लिए भर्ती कराया गया है। लड़की के पिता ने याचिका में मांग की थी कि यदि अस्पताल बिना आगे परीक्षण किए नई दवा देने का जोखिम लेने को इच्छुक नहीं है तो उन्हें यह दवा उपलब्ध करा दी जाए और वह किसी अन्य अस्पताल या डॉक्टर के मार्गदर्शन में मरीज को यह दवा देंगे।

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