जेएनयू के प्रशासनिक भवन से छात्रों ने कब्जा छोड़ा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रशासनिक भवन पर 9 फरवरी से जारी छात्रों का कब्जा आखिकार खत्म हो गया। सोमवार को सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने-अपने दफ्तरों में काम किया। जेएनयू...
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रशासनिक भवन पर 9 फरवरी से जारी छात्रों का कब्जा आखिकार खत्म हो गया। सोमवार को सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने-अपने दफ्तरों में काम किया। जेएनयू प्रशासन ने छात्र प्रतिनिधियों से नाम मांगें हैं जिन्हें कुलपति से मिलना है।
जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन लंबे कब्जे के बाद जेएनयू छात्र संगठन और खुद को कमेटी ऑफ सस्पेंडेड स्टूडेंट्स कहने वाले छात्रों ने मुक्त कर दिया है। इसके बाद 27 फरवरी को प्रशासनिक भवन में सामान्य कामकाज शुरू हो गया। प्रो. कुमार के मुताबिक कर्मचारियों और अधिकारियों ने अपना काम बिना कोई समय व्यर्थ किए शुरू कर दिया ताकि बचा हुआ काम जल्द से जल्द खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि उनकी वजह से विश्वविद्यालय को ऐसा नुकसान हो चुका है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रदर्शन से बचा जाना चाहिए।
कुलपति के मुताबिक जेएनयू के शांतिपूर्वक और किसी को नुकसान पहुंचाए बिना होने वाले प्रदर्शन की परंपरा का क्षरण हुआ है। इस क्षरण को तुरंत रोकना जरूरी है। फिर भी जेएनयू प्रशासन का धैर्य काबिले तारीफ है। इस दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों और छात्रों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है, इसके बाद भी उन्होंने अपना आपा नहीं खोया। इसकी भी प्रसंशा की जानी चाहिए। कुलपति सहित जेएनयू का पूरा प्रशासन हर मुद्दे पर शातिंपूर्ण चर्चा और बातचीत चाहता है। इसके लिए जेएनयू प्रशासन ने छात्र प्रतिनिधियों से उनके नाम, भेजने को कहा है ताकि यूजीसी 2016 गजट अधिसूचना और जेएनयू प्रवेश नीति पर बात की जा सके। बैठक का दिन, समय और स्थान बाद में सूचित किया जाएगा।
हम हल चाहते हैं न कि टकराव
कमेटी ऑफ सस्पेंडेड स्टूडेंट्स के सदस्य दिलीप कुमार ने कहा कि हम जेएनयू प्रशासन से अपने सवालों के हल चाहते हैं न कि टकराव। उन्होंने बताया कि हमने प्रशासनिक भवन को पूरी तरह से खाली कर दिया है और संभावना है कि मंगलवार को कुलपति से मुलाकात में सभी मुद्दों का हल मिल जाए।