सफाई शुल्क के लाखों रुपए नहीं पहुंचे निगम, बैठी जांच
मौहल्लों से कूड़ा उठाने के बदले लिए जाने वाले सफाई शुल्क के लाखों रुपए नगर निगम नहीं पहंुचे हैं। ऐसे में आउटसोर्स सुपरवाईजरों से निगम इस पैसे की वसूली कर सकता है। घर-घर से कूड़ा उठान का काम आउटसोर्स...
मौहल्लों से कूड़ा उठाने के बदले लिए जाने वाले सफाई शुल्क के लाखों रुपए नगर निगम नहीं पहंुचे हैं। ऐसे में आउटसोर्स सुपरवाईजरों से निगम इस पैसे की वसूली कर सकता है।
घर-घर से कूड़ा उठान का काम आउटसोर्स कर्मचारी करते हैं। इसके बदले लिए जाने वाले सफाई शुल्क वसूली की जिम्मेदारी सफाई सुपरवाईजरों कर रहती है। जुलाई माह में सफाई शुल्क से 12.22 लाख रुपए की आय हुई थी, जो कि लक्ष्य से कम है। अगस्त माह में यह आय घटकर 9.72 लाख हो गई। बाकी पैसा कहां गया, इस बारे में निगम को कोई जानकारी नहीं है। सितंबर माह का लाखों रूपया भी निगम में नहीं आया है। ऐसे में आउटसोर्स सुपरवाईजरों पर शक है कि उन्होंने वसूले गए सफाई शुल्क के लाखों रुपए ठिकाने लगा दिए। इस मामले में नगर निगम ने 20 से अधिक सुपरवाईजरों का वेतन रोक दिया है। निगम सफाई शुल्क का पैसा सुपरवाईजरों से वसूल सकता है। नगर आयुक्त नितिन भदौरिया ने कहा कि जांच शुरू कर दी है। किस वार्ड से कितना पैसा आया, इसका ब्योरा तैयार किया जा रहा है। इसके बाद कार्रवाई होगी।
क्लेक्शन इंजार्च पर लगाया गंभीर आरोप
वेतन रूकने से नाराज आउटसोर्स सुपरवाईजर वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी से मिले। उन्होंने वेतन न मिलने की बात कही। फिर सुपरवाईजरों ने वहां मौजूद क्लेक्शन इंचार्ज शिशुपाल रावत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन्होंने ही पैसा निगम में जमा करने से मना किया था। कहा था कि जब वेतन मिलेगा, तब पैसा जमा करना। इस पर क्लेक्शन एजेंट से आरोप बेबुनियाद बताए। हालांकि वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कैलाश गुंज्याल ने साफ कहा कि सुपरवाइजर नगर आयुक्त को यह बता दे कि किसने कितना पैसा निगम का देना है। वरना वेतन नहीं मिलेगा।
यह है स्थिति
25 फीसदी सुपराईजर 67 प्रतिशत से अधिक पैसा वसूल रहे। 12 फीसदी सुपरवाईजर 50 फीसदी तक वसूल रहे। दस फीसदी सुपरवाईजर 20 फीसदी से भी कम पैसा वसूल कर निगम को दे रहे। इसके अलावा रिस्पना, बकरालवाला, अधोईवाला, रेसकोर्स, धामावाला, इंदिरा कालोनी, इंद्रेश नगर, लक्खीबाग और गोविंगढ़ से एक भी पैसा सफाई शुल्क में निगम को नहीं मिल रहा है।