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खट्टी-मीठी स्वाद के कारण सिंहभूम में खाते हैं लाल चींटी

देश में चींटियों की प्रजातियों में से एक कुरकुट (लाल चींटी) को आदिवासी लजीज व्यंजन के साथ दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह छोटी चींटियों से थोड़ी बड़ी होती हैं। खट्टी-मीठी स्वाद के कारण सिंहभूम...

खट्टी-मीठी स्वाद के कारण सिंहभूम में खाते हैं लाल चींटी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Apr 2017 08:11 PM
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देश में चींटियों की प्रजातियों में से एक कुरकुट (लाल चींटी) को आदिवासी लजीज व्यंजन के साथ दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। यह छोटी चींटियों से थोड़ी बड़ी होती हैं। खट्टी-मीठी स्वाद के कारण सिंहभूम के लोग कुरकुट को आदिवासी पसंद करते हैं।

झारखंड में लगने वाले बाजार में कुरकुट की बिक्री होते देखी जा सकती है। हाट-बाजार में पहले ये पांच रुपये में एक दोना मिलती थीं, लेकिन अब इनकी कीमत 20 रुपये दोना हो गई है। चक्रधरपुर के गुदड़ी बाजार में बुधवार व रविवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट में यह आसानी से मिल जाती हैं। सुदूरवर्ती क्षेत्र के ग्रामीण कुरकुट को बाजार में बेचने के लिए पहुंचते हैं।

ऐसे मिलती हैं लाल चींटियां : सारंडा के जंगलों में गर्मी के दिनों में साल के पत्तों पर लाल चींटियों घोंसला बनाकर रहती हैं। इसमें मादाएं भी होती हैं, जो काफी संख्या में अंडे देती हैं।

कुरकुट में होता है डंक : कुरकुट का डंक जहरीला होता है, लेकिन जानलेवा नहीं होता। यह कहना है चक्रधरपुर बाजार में कुरकुट खरीदने आई बुधनी देवी का। बुधनी ने बताया कि यह गर्मी में ही मिलती हैं। लोग इसकी चटनी और सब्जी बनाकर खाते हैं। आयुर्वेद के डॉक्टर इसे विभिन्न इलाज में दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

प्रोटीन युक्त होती हैं लाल चींटियां : रेलवे में डॉक्टर कैलाश नाथ ने बताया कि लाल चींटियों में मांसाहारी चीजों की तरह प्रोटीन होती है। खाने में ये खट्टी-मीठी लगती हैं। ग्रामीण चिकित्सक दवा के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं।

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