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शेयर बाजार को नए साल से उम्मीद, सुधार बढ़ेंगे, ब्याज दरें घटेंगी

शेयर बाजार को वर्ष 2013 से काफी उम्मीदें हैं। बाजार को उम्मीद है कि नए साल में महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार आगे बढ़ेंगे, ब्याज दरें नीचे आएंगी और कर प्रशासन में आमूलचूल बदलाव...

शेयर बाजार को नए साल से उम्मीद, सुधार बढ़ेंगे, ब्याज दरें घटेंगी
Mon, 31 Dec 2012 03:33 PM
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शेयर बाजार को वर्ष 2013 से काफी उम्मीदें हैं। बाजार को उम्मीद है कि नए साल में महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार आगे बढ़ेंगे, ब्याज दरें नीचे आएंगी और कर प्रशासन में आमूलचूल बदलाव होगा।

भारी उठा-पटक के बावजूद 2012 आखिरकार शेयर बाजार के लिए अच्छा रहा और बेंचमार्क सूचकांक में करीब 25 फीसद की बढ़त दर्ज की गई। हालांकि, निवेशक 2013 में ज्यादा स्थिर परिस्थितियों की उम्मीद कर रहे हैं।

विशेषज्ञों को वर्ष के दौरान सरकार की ओर से नीतिगत मोर्चे पर प्रयास तेज होने की उम्मीद है। उन्हें रिजर्व बैंक और सेबी जैसे नियामकों द्वारा अनुकूल नीतिगत पहल की उम्मीद है। इसके अलावा शेयर बाजार पहले से प्रस्तावित सुधारों के लागू होने और 2013 में कंपनियों की आय में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है।

आदित्य ट्रेडिंग सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक विकास जैन ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति 2013 में भारतीय शेयर बाजार के लिए सबसे बड़ी उत्प्रेरक नजर आती है। आने वाले दिनों में यदि प्रस्तावित सीधे नकदी हस्तांतरण योजना लागू होती है, तो इससे भी निवेशकों का रुख बदलेगा। बहु-प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भी बाजार पर असर होगा।

उन्होंने कहा कि ब्याज दरों की कटौती का बेसब्री से इंतजार कर रहा भारतीय निवेशक मुद्रास्फीति में भी कमी का इंतजार कर रहा है। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए मार्च 2010 से अक्टूबर 2011 के बीच मुख्य नीतिगत दरें 13 बार बढ़ाई (3.75 फीसद बढ़ाई)।

आरबीआई ने हालांकि संकेत दिया है कि मुद्रास्फीति में कमी के मद्देनजर जनवरी में होने वाली मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में दरों में कटौती की जा सकती है। जैन ने कहा कि सेंसेक्स में 2012 में अब तक करीब 25 फीसद बढ़ोतरी दर्ज हुई है, जिससे बाजार में जान आई है। हालांकि, आने वाले समय में बाजार की स्थिति कंपनियों की आय, राजकोषीय घाटे व मुद्रास्फीति पर निर्भर करेगी।

एडेलवेस फिनांशल सर्विसेज के अनुसंधान प्रमुख विनय खट्टर के मुताबिक पहली उम्मीद आरबीआई से है। बाजार को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक 2012-13 की चौथी तिमाही में रेपो दरों में कटौती करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख जारी रहता है, तो आरबीआई जनवरी में मुख्य नीतिगत दरों में कटौती का विकल्प अपना सकता है।

मुख्य दरों में कटौती के संबंध में खट्टर ने कहा कि हालांकि, आरबीआई काफी समय से दरों में कटौती से बचती रही है, लेकिन उम्मीद है कि 2012-13 की आखिरी तिमाही में कटौती हो सकती है। बाजार विशेषज्ञों को भारतीय बाजार का दृष्टिकोण सकारात्मक रहने की उम्मीद है।

खट्टर ने कहा है कि हमें भारतीय शेयरों में 13-15 फीसद की बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसका मतलब होगा कि अगले 12 महीने में सेंसेक्स का लक्ष्य 22,000 से 22,500 होगा। सरकार के सुधार के एजेंडे से निवेशकों का रुख और कारोबारी भरोसा बढ़ा है, जिससे विदेशी निवेश भी बढ़ा है।

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