अगले सप्ताह बीमा विधेयक पेश होने की संभावना
राज्यसभा की प्रवर समिति ने बीमा विधि संशोधन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में बीमा क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। केंद्र सरकार यह विधेयक अगले सप्ताह के शुरू...
राज्यसभा की प्रवर समिति ने बीमा विधि संशोधन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में बीमा क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। केंद्र सरकार यह विधेयक अगले सप्ताह के शुरू में राज्यसभा में पेश कर सकती है। सरकार को विधेयक पर कांग्रेस के समर्थन की उम्मीद है। लेकिन तृणमूल कांग्रेस,सपा, माकपा और जदयू ने रिपोर्ट पर असहमति पत्र देकर अपना विरोध जाहिर कर दिया है। सरकार अब इन दलों को साधने का प्रयास कर रही है। एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि हो सकता है कुछ दल विरोध के चलते वाकआउट करें लेकिन विधेयक पारित कराने में कोई अवरोध नहीं होगा।
चंदन मित्रा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमा कंपनियों पर जुर्माना उनके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता के अनुरुप लगना चाहिए। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इसमें मनमाने तरीके से व्याख्या की गुंजाइश नहीं होना चाहिए बल्कि प्रावधानों को स्पष्ट किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा बढमकर 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।
स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र को प्राथमिकता
प्रवर समिति इस मुद्दे पर एकमत थी कि जीवन और साधारण बीमा के मुकाबले स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में न्यूनतम चुकता शेयर पूंजी को कम नहीं किया जाना चाहिये। समिति ने स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र को शीर्ष प्राथमिकता दिये जाने पर जोर दिया है। समिति ने सुझाव दिया है कि इस क्षेत्र के लिये पूंजी आवश्यकता को 100 करोड़ रुपए पर बरकरार रखा जाना चाहिए ताकि नागरिकों को स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण सेवायें देने के लिये बीमा कंपनियों के पास पर्याप्त क्षमता हो।
पारित हो विधेयक
रिपोर्ट में कहा गया है, बीमा विधेयक को पारित किया जाना चाहिये। समिति ने यह भी कहा है कि उसने जो सिफारिशें की है सरकार उनके अनुरूप और उपाय भी कर सकती है। समिति ने कहा है कि विधि मंत्रालय और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण,इरडा को शब्द नामित व्यक्ति के संबंध में संशय अथवा संदेह को दूर करने के लिये इसकी परिभाषा स्पष्ट करना चाहिये। उच्चतम न्यायालय ने सुझाव दिया है कि नामित व्यक्ति की दो श्रेणियों लाभार्थी नामित और संग्रहकर्ता नामित की आवश्यकता नहीं है।
समिति ने एजेंटों को उचित कमीशन की समुचित प्रणाली स्थापित करने और कमीशन की दरें बाजार परिस्थितियों के अनुरूप इरडा द्वारा तय किये जाने की सिफारिश की है।
चार दलों ने जताया विरोध
तृणमूल और माकपा समेत चार राजनीतिक दलों के सदस्यों ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश सीमा बढ़ने का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह न तो इस क्षेत्र के लिए न ही पालिसीधारकों के हित में होगा। बीमा विधेयक पर प्रवर समिति की रिपोर्ट के साथ संलग्न असहमति पत्र में माकपा के सांसद पी राजीव, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और जदयू के क़े सी़ त्यागी ने कहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में और बढ़ोतरी भारतीय बीमा क्षेत्र एवं अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है और यह पालिसीधारकों के खिलाफ है। एक अलग असहमति पत्र में तृणमूल के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में बढ़ोतरी न तो आवश्यक है और न ही प्रासंगिक। इसलिए सुझाव देता हूं कि बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत तक सीमित रखी जा सकती है और पोर्टफोलियो निवेश को किसी भी स्थिति में मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए।