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टूर ऑपरेटर वादे से मुकरे तो मांग सकते हैं मुआवजा

एक उपभोक्ता ने टूर ऑपरेटर से विशेष योजना के तहत चीन में भ्रमण के लिए पैकेज लिया। उपभोक्ता वहां विशेष मेले में भ्रमण के लिए जाना चाहता था। टूर ऑपरेटर ने उससे वहां घुमाने का वादा किया और उपभोक्ता को दी...

टूर ऑपरेटर वादे से मुकरे तो मांग सकते हैं मुआवजा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 01 Feb 2015 11:12 AM
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एक उपभोक्ता ने टूर ऑपरेटर से विशेष योजना के तहत चीन में भ्रमण के लिए पैकेज लिया। उपभोक्ता वहां विशेष मेले में भ्रमण के लिए जाना चाहता था। टूर ऑपरेटर ने उससे वहां घुमाने का वादा किया और उपभोक्ता को दी गई सूचना पुस्तिका में भी इसकी जानकारी दी गई थी। लेकिन उपभोक्ता अपने एक दोस्त के साथ जब संबंधित स्थान पर पहुंचा तो वहां किसी भी मेले का आयोजन नहीं था।

पूछताछ में पता चला कि मेला एक माह पहले की खत्म हो गया था। उपभोक्ता ने टूर ऑपरेटर से इसकी शिकायत की और पैसे वापस करने को कहा। लेकिन टूर ऑपरेटर ने सूचना-पुस्तिका में शर्तो का हवाला देकर किसी भी तरह का मुआवजा देने से इनकार किया।

इसके बाद उपभोक्ता ने जिला उपफोक्ता फोरम में सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के आधार पर शिकायत करते हुए मुआवजे की मांग की। यहां उपभोक्ता ने कहा कि उसने यात्रा के एवज में 77,700 रुपये का भुगतान किया। उससे वादा किया गया था कि मेले में 7,500 के करीब स्टॉल देखने को मिलेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। इसके साथ ही जिस होटल में ठहराया गया वहां एक दिन तक एसी भी खराब रहा। यहां टूर ऑपरेटर ने दलील में कहा कि सूचना-पुस्तिका की शर्तो में साफ लिखा था कि यात्रा के स्थान में परिवर्तन संभव हो सकता है। ऐसे में उसकी ओर से किसी तरह की गलती नहीं है जिसकी वजह से वह मुआवजा नहीं दे सकता है। जिला फोरम ने मामले पर गौर करते हुए टूर ऑपरेटर से पैसा वापस करने और दो हजार रुपये वाद खर्च  देने को भी कहा।

इस फैसले के खिलाफ ऑपरेटर ने राज्य आयोग में अपील की। यहां उपभोक्ता ने कहा कि वह कारोबार के मकसद से मेले का भ्रमण करना चाहता था लेकिन उसे वंचित होना पड़ा। राज्य आयोग ने कहा कि विज्ञापन में गलत तथ्य देना गैर-कानूनी है और यहां ऑपरेटर ने गलत विज्ञापन से उपभोक्ता को गुमराह किया है। अत: आयोग ने जिला फोरम के फैसले को बरकार रखा। इसके बाद टूर ऑपरेटर ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में रिवीजन याचिका दायर की। राष्ट्रीय आयोग ने जिला फोरम के फैसले को बरकरार रखते हुए ऑपरेटर को कंज्यूमर लीगल एड फंड में पांच हजार रुपये जमा कराने का आदेश दिया।

ऑर्बिट टूर एंड ट्रेड फेयर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम विवियन रॉड्रिग्स एनसीडीआरसी वॉल्यूम 4, दिसंबर 2014, सीपीजे 639

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