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वित्तीय सुधारों को अब आगे बढ़ाने का समय: राजन

वित्तीय क्षेत्र में सुधार की जरूरत को रेखांकित करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने इस बात पर जोर दिया कि काम पूरा करने का समय आ गया है। सुधार प्रक्रिया आगे बढ़ाने और आर्थिक...

वित्तीय सुधारों को अब आगे बढ़ाने का समय: राजन
एजेंसीThu, 09 Oct 2014 01:11 PM
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वित्तीय क्षेत्र में सुधार की जरूरत को रेखांकित करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने इस बात पर जोर दिया कि काम पूरा करने का समय आ गया है। सुधार प्रक्रिया आगे बढ़ाने और आर्थिक वृद्धि की गति तेज करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति यहां है।

भारतीय वाणिज्य दूतावास ने आरबीआई गवर्नर के हवाले से ट्विटर पर जारी संदेश में कहा वित्तीय सुधार मुश्किल नहीं है, हमारे पास सुधार की राजनीतिक इच्छा है। वह कल यहां आयोजित समारोह में बोल रहे थे। राजन के हवाले से एक अन्य ट्वीट में कहा गया वादा पूरा करने का समय अब शुरू हो गया है। हमें काम पूरा करने पर ध्यान देने की जरूरत है।

महावाणिज्य दूतावास द्वारा इंडिया-अमेरिका चेंबर ऑफ कामर्स के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के केंद्रीय बैंक के प्रमुख कल यहां वित्तीय और निवेश बैकिंग क्षेत्र से जुड़े प्रमुख एवं प्रभावशाली भारतीय अमेरिकी कारोबारियों के समूह को संबोधित कर रहे थे।

राजन ने उन प्रमुख क्षेत्रों जिनमें बदलाव और तुरंत कार्यान्यवयन की जरूरत है, का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश करने का अब सही समय है। वाणिज्य दूतावास की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बुनियादी ढांचा विकास, मानव पूंजी की गुणवत्ता में सुधार, अच्छे कारोबार के लिए अनूकूलतम नियमन और वित्तीय क्षेत्र में विस्तृत सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और विकास का अगला चरण होना चाहिए।

राजन ने भारतीय अमेरिकी कारोबारी समुदाय को कार्यान्वयन प्रक्रिया की बारीकियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि ऐसी सहभागिता मुश्किल नहीं है विशेष तौर पर तब जबकि भारत सरकार में सुधार की राजनीतिक इच्छाशक्ति है। राजन के हवाले से बयान में कहा गया पिछले कुछ सालों में भारत पुराने र्ढे पर चलने वाले संस्थानों की जद से आगे बढ़ चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थान तभी तक बेहतर ढंग से काम करते रहे हैं जब तक हम संसाधनों का आवंटन सीधे करते रहे हैं, यह हमारे लिये राजस्व का स्रोत थे। यह वक्त ऐसा था जबकि आप अपने हाथों से कोयला निकाल सकते थे।

राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब इस मॉडल के साथ काम नहीं कर सकती। जिस तरह पिछले दशक की आर्थिक नरमी पर प्रबल लोकतांत्रिक बदलाव हुए ऐसी ही प्रतिक्रिया संस्थानों में भी हुई है। विज्ञप्ति में कहा गया कि उन्होंने बदलाव की चर्चा को अब क्रियान्वयन और काम पूरा कर उसका लाभ पहुंचाने की स्थिति तक पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया।

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