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आरबीआई की नीतिगत दर में बदलाव नहीं, फिलहाल नहीं घटेगी ईएमआई

ब्याज दरों में कमी के सरकार और उद्योग जगत के दबाव को दरकिनार करते हुये रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक के इस कदम से फिलहाल आवास ऋण और दूसरे कर्जों पर ब्याज...

आरबीआई की नीतिगत दर में बदलाव नहीं, फिलहाल नहीं घटेगी ईएमआई
एजेंसीTue, 04 Aug 2015 03:21 PM
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ब्याज दरों में कमी के सरकार और उद्योग जगत के दबाव को दरकिनार करते हुये रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक के इस कदम से फिलहाल आवास ऋण और दूसरे कर्जों पर ब्याज दर कम होने की उम्मीदों को झटका लगा है।

रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने खाद्य पदार्थों की ऊंची महंगाई दर और बैंकों द्वारा पिछली कटौतियों का लाभ पूरी तरह ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने को नीतिगत दर में और कटौती नहीं करने की प्रमुख वजह बताया। गवर्नर ने कहा इस साल अब तक नीतिगत दर में जितनी कटौती की गई उसकी तुलना में आधे से भी कम लाभ बैंकों ने ग्राहकों को दिया है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान मौद्रिक नीति की तीसरी समीक्षा करते हुये राजन ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 7.25 फीसदी और बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा। रेपो दर वह दर होती है जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से अल्पकालिक जरुरतों को पूरा करने के लिये नकदी लेते हैं जबकि सीआरआर बैंकों के पास जमा राशि का वह हिस्सा है जिसे बैंकों को केन्द्रीय बैंक के नियंतत्रण में रखना होता है।

रिजर्व बैंक ने इस साल जनवरी के बाद से अब तक रेपो दर में तीन बार में 0.75 प्रतिशत कटौती की है। राजन ने कहा है कि बैंकों ने अब तक इस कटौती में से मात्र 0.3 प्रतिशत कटौती का लाभ ही ग्राहकों को दिया है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति में वर्ष की शुरुआत में जून में ही कदम उठा लिया गया, ऐसे में मौजूदा स्थिति में दरों को स्थिर रखना समझदारी होगी, हालांकि इसके साथ ही मौद्रिक नीति में समायोजन से जुड़े उपायों को बरकरार रखा गया है।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि नीतिगत दर में और कटौती की गुंजाइश तभी बनेगी जब बैंक पहले की गई कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को उपलब्ध करा दें, खाद्य कीमतों में कमी आये और अमेरिका के फेडरेल रिजर्व द्वारा नीति के सामान्य होने का संकेत मिल जाये। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कल नीतिगत दर में चौथी कटौती के लिये यह कहते हुये दबाव बनाया था कि मौद्रिक नीति के तहत कदम उठाने के लिये मुद्रास्फीति ही एकमात्र वजह नहीं हो सकती है।

नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करने के पीछे रिजर्व बैंक की यह सोच है कि वह कमजोर मानसून और अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा अगले महीने ब्याज दर में संभावित वृद्धि होने के मद्देनजर मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में लगातार मजबूती आना सबसे बड़ी चिंता की बात है। आने वाले महीनों में हाल में बने सतत मुद्रास्फीतिकारी दबाव सहित जो खास तरह की अनिश्चितता बनी हुई है, वह मानसून की प्रगति के साथ साथ फेडरल रिजर्व के आगामी कदम के बाद स्पष्ट हो जायेगी।

जनवरी से मार्च 2016 के दौरान मुद्रास्फीति अनुमान 0.2 प्रतिशत कम रहने का है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि आर्थिक परिदृश्य में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। उसने 2015-16 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.6 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि वह अलग-अलग प्रकार के नये बैंकों के पहले लाइसेंस की सूची इस माह के अंत तक जारी कर देगा।

नीतिगत दर तय करने के मामले में रिजर्व बैंक गवर्नर के अधिकारों में कटौती के विवादास्पद मुद्दे पर राजन ने कहा कि किसी एक व्यक्ति द्वारा निर्णय लेने के बजाय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रमुख नीतिगत दर तय करे यह बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि एमपीसी के बारे में विस्तत ब्यौरा अभी आना बाकी है लेकिन इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक और सरकार के बीच किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है।

वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय वित्तीय संहिता का संशोधित मसौदा जारी किया था। इसमें रिजर्व बैंक गवर्नर के वीटो अधिकार को समाप्त करने और मौद्रिक नीति समिति में सात सदस्यों को शामिल करने की बात कही गई है जो कि प्रमुख नीतिगत दर तय करने के बारे में बहुमत के आधार पर फैसला करेगी।

मौद्रिक नीति समिति के सात सदस्यों में से चार सरकार के प्रतिनिधि होंगे जबकि बाकी रिजर्व बैंक की तरफ से होंगे। राजन ने उम्मीद जताई कि तीसरी तिमाही से कर्ज की मांग बढ़ेगी। ऐसे में बैंकों को दरों में कटौती से फायदा होगा और उन्हें नये कर्ज ग्राहक मिलेंगे और लेनदेन बढ़ेगा।

राजन ने बैंकों में और पूंजी डालने के सरकार के फैसला का स्वागत करते हुये कहा कि नकदी की स्थिति में सुधार आयेगा और ऋण वृद्धि तथा लेनदेन बढ़ेगा। खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि जून की खुदरा मुद्रास्फीति के बढ़ कर 5.4 प्रतिशत तक पहुंच जाने से आगे की मुद्रास्फीति के अनुमान ऊंचे हो गए हैं। हालांकि, उन्होंने विश्वास जताया कि वर्ष 2016 के प्रारंभ तक यह 6 प्रतिशत के अनुमान तक ही सीमित रहेगी।

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