एचटी समिट: अमीरों को नहीं मिलेगी गैस सब्सिडी
पेट्रोल और डीजल को बाजार मूल्य पर लाने के बाद केंद्र सरकार ने गैस सब्सिडी के भारी भरकम बोझ पर नजरें गड़ा दी हैं। एचटी लीडरशिप समिट में शुक्रवार को बोलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार...
पेट्रोल और डीजल को बाजार मूल्य पर लाने के बाद केंद्र सरकार ने गैस सब्सिडी के भारी भरकम बोझ पर नजरें गड़ा दी हैं। एचटी लीडरशिप समिट में शुक्रवार को बोलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार अमीर लोगों को रसोई गैस सिलेंडर पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद करने पर विचार कर रही है।
कड़े आर्थिक सुधारों की ओर बढ़ने का संकेत देते हुए जेटली ने सवाल उठाया कि अब हमें फैसला लेना है कि क्या उनके जैसे लोगों को एलपीजी सब्सिडी मिलनी चाहिए। इस पर सरकार जितनी जल्दी कोई निर्णय लेगी, उतना बेहतर होगा।
जेटली ने कहा कि अगर शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व निर्णय लेने की क्षमता रखता हो, तो जटिल फैसले भी आसान हो जाते हैं। किसी को कोयला ब्लॉक पर फैसला करने या फिर स्पेक्ट्रम अथवा प्राकृतिक संसाधनों या डीजल और गैस मूल्य पर फैसला करने के लिए बरसों का इंतजार नहीं करना होता। नई सरकार समय न खराब करते हुए आर्थिक सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ेगी।
बीमा बिल, जीएसटी पर संसद में प्रस्ताव
जेटली ने बताया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पेश कर दिया जाएगा। बीमा क्षेत्र में सरकार एफडीआई को 26 से बढ़कर 49 फीसदी करने के करीब है, इस पर भी संसद की मुहर बाकी है।
1991 के आर्थिक सुधार 15 साल पहले लागू होने थे
जेटली ने कहा कि हमने 70 और 80 के दशक में तेज आर्थिक विकास के अवसर को गंवा दिया। वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण का जो दौर शुरू हुआ, वह 15 वर्ष पहले शुरू हुआ होता तो बेहतर था। उन्होंने कहा कि देश तभी बढ़ेगा जब राज्य मजबूत होंगे। हरियाणा और राजस्थान सरकार ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जो लोकलुभावन फैसले लिए, वे बेकार साबित हुए।
यूपीए के फैसलों पर उठाए सवाल
रिट्रोस्पैक्टिव टैक्स (बीते हुए सौदों पर लागू कर ) का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर निर्णय निवेश के अनुकूल नहीं होगा तो निवेशक दूसरी जगह चले जाएंगे। निवेश के अनुकूल माहौल बनाना और भूमि अधिग्रहण की कठिनाइयों को दूर करने सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि उन्होंने कर बोझ कम करने को भी चुनौतीपूर्ण बताया।
मुंबई हाईकोर्ट में ब्रिटिश कंपनी शेल के खिलाफ आयकर विभाग का मामला खारिज होने की ओर इशारा करते हुए जेटली ने कहा कि न टिक सकने वाली कर मांग से निवेश की पसंद के तौर पर हमारी साख को धक्का लगने के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा। ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन के खिलाफ 20 हजार करोड़ रुपये की देनदारी का ऐसा ही मामला अभी अदालत में है।