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सस्ते ऑफर से विमान यात्रियों की चांदी, कंपनियां बेहाल

इस साल की शुरुआत से अब तक देश में विमान किराये में करीब 12 से अधिक बार कटौती की जा चुकी है। विमान यात्रियों के लिए यह बेहद फायदेमंद है। विमान कंपनियों को इससे नए यात्री जोड़ने में सफलता तो मिल रही...

सस्ते ऑफर से विमान यात्रियों की चांदी, कंपनियां बेहाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 30 Aug 2014 12:06 PM
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इस साल की शुरुआत से अब तक देश में विमान किराये में करीब 12 से अधिक बार कटौती की जा चुकी है। विमान यात्रियों के लिए यह बेहद फायदेमंद है। विमान कंपनियों को इससे नए यात्री जोड़ने में सफलता तो मिल रही है, लेकिन सस्ते किराये की इस होड़ से उनका घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस पहल को घरेलू विमान उद्योग के लिए एक संकट के तौर पर भी देखा जा रहा है।

सबसे पहले जनवरी में स्पाइस जेट ने विमान किराया घटाया। उसके बाद इंडिगो और गो एयर भी सस्ते किराये की होड़ में शामिल हो गई। जून में एयरएशिया इंडिया ने अपने परिचालन शुरू करने के मौके पर महज पांच रुपये में हवाई यात्रा कराने की पेशकश कर सस्ते किराये की जंग को और तेज कर दिया। इसके जवाब में स्पाइस जेट ने महज एक रुपये में टिकट की विशेष पेशकर कर दी। इसके बाद नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को भी दखल देना पड़ा। इस होड़ से दूर रही जेट एयर भी इसमें शामिल हो होते हुए किराये में 20 फीसदी तक की कटौती की।

हाल ही में त्योहारी सीजन के मद्देनजर स्पाइजेट ने 1,888 रुपये में हवाई यात्रा कराने की पेशकश की वहीं एयरएशिया इंडिया ने टिकट की बुकिंग 600 रुपये में शुरू कर दी।

इसके तहत एयरएशिया इंडिया बेंगलुरु से चेन्नई एवं कोच्चि के लिए यात्रियों को टिकट 600 रुपये तथा बेंगलुरु से गोवा के लिए 900
रुपये में उपलव्ध करा रही है। कंपनी 5 सितंबर से बेंगलुरु से चंडीगढ़ और जयपुर के लिए किराया 1900 रुपये रखा है।

ऑडिटर ने दी चेतावनी
भारतीय विमानन कंपनियों के गोइंग कन्सर्न (ठीक-ठाक हालत में चल रही इकाई) के दर्जे के दावों को लेकर उनके स्वतंत्र ऑडिटर ने खतरे की घंटी बजा दी है। गोइंग कन्सर्न से तात्पर्य ऐसी कंपनी है जिसके पास परिचालन जारी रखने तथा संभावित दिवालिया जोखिम से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। सस्ती दर पर सेवा देने वाली स्पाइस जेट के ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 30 जून 2014 तक एयरलाइन की कुल देनदारी उसकी कुल परिसंपत्ति से अधिक हो गई है। इसके मुताबिक कुछ तथ्यों को देखते हुए कंपनी के ठीक चल रही इकाई क दर्जे को लेकर संदेह पैदा हो सकता है। जेट एयरवेज के आडिटरों ने जून, 2014 को समाप्त तिमाही रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी का गोइंग कनसर्न होना एतिहाद एयरवेज के साथ उसके गहरे संबंधों तथा भविष्य में कोष जुटाने की उसकी क्षमता पर निर्भर है।

चुनौतियां देश की विमान कंपनियों का कुल घाटा वित्त वर्ष 2013-14 में 49,000 करोड़ रुपये रहा। इसमें सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया का घाटा 30,000 करोड़ रुपये है। ऐसे में सस्ते किराये की होड़ विमानन कंपनियों के साथ उनके कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ा सकता हैं।

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