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देशव्यापी हड़ताल से जनजीवन प्रभावित, हुआ 25000 करोड़ का नुकसान

बुधवार को केंद्रीय मजदूर संगठनों की देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर हुआ है। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया की मानें तो इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को करीब 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान...

देशव्यापी हड़ताल से जनजीवन प्रभावित, हुआ 25000 करोड़ का नुकसान
एजेंसीWed, 02 Sep 2015 10:58 PM
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बुधवार को केंद्रीय मजदूर संगठनों की देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर हुआ है। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया की मानें तो इस हड़ताल से अर्थव्यवस्था को करीब 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने का अनुमान है।

एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा कि आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने से अर्थव्यवस्था को 25 हजार करोड़ रुपये नुकसान होने की संभावना है।

श्रम संगठनों की एक दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से आज देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर कोयला उत्पादन, बैंकिंग कामकाज और परिवहन सेवाओं पर देखने को मिला। 

हड़ताल के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसक संघर्ष हुआ, जिसमें 1,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। यूनियन नेताओं ने दावा किया कि संगठित क्षेत्र के करीब 15 करोड़ कर्मचारी हड़ताल पर रहे। श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव और सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के खिलाफ 10 केंद्रीय श्रम संगठनों ने हड़ताल का आहवान किया था। हालांकि, भाजपा के समर्थन वाली भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) तथा एनएफआईटीयू हड़ताल में शामिल नहीं हुईं।

उधर, सरकार ने कहा है कि हड़ताल का देश के ज्यादातर हिस्सों में कोई असर नहीं दिखा, हालांकि सरकार ने कर्मचारियों की 12 मांगों में से नौ में उनकी आंकांक्षाओं को पूरा करने का संकेत दिया है।
 
श्रम मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा है कि 12 केन्द्रीय यूनियनों में से दो हड़ताल में शामिल नहीं हुई जबकि तीन तटस्थ रहीं और केवल सात ही हड़ताल में शामिल हुईं। मंत्रालय ने कहा कि कुल मिलाकर देशभर में स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण रही है और सरकार कर्मचारियों की कई मांगों को लेकर बिना किसी दबाव के सकारात्मक रख लिये हुये है।

दस केन्द्रीय यूनियनों ने हालांकि, एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि हड़ताल के आहवान पर लाखों कर्मचारी अपने कामकाज से दूर रहे और इस लिहाज से हड़ताल अप्रत्याशित रही है।

हड़ताल का सबसे अधिक असर पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल, कर्नाटक, पुडुचेरी और ओड़िशा में देखने को मिला। जबकि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गोवा, गुजरात, बिहार और झारखंड में हड़ताल का आंशिक असर रहा।

असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान में भी हड़ताल से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। हालांकि, देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में हड़ताल का अधिक असर नहीं था। वहां सिर्फ बैंकिंग कामकाज पर इसका असर देखने को मिला। जिंस बाजार आज देश के ज्यादातर हिस्सों में बंद रहे।

बैंकिंग सेवायें आज की हड़ताल से सबसे अधिक प्रभावित रहीं। सार्वजनिक क्षेत्र के 23, निजी क्षेत्र के 12 बैकों के अलावा 52 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और 13,000 सहकारी बैंकों के कर्मचारी संगठन हड़ताल में शामिल हुए। हालांकि, भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक के कर्मचारी हड़ताल से दूर रहे।
 
ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि करीब पांच लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल में राज्य के मुर्शिदाबाद जिले सहित कुछ हिस्सों में वामपंथी और तणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष में विभिन्न हिस्सों से 1,000 से अधिक व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया।
  
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में कुल मिलाकर 974 लोगों को गिरफतार किया गया और बंद के लिये जोर जबर्दस्ती करने पर महानगर में 50 अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया।
  
दक्षिण पूर्वी रेलवे और पूर्वी रेलवे में रेल सेवाओं पर आंशिक असर रहा। लेकिन कोलकाता में मेट्रो रेल सेवायें सामान्य बनी रहीं। बनर्जी ने कहा कि हड़ताल का कोई असर नहीं दिखा और शहर में राज्य सरकार के कार्यालयों में 93 प्रतिशत तथा जिलों में 97 प्रतिशत तक उपस्थिति दर्ज की गई। 

श्रम मंत्री बंडार दत्तात्रेय ने कल श्रमिक संगठनों से कर्मचारियों और देशहित में हड़ताल वापस लेने की अपील की थी। दत्तात्रेय आज श्रम सचिव शंकर अग्रवाल के साथ जी-20 बैठक में भाग लेने तुर्की के लिए रवाना हो गए।
 
यूनियनों ने हालांकि, सरकार के मंत्री समूह के साथ पिछले महीने उनकी 12 सूत्री मांगों पर बातचीत असफल रहने के बाद हड़ताल पर जाने का फैसला किया। उनकी मांगों में महंगाई कम करने के लिये तुरंत कदम उठाने, बेरोजगारी को नियंत्रित करने, मूल श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन करने, सभी कर्मचारियों के लिये सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवर और 15,000 रुपये का न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करना शामिल है।

यूनियनें ऊंची पेंशन, सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश रोकने, ठेका प्रणाली समाप्त करने, बोनस और भविष्य निधि की अधिकतम सीमा समाप्त करने, 45 दिन के भीतर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य तौर पर पंजीकरण करने और श्रम कानूनों में एकतरफा संशोधन नहीं करने तथा रक्षा और रेलवे क्षेत्र में एफडीआई मंजूरी समाप्त करने की भी मांग कर रही हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया का 17 लाख टन के दैनिक उत्पादन में से लगभग आधा हड़ताल की वजह से प्रभावित हुआ। देशभर में चार लाख कोयला श्रमिकों में से ज्यादातर हड़ताल में शामिल हुए।

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