बैंक की इस ब्रांच में नहीं लगता है ताला, आरबीआई को करना पड़ा था नियमों में बदलाव
विश्व में बैंक की ऐसी कोई ब्रांच नहीं है जिसमें ताला नहीं लगता हो। सेफ्टी की वजह से बैंक बंद करने के बाद उसमें ताला लगाना जरूरी है। बैंक सिक्योरिटी को लेकर के काफी सख्त रहते हैं और इसमें किस
2011 में खोली गई थी यह ब्रांच
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शानि शिंगनापुर कस्बे में जनवरी 2011 में यूको बैंक ने अपनी पहली लॉकलेस ब्रांच खोली थी। इस ब्रांच को खोलने से पहले बैंक अधिकारियों, स्थानीय लोगों, आरबीआई, पुलिस और केंद्र व राज्य सरकार काफी लंबा दौर बातचीत का चला था, क्योंकि बिना ताले के आजतक कहीं भी ब्रांच नहीं खोली गई है। ब्रांच में हर वक्त कैश रहने की वजह से सिक्युरिटी टाइट रहती है और इसलिए कोई भी बैंक यहां पर अपनी ब्रांच खोलने के लिए तैयार नहीं था।
बैंक की इस ब्रांच में नहीं लगता है ताला, आरबीआई को करना पड़ा था नियमों में बदलाव
कैश की सुरक्षा के लिए लगाई थी अधिकारियों की ड्युटी
शुरू के महीनों में बैंक अधिकारियों को काफी डर लगा था, क्योंकि बैंक में हर समय कैश मौजूद रहता था। बैंक ने इसके लिए छुट्टी के दिन और रात में समय भी कर्मचारियों की तैनाती की थी ताकि कैश की सुरक्षा हो सकें। धीरे-धीरे बैंक ने इन कर्मचारियों को भी हटाना शुरु कर दिया। अब बैंक के बाहर ग्लास फ्रेम डोर लगाया गया है जिससे कोई जानवर ना घुस जाएं। लेकिन किसी भी समय यहां में ताला नहीं लगता है चाहे बैंक में कितना भी कैश क्यों ना रखा हो। कैश को रखने के लिए बैंक में स्ट्रांग रुम है।
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पूरे कस्बे में नहीं लगता है किसी भी घर और दुकान में ताला
शनि शिंगनापुर कस्बे में जितनी भी दुकानें हैं वहां पर कभी भी ताला नहीं लगता है। रात भर दुकानें खुली रहती हैं और सामान भी गायब नहीं होता हैं। इतना ही नहीं यहां के घरों में चौखट तो लगी है पर दरवाजे नहीं लगे हैं। लोग अपने घरों में दरवाजे की जगह पर्दो का इस्तेमाल करते हैं।
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शानिदेव में आस्था हैं इसकी वजह
शानि धाम के नाम से विख्यात इस कस्बे में हर साल हजारों की संख्या में देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते है। यहां के स्थानीय निवासियों में ऐसी मान्यता है कि भगवान शनिदेव उनके कस्बे की रक्षा करते हैं। मान्यता ये भी है कि अगर कोई इस कस्बे के दो किलोमीटर के एरिया में चोरी करता है तो वो अंधा हो जाएगा। इसी डर के कारण लोग इस कस्बे में चोरी करने से डरते हैं।
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