बीस साल बाद आए 1 रुपए के नोट की छपाई फिर बंद, बाजार से गायब
बीस साल बाद बाजार में आए एक रुपए के खरे-खरे नोट फिर गायब हो गए है। एक साल के अंदर उनकी छपाई फिर बंद कर दी गई है। दिवाली के बाद एक के नए नोट आरबीआई ने रिलीज नहीं किए हैं। पिछले साल छह मार्च को एक रुपए...
बीस साल बाद बाजार में आए एक रुपए के खरे-खरे नोट फिर गायब हो गए है। एक साल के अंदर उनकी छपाई फिर बंद कर दी गई है। दिवाली के बाद एक के नए नोट आरबीआई ने रिलीज नहीं किए हैं। पिछले साल छह मार्च को एक रुपए के नए नोट जारी किए गए थे। बीस साल बाद एक के नोट बाजार में आए तो मारामारी मच गई।
आरबीआई से बैंकों में एक की गडिडयां भेजी गईं लेकिन बैंकों के स्टाफ में ही उन्हें लेने की होड़ मच गई थी। ग्राहकों के पास मुश्किल से पांच फीसदी नोट ही पहुंच सके थे। पिछले साल मार्च के बाद आरबीआई में पहली बार 30 लाख के नोट भेजे गए थे। बाद में 10, 13 और 9 लाख की एक खेप और भेजी गई थी।
नवम्बर में दिवाली के अवसर पर 16 लाख रुपए की एक की गड्डियां कानपुर आईं थी। उन्हें बैंकों में वितरित किया गया था। उन्हें पाने के लिए लूट मच गई थी। हाल यह हो गया कि एक बार जिसके हाथ में गड्डी गई, उसने लॉकर में सहज कर गड्डी रख दी।
पिछले छह महीने से एक के नोट की आवक बंद हो गई है। आरबीआई से अन्य सभी नए नोट नियमित रूप से रिलीज हो रहे हैं लेकिन एक की गड्डी की सप्लाई बंद है। मालूम हो कि एक रुपए के नोट पर अधिकार भारत सरकार का है, जबकि अन्य मुद्राएं भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रित करता है। द सिक्योरिटी मिंटिंग एंड प्रिंटिंग कारपोरेशन आफ इंडिया के मुताबिक एक रुपए का एक नोट छापने की लागत 1.14 रुपए आती है।
एक की गड्डी के आकर्षण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आनलाइन कंपनी ई-बे पर एक रुपए के नोट की गड्डी 2400 रुपए में बेची जा चुकी है। अभी भी ओएलएक्स और अमेजॉन में बीच-बीच में एक की गड्डी की कीमत लगती रहती है।