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ईटीएफ : खर्च कम और मोटे रिटर्न का फायदा, अपनाएं ये तरीका

म्यूचुअल फंड में निवेश से शेयरों की तरह मोटा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं तो आपके लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इसमें एक साल में 40 फीसदी से भी अधिक रिटर्न मिला है। इसमें...

ईटीएफ : खर्च कम और मोटे रिटर्न का फायदा, अपनाएं ये तरीका
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 12 Mar 2017 09:54 AM
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म्यूचुअल फंड में निवेश से शेयरों की तरह मोटा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं तो आपके लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इसमें एक साल में 40 फीसदी से भी अधिक रिटर्न मिला है। इसमें फंड प्रबंधन शुल्क (एक्पेंस रेशियो) भी अन्य म्यूचुअल फंड के मुकाबले 80 फीसदी तक कम है जो इसे और आकर्षक बनाता है। पेश है बिजनेस डेस्क की एक रिपोर्ट

क्या है ईटीएफ

यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है। इसकी खरीद यूनिट में की जाती है। इसके तहत म्यूचुअल फंड कई कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। ऐसे में आम निवेशकों को एक ईटीएफ में ही कई कंपनियों में निवेश का फायदा मिल जाता है। इसकी वजह से ईटीएफ में शेयरों में सीधे निवेश के मुकाबले जोखिम कम होता है। इसे शेयरों की तरह खरीदा-बेचा जा सकता है। आमतौर पर ईटीएफ के लिए डीमैट खाता जरूरी होता है।

कितना मिलेगा रिटर्न

ईटीएफ में पिछले एक साल में 43.6 फीसदी तक रिटर्न दिया है और यह सीपीएसई ईटीएफ श्रेणी में मिला है। ईटीएफ में तीन साल में औसतन 8.2 फीसदी और 24.2 फीसदी का अधिकतम रिटर्न मिला है। ईटीएफ का औसत रिटर्न वर्तमान में सावधि जमा पर मिल रहे 5.50 फीसदी ब्याज के मुकाबले ज्यादा है। बैंकिंग क्षेत्र के ईटीएफ ने भी काफी बेहतर प्रर्दशन किया है। पिछले एक साल में एसबीआई बैंक ईटीएफ ने 37.50 फीसदी रिटर्न दिया है जबकि बैंकिंग ईटीएफ ने औसतन 20 फीसदी रिटर्न दिया है। 

कभी भी बेचने की सुविधा

शेयरों की तरह बेचने की सुविधा की वजह से जरूरत पड़ने पर किसी भी कारोबारी दिन इसे बेच सकते हैं। इस मामले में यह आम म्यूचुअल फंड के मुकाबले ज्यादा सुविधाजनक है। एसबीआई म्यूचुअल फंड के कार्यकारी निदेशक और मुख्य विपणन अधिकारी डीपी सिंग का कहना है कि ईटीएफ में निवेश पर फंड प्रबंधन शुल्क (एक्पेंस रेशियो) 0.25 से 0.50 फीसदी है जबकि आम म्यूचुअल फंड में यह दो फीसदी तक होता है। 

उनका कहना है कि एक्पेंस रेशियो कम होने से अन्य म्यूचुअल फंड के मुकाबले ईटीएफ में निवेश पर निवेशक को करीब 1.50 फीसदी ज्यादा मुनाफा तो निवेश के साथ ही हो जाता है। साथ ही ईटीएफ की एक यूनिट खरीदने से उन्हें कई शेयरों में निवेश का भी फायदा मिल जाता है। उनका कहना है कि ईटीएफ में जोखिम और खर्च दोनों कम है जबकि रिटर्न शेयरों की तरह ऊंचा है। हालांकि सिंह का कहना है कि निवेशकों को छोटी अवधि की बजाय लंबी अवधि का निवेश लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। क्योंकि लंबी अवधि में जोखिम कम होता है। साथ ही बाजार से जुड़े निवेश उत्पाद ने लंबी अवधि में निवेशकों को कभी निराश नहीं किया है।

निवेश के कई विकल्प

ईटीएफ को सूचकांक के आधार पर जारी किया जाता है। म्यूचुअल फंड कंपनियां ज्यादातर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सूचकांक के आधार पर ईटीएफ जारी करती है। इसमें एनएसई या निफ्टी ईटीएफ और बीएसई ईटीएफ आदि शामिल हैं। ईटीएफ को क्षेत्रवार आधार पर भी जारी किया जाता है जैसे बैंकिंग, गोल्ड, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई) ईटीएफ आदि का विकल्प मिलता है।

बैंकिंग ईटीएफ में केवल बैंकों के शेयर शामिल किए जाते हैं। इसमें भी सर कारी एवं निजी बैंकों के अलग-अलग ईटीएफ और कुछ में दोनों को शामिल किया जाता है। वहीं एनएसई निफ्टी ईटीएफ में निफ्टी में शामिल 50 कंपनियों के जबकि बीएसई ईटीएफ में सेंसेक्स की 30 कंपनियों या बीएसई की 50 या 100 कंपनियों के शेयर शामिल किए जाते हैं।

ईटीएफ में जोखिम कम

एक आम निवेशक के रूप में एनएसई, बीएसई या बैंकिंग शेयरों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयरों का चुनाव करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन बैंकिंग ईटीएफ में एक यूनिट खरीदकर आपको सभी बैंकों के शेयर में निवेश का मौका मिल जाता है।

यदि छह बैंकों का शेयर बेहतर प्रदर्शन करते हैं तो उसका फायदा आपको मिलता है। वहीं चार बैंक नुकसान में रहते हैं तो निवेश पर कुल नुकसान घट जाता है क्योंकि 10 में छह शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यदि आप किसी कंपनी की एक शेयर खरीदते हैं और उसमें गिरावट आती है तो आपको नुकसान होता है और तेजी आने पर फायदा होता है। इस तरह शेयरों में सीधे निवेश पर सारा जोखिम आपकी पूंजी पर होता है। जबकि ईटीएफ में जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन होता है।

सीपीएसई ईटीएफ ज्यादा आकर्षक

केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई) का ईटीएफ पहली बार वर्ष 2014 में जारी किया गया था। इस साल 17 जनवरी को इसकी दूसरी किस्त जारी की गई। पिछले तीन साल में इसने करीब सात फीसदी का औसत रिटर्न दिया है। इसने वर्ष 2014 में 28.6 फीसदी और वर्ष 2016 में 16.4 फीसदी का रिटर्न दिया। केवल वर्ष 2015 में इसमें 14.4 फीसदी का नुकसान हुआ।

इसके बावजूद औसत रिटर्न सात फीसदी के करीब रहा। इसमें आम निवेशकों की सुविधा को देखते हुए न्यूनतम 5,000 रुपये निवेश करने का विकल्प दिया गया है। सीपीएसई ईटीएफ में 10 सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों को शामिल किया जाता है। इनमें ओएनजीसी, कोल इंडिया, आईओसी, गेल इंडिया, ऑयल इंडिया, पीएफसी, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, आरईसी, इंजीनियर्स इंडिया और कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं।

गोल्ड ईटीएफ से बॉन्ड बेहतर

सोने को शेयरों की तरह खरीदने की सुविधा को गोल्ड ईटीएफ कहते हैं। यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है। इसमें सोने की खरीद यूनिट में की जाती है। इसे बेचने पर आपको सोना नहीं बल्कि उस समय के बाजार मूल्य के बराबर राशि मिलती है। गोल्ड ईटीएफ में पिछले तीन साल से निवेशकों को नुकसान हो रहा है। सोने में निवेश के एक नए विकल्प गोल्ड बॉन्ड ने गोल्ड ईटीएफ की चमक को फीका कर दिया है।

गोल्ड बॉन्ड मे पिछले दो साल में 20 फीसदी के करीब रिटर्न दिया है। इसकी खरीद भी यूनिट में की जाती है और इसे भी शेयरों की तरह खरीदने-बेचने की सुविधा है। हालांकि, ग्रामीण उपभोक्ताओं को देखते हुए सरकार से इसे दस्तावेज के रूप में खरीदने की भी सुविधा दे रखी है। गोल्ड बॉन्ड के तहत एक ग्राम सोने के मूल्य के बराबर राशि निवेश कर सकते हैं। इसमें सालाना 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है और साथ ही लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर से भी छूट मिलती है।

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