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घबराइए नहीं! EMI अभी भी हो सकती है सस्ती, जेब में बढ़ेगा पैसा!

ब्याज दर नहीं घटी लेकिन फिर भी होगी EMI सस्ती! नोटबंदी के बाद से इस बात की उम्मीद जाहिर की जा रही थी कि RBI (रिजर्व बैंक) ब्याज दरों में कटौती करेगा लेकिन उसने रेपो रेट में कटौती न कर सबको चौ

लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 08 Dec 2016 08:32 AM

ब्याज दर नहीं घटी लेकिन फिर भी होगी EMI सस्ती!

नोटबंदी के बाद से इस बात की उम्मीद जाहिर की जा रही थी कि RBI (रिजर्व बैंक) ब्याज दरों में कटौती करेगा लेकिन उसने रेपो रेट में कटौती न कर सबको चौंका दिया है। लोगों को उम्मीद थी कि रेपो रेट कम हो जाने से उनकी EMI घाट जाएगी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है। हालांकि हम आपको बता दें कि RBI ने नोटबंदी के बाद से ही इंक्रीमेंटल बेस्ड सीआरआर की लिमिट खत्म कर दी है जिससे आपकी जेब को फायदा पहुंच सकता है। Livehindustan.com आज आपको बता रहा है कि कैसे अभी भी आपकी EMI हो सकती है सस्ती...

क्या है बदलाव
बता दें कि नोटबंदी के बाद से ही RBI ने पहले से लागू इंक्रीमेंटल बेस्ड सीआरआर की लिमिट खत्म कर दी है। इसका मत्लाबा ये हुआ कि बैंकों के पास नोटबंदी के बाद जो भारी मात्रा में कैश पहुंच रहा है वो उसे बिना किसी पाबंदी के मैनेज कर सकते हैं। ज्यादा कैश होने के चलते अब बैंक अपने लेवल पर भी कर्ज सस्ता कर सकते हैं। 

SBI जल्द ले सकता है फैसला
एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा है कि रेपो रेट में कटौती नहीं करना काफी हैरान करने वाला फैसला है। इसके बावजूद आरबीआई सीआरआर और एमएसएस की लिमिट जो रिलैक्स की है, उसका फायदा बैंकों को मिलेगा। जिससे वह अपनी लिक्विडिटी को आसानी से मैनेज कर सकेंगे। इसका सीधा सा मतलब है कि SBI जल्दी ही रिवाइज्ड ब्याज दरें घोषित कर सकता है। 

अगली स्लाइड में जानिए किन लोगों को होगा फायदा...

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जानिए किसको मिलने वाला है फायदा

गौरतलब है कि सीआरआर लिमिट हटाने से बैंकों के पास कर्ज सस्ता करने का रास्ता खुल गया है। अभी तक RBI ने बैंकों के लिए कैश लिमिट तय की हुई थी। आरबीआई ने बैंकों से कहा था, कि वह 16 सितंबर से लेकर 11 नवंबर के बीच मिले डिपॉजिट के बराबर कैश रिजर्व रखे। ऐसे में बैंक इसका फायदा नहीं उठा पा रहे थे। इसी वजह से जब 8 नवंबर को नोटबंदी का ऐलान किया गया था, उसके तेजी से बढ़े डिपॉजिट को देखते हुए बैंकों ने डिपॉजिट रेट और कुछ बैंकों ने एमसीएलआर रेट घटाए थे। लेकिन जब सीआरआर और एमएसएस की लिमिट आरबीआई ने लगाई, तो बैंक ने रेट कटौती पर लगाम लगा दी थी। अब बैंकों के पास फिर से मौका है।
 
क्यों सिर्फ नए ग्राहकों को फायदा
बता दें कि फिलहाल बैंक दो तो तरीके से लोन देते हैं। पहला कि वो RBI के बेस रेट को आधार बनाकर लोन दे। जो लोन अभी आपने लिया हुआ है वो इसी तरह कैलकुलेट किया गया है। इस तरीके से दिए गए लोन RBI की शर्तों में बाधित होते हैं और लिक्विडिटी बढ़ने के बाद तुरंत कस्टमर को कर्ज सस्ता नहीं कर पाते हैं। इसके आलावा बैंक मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट के आधार पर भी लोन देते हैं। ऐसे केस में बैंक तुरंत रेट तो घटा पाते हैं, लेकिन पुराने कस्टमर जिन्होंने होम लोन, कार लोन लिया है उन्हें इसका फायदा करीब एक साल बाद ही मिल पाता है।

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