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बजट 2017: रोजगार बढ़ाने वाली कंपनियों को टैक्स इन्सेंटिव देने की योजना

देश में अधिक से अधि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मोदी सरकार कई बड़ी योजना पर काम कर रही है। जानकारों के मुताबिक अधिक मैन पॉवर वाले सेक्टरों में रोजगार के मौके बनाने के लिए इंसेंटिव्स दिए जाने पर विचार...

बजट 2017: रोजगार बढ़ाने वाली कंपनियों को टैक्स इन्सेंटिव देने की योजना
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 27 Jan 2017 05:29 PM
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देश में अधिक से अधि रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए मोदी सरकार कई बड़ी योजना पर काम कर रही है। जानकारों के मुताबिक अधिक मैन पॉवर वाले सेक्टरों में रोजगार के मौके बनाने के लिए इंसेंटिव्स दिए जाने पर विचार किया जा सकता है। वहीँ कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने की योजना पर भी विचार हो रहा है, जिसमें टैक्स इंसेंटिव्स को जॉब क्रिऐशन से जोड़ दिया जाएगा। 

टेक्सटाइल्स की तरह अन्य सेक्टर को भी इन्सेंटिव देने पर विचार जारी
सरकार लेदर इंडस्ट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और जेम्स ऐंड जूलरी जैसे सेक्टरों को रोजगार के मौके बनाने के लिए उसी तर्ज पर इंसेंटिव्स देने पर विचार कर रही है, जिस तरह पिछले साल टेक्सटाइल्स सेक्टर के लिए शुरू किए गए थे।

सरकार पर है दबाव
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार इकोनॉमी टाइम्स को बताया कि सरकार पर रोजगार के अवसर बनाने की रफ्तार बढ़ाने का दबाव है क्योंकि कई प्रयासों के बावजूद तमाम सेक्टरों में जॉब्स के ज्यादा मौके नहीं मिल रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि कई मंत्रालयों ने अपने सेक्टरों में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं बनने पर चिंता जताई है। भारत में हर साल जॉब मार्केट में करीब 1.2 करोड़ लोग आते हैं और आबादी में 65 फीसदी से ज्यादा लोगों की उम्र 35 साल से कम है। इस स्थिति के दम पर भारत दुनिया में मानव संसाधन का बड़ा केंद्र बन सकता है। इकोनॉमी टाइम्स के मुताबिक एक फरवरी को पेश होने वाले आम बजट की प्रमुख घोषणाओं में इसे शामिल किया जा सकता है।

हाल में जारी हुआ बेरोजगारी सर्वे
सितंबर 2016 में सरकार ने पांचवां सालाना रोजगार-बेरोजगारी सर्वे जारी किया था। उसके मुताबिक, करीब 77 फीसदी परिवारों में या कोई सैलरीड मेंबर नहीं है या उनके पास आय का कोई नियमित जरिया नहीं है। लेबर मिनिस्ट्री ने प्रस्ताव दिया है कि ज्यादा श्रम शक्ति की जरूरत वाले सभी सेक्टरों को फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का विकल्प दिया जाए, प्रॉविडेंट फंड में उनके अंशदान की जरूरत खत्म कर दी जाए और ओवरटाइम की अवधि बढ़ाई जाए। मिनिस्ट्री ने कहा है कि इन सेक्टरों में 15,000 रुपए महीने से कम पाने वाले वर्कर्स को भी प्रॉविडेंट फंड में अंशदान नहीं करने का विकल्प दिया जाना चाहिए।

कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने का हो सकता है ऐलान
इसके अलावा सरकार कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने का ऐलान कर सकती है, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को रोजगार सृजन पर इंसेंटिव्स दिए जाएंगे। यह प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था। इसके तहत 10000 जॉब्स के मौके बनाने वाली कंपनियों से पांच साल तक कॉर्पोरेट टैक्स न लेने की बात थी।

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