बेनामी संपत्ति रखने वालों की 1 नवंबर से खैर नहीं
कालाधन छिपाने और कर बचाने के लिए बेनामी संपत्ति का लेन-देने करने वालों पर सरकार 1 नवंबर से शिकंजा कसेगी। इसके तहत जुर्माना भरने के साथ सात साल तक जेल की सजा बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधित कानून-2016...
कालाधन छिपाने और कर बचाने के लिए बेनामी संपत्ति का लेन-देने करने वालों पर सरकार 1 नवंबर से शिकंजा कसेगी। इसके तहत जुर्माना भरने के साथ सात साल तक जेल की सजा बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधित कानून-2016 का उल्लंघन करने वालों को मिलेगी।
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संसद ने जुलाई में इस कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसके बाद इसे एक नवंबर से लागू करने के लिए अधिसूचित कर दिया गया। पहले बेनामी संपत्ति लेन-देन का दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल जेल का प्रावधान था। रियल एस्टेट क्षेत्र में कालेधन को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने बेनामी संपत्ति कानून के प्रावधानों को सख्त बनाया है। संशोधित कानून में बेनामी संपत्ति को जब्त करने और बेनामी लेन-देन करने पर जुर्माने के कड़े प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत ऐसे संपत्ति लेन-देन को बेनामी (नाम रहित) माना जाएगा जिसको एक व्यक्ति अपने पास रखता है या हस्तांतरित करता और अन्य कोई उसका भुगतान करता है।
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले साल 13 मई को बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधित बिल-2015 लोकसभा में पेश किया था। बाद में विचार के लिए इसको वित्त संबंधी संसदीय स्थाई समिति के पास भेज दिया गया था। इसने 28 अप्रैल को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद लोकसभा ने 27 जुलाई और राज्यसभा ने दो अगस्त को संशोधित बिल को पास कर दिया। सरकार ने पहली बार बेनामी लेन-देन कानून 1988 में बनाया था। गौरतलब है कि संशोधित कानून के तहत बेनामी संपत्ति को जब्त करने तथा प्रबंधन के लिए प्रशासक की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार इस कानून के मामलों की सुनवाई के तहत सेशन कोर्ट को बतौर विशेष न्यायालय अधिकृत कर सकती है।