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टैक्स फ्री बॉन्ड दिलाएगा एफडी से ज्यादा रिटर्न

अपनी पूंजी पर सुरक्षित रिटर्न के लिए सबसे अच्छा साधन सावधि जमा (एफडी) को माना जाता है, लेकिन पिछले चार महीनों में रिजर्व बैंक द्वारा दो बार नीतिगत दरों में कटौती के बाद बैंकों ने भी एफडी पर ब्याज...

टैक्स फ्री बॉन्ड दिलाएगा एफडी से ज्यादा रिटर्न
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 04 May 2015 02:25 PM
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अपनी पूंजी पर सुरक्षित रिटर्न के लिए सबसे अच्छा साधन सावधि जमा (एफडी) को माना जाता है, लेकिन पिछले चार महीनों में रिजर्व बैंक द्वारा दो बार नीतिगत दरों में कटौती के बाद बैंकों ने भी एफडी पर ब्याज घटाना शुरू कर दिया है। निकट भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद है। ऐसे में आपको निराश होने की जरूरत नहीं, बल्कि ऐसे निवेश साधनों की तलाश करनी चाहिए जिसमें एफडी से ज्यादा रिटर्न पाया जा सके। यहां कुछ ऐसे साधनों का ब्योरा दिया जा रहा है। साथ ही ऐसे उपाय भी बताए जा रहे हैं, जिससे आप अपने निवेश पर जोखिम घटा सकते हैं। पेश है बिजनेस डेस्क  का आकलन।

टैक्स फ्री बॉन्ड: सुरक्षित निवेश
यह बॉन्ड सरकारी संस्थानों द्वारा जारी किया जाता है और इसपर सालाना आधार पर ब्याज की गणना की जाती है। साथ ही एफडी के विपरीत इसपर मिलने वाली ब्याज की राशि टैक्स फ्री होती है। टैक्स फायदों के बाद एफडी के मुकाबले इसपर मिलने वाले ब्याज का मूल्यांकन आकर्षक होता है। इसपर मिलने वाला रिटर्न भी घटती महंगाई के साथ बढ़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण घटती महंगाई से रिजर्व बैंक की नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ जाती है, जिससे इसकी कीमतों में उछाल आता है। अब टैक्स फ्री बॉन्ड की सूचीबद्धता शेयर बाजार में भी है, जिससे निवेशकों के लिए कभी भी इसे खरीदने और बेचने की सुविधा हो गई है। पिछले महीने कैबिनेट ने रेलवे और हाइवे द्वारा टैक्स फ्री बॉन्ड जारी करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी। इससे निवेशकों को और ज्यादा विकल्प मिल सकेंगे।

सतर्कता जरूरी: हमेशा ऐसे बॉन्ड को खरीदें जिसकी रेटिंग अच्छी हो। हालांकि सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा जारी किए जाने से इसमें जोखिम कम होता है, लेकिन यह जरूर देखें कि इसमें तरलता का अभाव न हो।

डेट फंड: कम जोखिम ज्यादा रिटर्न
म्यूचुअल फंड का प्रकार है डेट फंड, जिसकी पूंजी बॉन्ड, ट्रेजरी बिल जैसे सुरक्षित साधनों में निवेश की जाती है। डेट फंड के तहत ही शॉर्ट टर्म प्लान, गिल्ट फंड, मासिक आय योजना (एमआईपी), लिक्विड फंड और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) जैसे विकल्प होते हैं। ऐसे निवेशकों के लिए यह साधन सटीक है, जो सीधे शेयर बाजार में पैसा लगाने से घबराते हैं। इसमें उतार-चढ़ाव कम होता है और रिटर्न भी बेहतरीन है, जो एफडी के मुकाबले ज्यादा है। पिछले एक साल में डेट फंड ने 17 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है। इसके अलावा डेट फंड में तरलता का संकट नहीं है। किसी भी कारोबारी दिन में आप इसे भुना सकते हैं और एक दिन में पैसा आपके अकाउंट में आ जाता है।

सतर्कता जरूरी: पिछले साल बजट में इसके टैक्स नियमों में कुछ बदलाव किए गए। इसके रिटर्न पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की अवधि एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। इसके अलावा इसके एक्जिट लोड को भी ध्यान में रखें, जो 0.5 से लेकर 2 फीसदी तक हो सकता है।

एनसीडी: रिटर्न के साथ जोखिम भी
गैर परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) एक तरह का बॉन्ड होता है, जो निजी कंपनियां जारी करती हैं। इस पर कंपनियों द्वारा नियत अवधि और ब्याज की घोषणा पहले की जाती है। एनसीडी दो प्रकार की हो सकती है। एक- सिक्योर और दूसरी अनसिक्योर। सिक्योर एनसीडी में निवेश की गई पूंजी के डूबने का जोखिम कम होता है। इसके लिए कंपनियां कुछ परिसंपत्तियों को बैकअप के तौर पर रखती हैं। कंपनियों द्वारा विफल होने की स्थिति में इन्हीं परिसंपत्तियों को बेचकर निवेशकों का पैसा चुकाया जाता है। अनसिक्योर एनसीडी में निवेश पर जोखिम ज्यादा होता है। हालांकि इस पर ब्याज ज्यादा होता है, जिससे निवेशकों को इसके प्रति आकर्षित किया जा सके। इसमें कंपनी के वित्तीय संकट में पड़ने पर किसी तरह की परिसंपत्ति नहीं होती, जिसे बेचकर निवेशकों का पैसा चुकाया जा सके।

सतर्कता जरूरी: एनसीडी में को क्रिसिल, इकरा और केयर जैसी एजेंसियां रेटिंग देती हैं। निवेश से पहले इनकी रेटिंग का जरूर ध्यान रखें। रेटिंग जितनी ऊंची होगी, आपका निवेश उतना ही सुरक्षित होगा।

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