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Hindi News6 things you need to consider before buying a camera phone

दमदार कैमरे वाला फोन खरीदने से पहले जान लें ये 6 बातें

आमतौर पर नया स्मार्टफोन खरीदते समय यूजर उसकी कैमरा क्वालिटी को केवल रियर मेगापिक्सल और फ्रंट मेगापिक्सल से ही जोड़कर देखते हैं। जबकि वास्तव में मोबाइल कैमरा तकनीक का कई अन्य चीजों से भी सीधा संबं

लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Mar 2017 02:29 PM

आमतौर पर नया स्मार्टफोन खरीदते समय यूजर उसकी कैमरा क्वालिटी को केवल रियर मेगापिक्सल और फ्रंट मेगापिक्सल से ही जोड़कर देखते हैं। जबकि वास्तव में मोबाइल कैमरा तकनीक का कई अन्य चीजों से भी सीधा संबंध होता है। आइए जानते हैं उन छह बातों के बारे में जो आपको बेहतरीन कैमरे वाला फोन खरीदने से पहले जरूर देखनी चाहिए। 

1. ऑटोफोकस लेंस का जमाना
डिजिटल या डीएसएलआर पर अपर्चर के जरिए टारगेट को फोकस करना टेढ़ी खीर माना जाता है। इसे चलाना हर किसी के बस की बात नहीं है। शायद इसी आवश्यक्ता ने मोबाइल में मौजूद ऑटोफोकस लेंस का आविष्कार किया है। दरअसल स्मार्टफोन के कैमरे में ऑटोफोकस लेंस का प्रयोग किया जाता है। कैमरा खुलते ही यह लेंस टारगेट को अपने आप फोकस करना शुरू कर देता है। इसमें तस्वीर लेने के लिए आपको केवल फोन को बिना हिलाए एक दिशा में फोकस करके रखना होगा। ऑटोफोकस लेंस को इमेज खींचने के लिए अपर्चर की जरूरत नहीं पड़ती।

2. ज्यादा मेगापिक्सल देते हैं बेहतर क्वालिटी
मोबाइल के रियर या फ्रंट कैमरे का मेगापिक्सल जितना ज्यादा होगा उसकी पिक्चर क्वालिटी उतनी ही ज्यादा दमदार होगी। बहुत ही कम यूजर को यह मालूम होगा कि कैमरे के एक मेगापिक्सल में 10 लाख पिक्सल होते है। डिस्प्ले पर एक इमेज लाखों पिक्सल से मिलकर बनी होती है। कैमरा जितने ज्यादा मेगापिक्सल का होगा वो ऑब्जेक्ट की इमेज उतनी ही ज्यादा क्लियर होगी। बाजार में 5 मेगापिक्सल से नीचे वाले मोबाइल कैमरों को सहीं नहीं माना जाता है। 8 मेगापिक्सल वाले कैमरों को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है। जबकि 13, 16 और 21 मेगापिक्सल वाले कैमरे सबसे ज्यादा बेहतर माने जाते है। हालांकि मोबाइल कैमरे का मेगापिक्सल कीमत पर भी निर्भर करता है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें स्मार्टफोन खरीदने से पहले किन बातों का रखें ध्यान

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दमदार कैमरे वाला फोन खरीदने से पहले जान लें ये 6 बातें

 

3. शटर स्पीड पर ध्यान दें
केवल हाई मेगापिक्सल ही किसी कैमरे की क्वालिटी में सहायक नहीं होता। पिक्सल क्वालिटी के अलावा कैमरे की शटर स्पीड की भी काफी अहम भूमिका होती है। डिजीटल कैमरे में शटर स्पीड का मतलब यह है कि आपको किसी वस्तु की इमेज कैप्चर करनी है कि तो कैमरे का सेंसर कितनी देर में पिक्चर को देखता है। कैमरे की शटर स्पीड जितनी कम होगी वह उतना अच्छा होगा। कई बार समान मेगापिक्सल वाले कैमरों की शटर क्वालिटी अलग-अलग होती है, जिससे उनकी इमेज क्वालिटी में अंतर आ जाता है। इसलिए ज्यादा पिक्सल होने का मतलब ये नहीं होता कि आपके कैमरे की क्वालिटी बहुत अच्छी होगी। इसलिए हमेशा ध्यान दें कि बटन प्रेस करने के कितनी देर बाद डिस्प्ले पर स्पष्ट दिखाई दे रही है।

4. प्रीमियर फीचर की होड़
मोबाइल इस्तेमाल करने वाले हर यूजर की यह ख्वाहिश होती है कि उसका फोन लग्जरी और प्रीमियर फीचर से लैस हो। इसी वजह से मोबाइल निर्मता कंपनियां एक से बढ़कर एक डिजाइन और स्पेसिफिकेशन वाले स्मार्टफोन लॉन्च कर रही है। मोबाइल के कैमरे पर खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है। इसमें शेक और बर्स्ट फीचर लाए जा रहे हैं। इससे कैमरे को हवा में शेक करते ही उसके बटन को होल्ड प्रेस करके रखने पर एक साथ कई तस्वीरें ली जा सकती हैं। रंग-बिरंगे फिल्टर और स्टीकर भी कैमरे में इनबिल्ट किए जा रहे हैं। इसके अलावा मोबाइल से तस्वीर खींचने के लिए ‘ऑटोमेटिक टाइमर’ भी सेट किया गया है।

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5. तस्वीरों में जान डालने वाली एलईडी फ्लैश
कम प्रकाश वाली जगह या रात के समय में साफ तस्वीरें लेना सबसे मुश्किल काम है। ऐसे में बड़े से बड़े फोटोग्राफर पहले फ्लैश के साथ आने वाले कैमरों को ही श्रेष्ठ मानते थे। लेकिन एलईडी फ्लैश के साथ आने वाले मोबाइल कैमरा ने ये भ्रम दूर कर दिया है। मोबाइल कैमरे के साथ लगी एलईडी फ्लैश कम रोशनी में भी साफ तस्वीरें लेने में मददगार हैं। डुअल एलईडी फ्लैश से लैस स्मार्टफोन तो सोने पर सुहागा जैसे समझे जाते हैं। अंधियारी जगहों पर ये दोनों एलईडी एक साथ फ्लैश होकर साफ तस्वीरें लेने में मदद करती हैं।

फोन में इमेज सेंसर का कमाल
फोन में मौजूद  इमेज सेंसर लाइट को कैप्चर कर उसे इलेक्ट्रोनिक सिग्नल में बदलने का काम करता है। जिससे आपको खींची गई तस्वीर मोबाइल डिस्प्ले पर दिखाई देती है। मोबाइल में दो तरह के इमेज सेंसर आते हैं। पहला सीसीडी सेंसर (चार्ज कपल्ड डिवाइस) और दूसरा सीएमओएस सेंसर (कंप्लीमेंटरी मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर)। वैसे तो ये दोनों ही सेंसर मोबाइल में समान रूप से काम करते हैं। लेकिन कैमरा फोन निर्माता कंपनियां ज्यादातर सीएमओएस सेंसर को पसंद करती हैं क्योंकि ये सस्ता होने के साथ-साथ ज्यादा फायदेमंद होता है। 

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