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कर्ज महंगा होने से अर्थव्यवस्था धीमी पड़ेगी: जेटली

देश में ब्याज दरों का स्तर असाधारण रूप से ऊंचा है और यदि ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाने का खतरा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक भविष्य...

कर्ज महंगा होने से अर्थव्यवस्था धीमी पड़ेगी: जेटली
एजेंसीMon, 28 Mar 2016 06:04 PM
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देश में ब्याज दरों का स्तर असाधारण रूप से ऊंचा है और यदि ब्याज दरें ऊंची बनी रहीं तो भारत की अर्थव्यवस्था के सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाने का खतरा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) और डाकघर आधारित छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों को कम करने के हाल के निर्णय को उचित ठहराते हुए सोमवार को यह बात कही।

जेटली ने कहा कि छोटी बचत योजनाओं पर मौजूदा 8.7 प्रतिशत की कर-मुक्त ब्याज दर अंत में वास्तव में 12-13 प्रतिशत बैठती है। इसके अनुरूप कर्ज की ब्याज दर 14-15 प्रतिशत तक होगी क्योंकि कर्ज पर ब्याज जमाओं पर ब्याज से कुछ ऊपर ही रहता है। जेटली ने कहा कि किसी भी देश में ऐसा नहीं हो सकता कि कर्ज पर ब्याज जमा दरें कम हों और जमा पर ब्याज ऊंचा हो। दोनों एक-दूसरे जुड़े हैं।

उन्होंने कहा कि यदि कर्ज पर ब्याज दर 14-15 प्रतिशत हो तो आप दुनिया की सबसे सुस्त अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। पीपीएफ पर 8.7 प्रतिशत कर मुक्त ब्याज दर की मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि कर लाभ को भी मिलाकर देखें तो इस पर ब्याज दर वास्तव में 12.5 से 13 प्रतिशत बैठती है।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने 18 मार्च को पीपीएफ और अन्य छोटी जमाओं पर ब्याज दर में 1.30 फीसदी तक की कटौती की है जो 1 अप्रैल से लागू होगी। इसके तहत पीपीएफ पर ब्याज दर घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है। जेटली ने ब्याज घटाने को अलोकप्रिय फैसला मानने से इनकार करते हुए कहा कि ऊंची ब्याज दर से भारतीय अर्थव्यवस्था को नष्ट करना सबसे अलोकप्रिय बात होगी।

उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक रूप से कम ब्याज दर सभी के हित में है। वित्त मंत्री ने कहा कि आप यह भी न भूलें कि जब आपको 8.7 प्रतिशत ब्याज दर मिलती थी तब मुद्रास्फीति 11 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति अब पांच प्रतिशत से नीचे है तो असल में आपको मिलने वाली वास्तविक ब्याज दर बढ़ गई है।

ईपीएफ पर कर से निवेशकों को फायदा
जेटली ने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की 60 प्रतिशत राशि पर कर लगाने का उद्देश्य था लोगों को कुल राशि निकालने के प्रति हतोत्साहित करना। इसका लक्ष्य था लोगों को कर मुक्त पेंशन योजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना ताकि भारत को पेंशन आधारित समाज बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत वृद्धि दर्ज कर रहा है इसलिए सामाजिक सुरक्ष के मानक बढ़ने चाहिए। हालांकि, चौतरफा आलोचना के बीच इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया।

नंबर गेम
- 8.7 फीसदी पीपीएफ पर करमुक्त ब्याज अंतत: 13 फीसदी तक बैठता है
- 14 से 15 फीसदी होना चाहिए ब्याज कर्ज पर पीपीएफ की तुलना में
- 11 फीसदी थी मुद्रास्फीति जब 8.7 फीसदी पीपीएफ पर तय किया गया था ब्याज
- 05 फीसदी है वर्तमान समय में मुद्रास्फीति देश में
   
 

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