बढ़ चला बिहार कार्यक्रम को हाईकोर्ट का झटका, ऑडियो-विडियो प्रदर्शन पर रोक
राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार कार्यक्रम को एक बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने इस कार्यक्रम के तहत मोबाइल गाड़ी पर किसी का फोटो लगाने से साफ मना कर दिया है। कोर्ट ने इस वैन से ऑडियो-विडियो के प्रदर्शन...
राज्य सरकार के बढ़ चला बिहार कार्यक्रम को एक बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने इस कार्यक्रम के तहत मोबाइल गाड़ी पर किसी का फोटो लगाने से साफ मना कर दिया है। कोर्ट ने इस वैन से ऑडियो-विडियो के प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी है। अदालत ने सिर्फ डाटा इकट्ठा करने की छूट दी है। मामले पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
मंगलवार को चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी व जस्टिस अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने नागरिक अधिकार मंच के शिवप्रकाश राय की लोकहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रधान सचिव कोर्ट में मौजूद थे। सरकार का पक्ष रखते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने प्रचार-प्रसार के लिए एक भी गाड़ी नहीं खरीदी है। इसका जिम्मा एक एजेंसी को दिया गया है।
एजेंसी 407 गाड़ियों को ऑडियो-विडियो से लैस कर राज्य के लगभग 40 हजार गांवों में सरकार के कार्यक्रम की जानकारी और राय लेने का काम करेगी। अब तक करीब आठ हजार गांवों का दौरा किया जा चुका है। हर गाड़ी में तीन लोग रखे गए हैं। पूरे कार्यक्रम पर 14.5 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है। गांवों में जाकर विकास की जानकारी लोगों को देना एवं उनसे उनकी राय लेना कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है।
इधर, अधिवक्ता दीनू कुमार का कहना था कि सरकार की ओर से छपे ब्राउसर कुछ और बयां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी विज्ञापनों एवं पोस्टरों के नीचे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग छपा होता है, लेकिन किसी में इसका जिक्र नहीं किया गया है। उनका कहना था कि सिर्फ डाटा इकट्ठी करने के लिए 407 गाड़ियों को ऑडियो-विडियो से लैस कर भेजने की क्या जरूरत है।
वहीं, एक वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार की ओर से दी जा रही जानकारी सिर्फ डाटा इकट्ठा करने के लिए कार्यक्रम चलाया जा रहा है, सरासर गलत है। ऐसा डाटा ग्रामीण विकास विभाग ने पहले ही इकट्ठा कर चुका है। ग्रामसभा से स्वीकृत दो लाख 98 हजार 427 योजनाओं का डाटा जुटाया गया है। अब इस तरह के कार्यक्रम की कोई जरूरत नहीं है।
अदालत ने प्रधान सचिव की उपस्थिति में इस कार्यक्रम पर तीखी टिप्पणी की। कोर्ट का कहना था कि राज्य में हर ओर समस्या ही समस्या है। विभागों की हालत खस्ता है। खासकर पंचायती राज का। राज्य के स्कूलों के खस्ताहाल पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है और सिर्फ दिखावे के लिए यह सब किया जा रहा है।
अदालत ने सूचना जनसंपर्क विभाग को सिर्फ डाटा इकट्ठा करने की छूट देते हुए कहा कि न तो किसी की तस्वीर दिखाई जाए और न ही इसके पोस्टर में तस्वीर छपे। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी प्रकार का ऑडियो-विडियो का प्रदर्शन नहीं किया जाए।