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बीच शहर में शराब फैक्ट्री बांट रही बीमारी

शहर के बीचोबीच खरमनचक की फैक्ट्री में बनती है देशी शराब। पहले शराब पाउच में बेची जाती थी, लेकिन अब मशीनों से बोतल में भरी जाती है। इलाके में चल रहे चार-चार स्कूल, लोगों में बढ़ रही सांस और दमे की...

बीच शहर में शराब फैक्ट्री बांट रही बीमारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 06 Apr 2015 06:32 PM
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शहर के बीचोबीच खरमनचक की फैक्ट्री में बनती है देशी शराब। पहले शराब पाउच में बेची जाती थी, लेकिन अब मशीनों से बोतल में भरी जाती है।

इलाके में चल रहे चार-चार स्कूल, लोगों में बढ़ रही सांस और दमे की बीमारी
खरमनचक में बिना बोर्ड लगाए चलाई जा रही शराब फैक्ट्री में रेक्टीफायड स्प्रिट का प्रयोग होता है। स्प्रिट की गंध बहुत तीखी होती है। जानकार ने बताया कि फैक्ट्री में बड़े-बड़े ड्रम बने हैं। बिना सुरक्षा मानकों के स्प्रिट भरा रहता है। 40 फीसदी स्प्रिट और 60फीसदी पानी मिलाकर देशी शराब तैयार की जाती है। फरवरी में पाउच की पैकिंग बंद हो गई थी। रेक्टीफायड स्प्रिट चंपारण, नरकटियागंज और दूसरी जगहों से मंगाई जाती है। स्प्रिट के टैंकर सिर्फ रात में लाए जाते हैं और दिनभर छिपाकर खड़े रखे जाते हैं। बताते हैं कि उत्पाद विभाग इसके लिए परमिट देता है लेकिन ठेकेदार छिपाकर बिना परमिट के भी स्प्रिट मंगवाता है।

खरमनचक में जहरीली गैस से दमघोंटू माहौल, अफसरों ने आंख पर बांधी पट्टी
रिहायशी इलाके में जहां ऐसी कोई भी फैक्ट्री लगाने पर मनाही हो जिससे ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलता हो वहां क्या घनी आबादी के बीच शराब फैक्ट्री चलनी चाहिए? जब मंदिर व स्कूल-कालेज के सौ मीटर की परिधि में शराब दुकान खोलने पर रोक हो तब क्या चार-चार स्कूलों (दो लड़कियों के) के पास देशी शराब की फैक्ट्री खोलने का लाइसेंस मिलना चाहिए? अगर नहीं, तो खरमनचक मुहल्ले में कोई जाकर देखे वहां उत्पाद विभाग किस तरह नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से देशी शराब का कारखाना चला रहा है।

इस फैक्ट्री में भागलपुर व बांका के लिए दो लाख लीटर से अधिक शराब की पैकिंग होती है और इस फैक्ट्री की अल्कोहलयुक्त जहरीली गैस पूरे इलाके को बीमार बना रही है। खास यह कि संबंधित विभागों के बड़े अफसर सबकुछ जानते हुए आंखें बंद किए हुए हैं।खरमनचक मुख्य शहर का वो इलाका है जहां जिला स्कूल व जिला गल्र्स स्कूल के साथ-साथ दो और बड़े स्कूल चलते हैं। करीब 40 हजार की घनी आबादी है, बड़े-बड़े अपार्टमेंट्स बने हुए हैं। पास में दो-दो मंदिर हैं वहां उत्पाद विभाग एक दो नहीं 24 साल से शराब की फैक्ट्री चलवा रहा है।

उत्पाद विभाग के जानकार बताते हैं कि यह शराब फैक्ट्री अवैधानिक है। खरमनचक में पहले आबकारी गोदाम था। यहां से शराब की खुदरा आपूर्ति की जाती थी। यहां शराब नहीं बनती थी। 1991 में कुछ अफसरों ने देशी शराब की प्रोसेसिंग का परमिट दे दिया। एक इंस्पेक्टर की पोस्टिंग कर दी जिसका काम है शराब की गुणवत्ता पर नजर रखना।

यहां भागलपुर के लिए हर महीने 1.44 लाख लीटर और बांका के लिए 60 हजार लीटर शराब बनती है। उत्पाद अधीक्षक विजय शेखर दुबे का कहना है पूर्व के अधिकारियों ने फैक्ट्री का लाइसेंस दिया था। बीच शहर में शराब बनाने की अनुमति किन परिस्थितियों में दी गई मुङो नहीं मालूम। नए वित्तीय वर्ष में निजी कंपनी को शराब बनाने का लाइसेंस नहीं दिया गया है। पिछले चार दिनों से उत्पादन बंद है।

शहर के बीच में कहां शराब बन रही है इसकी जानकारी नहीं है। उत्पाद विभाग से बात की जाएगी। अगर लाइसेंस नियम विरुद्ध हुआ तो कार्रवाई की जाएगी। -डा. बीरेन्द्र प्रसाद यादव, डीएम

-भागलपुर-बांका के लिए यहां हर महीने बनती है दो लाख लीटर देसी शराब

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