PAK में रह रही मासूम बेटी ने भारतीय पिता से पूछा, बाबा लेने कब आओगे
मुझे आपके पास आना है...। आप कब आओगे बाबा...। कराची में रह रही तीन साल की अपनी मासूम बेटी आफिया का यह सवाल हर रोज यहां मुजफ्फरपुर में बैठे पिता आफताब को परेशान कर रहा। कराची में रह रही अपनी पत्नी...
मुझे आपके पास आना है...। आप कब आओगे बाबा...। कराची में रह रही तीन साल की अपनी मासूम बेटी आफिया का यह सवाल हर रोज यहां मुजफ्फरपुर में बैठे पिता आफताब को परेशान कर रहा।
कराची में रह रही अपनी पत्नी और बेटी को भारत नहीं ला पाने का दर्द दिल में लिए आफताब का सवाल है कि सरहदों की यह कैसी दीवार है जिसने मुझे पत्नी और बेटी से अलग कर दिया है। संपर्क का एकमात्र सहारा मोबाइल। बेटी को देख सकता हूं मगर छूकर महसूस नहीं सकता...।
दिसम्बर 2012 में हुआ था निकाह
मालीघाट निवासी आफताब की शादी कराची में रह रही अपनी फूफी की बेटी से दिसम्बर 2012 में हुई। आफताब कहते हैं कि फूफा के मरने के बाद मैंने रिश्तों को जिंदा रखने के लिए फूफी की बेटी शाहीना से शादी की, लेकिन सरहद पर तनाव की वजह से आज मैं अपनी ही बेटी और पत्नी से अलग हूं। 2013 में वीजा मिलने पर पहली बार पत्नी शाहीना कौसर हिन्दुस्तान आयी। फिर हर बार वीजा बढ़ाते रहे। एलटीवी (लांग टर्म वीजा) के लिए आवेदन दिया। इसी बीच सास की तबीयत खराब होने पर 22 फरवरी 2016 को पत्नी बेटी को लेकर मायके गई। 10 जुलाई को भारत आने के लिए फिर वीजा का आवेदन पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में दिया। पहले दौड़ाते रहे। चार महीने बाद पांच अक्टूबर को हालात का हवाला देकर पासपोर्ट वापस कर दिया गया।
मेरी बेटी का क्या कसूर...
उधर, कराची में रह रही शाहीना कहती है कि सरहदों की लड़ाई में मेरी बेटी का क्या कसूर है। उसे तो यह भी नहीं पता कि वह भारत में है या पाकिस्तान में है। मेरी ससुराल और उसका घर तो भारत ही है जहां उसके बाबा रहते हैं।
बेटी को बाप से मिलने पर रोक क्यों
बाप-बेटी को मिलाने के लिए सोशल साइट्स पर भी आवाज बुलंद की जा रही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की उस पहल का हवाला दिया जा रहा है जिसमें जोधपुर के लड़के से शादी करने आ रही कराची की लड़की को वीजा दिलाने में उन्होंने मदद की थी। आफताब के लिए राकेश, रूहान समेत कई लोग फेसबुक पर लिखते हैं कि शादी के लिए वीजा मिल सकता है फिर एक बेटी अपने पिता के पास क्यों नहीं आ सकती। इस पर पाबंदी क्यों?