फोटो गैलरी

Hindi Newsगलत आंकड़ों से बाजार में आ सकता है उतार-चढ़ाव : उपराष्ट्रपति

गलत आंकड़ों से बाजार में आ सकता है उतार-चढ़ाव : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि गलत आंकड़ों और उनकी गलत व्याख्या से बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसका अर्थव्यवस्था पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। पटना में आद्री के रजत जयंती समारोह में भारत में...

गलत आंकड़ों से बाजार में आ सकता है उतार-चढ़ाव : उपराष्ट्रपति
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 24 Jun 2016 04:59 PM
ऐप पर पढ़ें

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि गलत आंकड़ों और उनकी गलत व्याख्या से बाजार में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसका अर्थव्यवस्था पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। पटना में आद्री के रजत जयंती समारोह में भारत में सामाजिक सांख्यिकी विषय पर आयोजित चार दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें आंकड़ों के मानकों को बनाए रखने और सांख्यिकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होगा। सर्वप्रथम हमें सरकारी आंकड़ों और इनके विश्लेषण में खामियों को चिह्नित करने और इन्हें दूर करने की आवश्यकता है। 
दिए कई उदाहरण 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में सार्वजनिक रूप से संग्रहित सामाजिक आंकड़ों की आलोचना केलव विदेशी कार्यकर्ताओं तक ही सीमित नहीं है। 2011 के जुलाई में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने सरकारी एजेंसियों की ओर से संग्रहित आंकड़ों की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी। कुछ महीने बाद तत्कालीन वाणिज्य सचिव ने स्वीकार किया था कि 2011 के अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में भारत के निर्यात के आंकड़ों में 9.4 बिलियन अमरीकी डॉलर अधिक दिखाई गई थी। डाटा इंट्री में हुई त्रुटि और गलत वर्गीकरण के कारण ऐसा हुआ था। इसी प्रकार तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के पास घरेलू खपत के आंकड़ों का आकलन कमतर है, जिससे गरीबी की पहचान भी प्रभावित होती है। 

अधिकांश आंकड़ों में है समस्या 
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि जब लैंगिक भेदभाव, असमानता और गरीबी जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के मापने की बात आती है तो भारतीय सरकारी आंकड़ों की आलोचना सही प्रतीत होती है। सेवा क्षेत्र, असंगठित क्षेत्र और  बेरोजगारी के आंकड़ों से संबंधित मानकों को मापने की आलोचना की जाती है। वर्ष 2001 में रंगराजन रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर 2005 में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग का गठन किया गया था। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 2009 में एक नई आंकड़ा नीति और वर्ष 2012 में राष्ट्रीय आंकड़ा सहभाजन उपलब्धता नीति जारी की थी। बावजूद हमारे अधिकांश आंकड़ों के संबंध में समस्याएं बनी हुईं हैं।  

देश में जातिगत जनगणना जरूरी : नीतीश
आद्री के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए। आजादी के पहले जातिगत जनगणना होती थी, लेकिन 1931 के बाद से यह बंद हो गया। आज अपनी जाति की संख्या को लेकर लोग अपने-अपने आंकड़े प्रस्तुत करते हैं। जिनसे भी मिलें, वे कहेंगे हमारी जाति की आबादी इतनी है। 

सामाजिक-आर्थिक जनगणना की रिपोर्ट प्रकाशित हों 
सीएम ने कहा कि एसी-एसटी की जनगणना होती है। लेकिन अन्य जातियां, ओवीसी और सामान्य वर्ग की जनगणना नहीं होती है। इससे अलग सामाजिक आर्थिक जनगणना तो हुई, पर इसका प्रकाशन अभी तक नहीं हुआ। चाहे जिस प्रकार से भी इसके आंकड़े एकत्र किए गए हों, उनका प्रकाशन जल्द से जल्द होना चाहिए। यह कोई जातिवाद की वकालत नहीं है। बल्कि उसे समाप्त करने के लिए भी यह जरूरी है। इसलिए प्रकाशन तत्काल होना चाहिए। 

कैलोरी या आमदनी के आधार पर गरीबी मापना सही नहीं
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि गरीबी को मापने का का क्या तरीका होगा। इस पर हमेशा बात होती है। अभी कैलोरी या व्यक्ति की आमदनी पर गरीबी मापी जाती है। यह सही नहीं है। इसको मापने का ऐसा तरीका विकसित होना चाहिए, जिसमें कई चीजों का समावेश हो। कैलोरी जितना शरीर को चाहिए, उतना ही मिल जाए, वही पर्याप्त नहीं है। इसी प्रकार कोई एक दिन में निश्चित पैसा कमा लेता है, वही एकमात्र तरीका गरीबी की पहचान की नहीं है। अगर हम यह दृष्टिकोण रखेंगे, तो गरीबी से ऊपर उठाने के लिए जो मानक होंगे, उसका मूल्यांकन करेंगे तो छोटी चीजों पर ही कह देंगे कि अब यह गरीब नहीं रहे। 

लोगों का सम्मानजक जीवन जरूरी 
नीतीश कुमार ने कहा कि लोगों का सम्मानजनक जीवन जरूरी है। आज जो आंकड़े हैं, न तो ठीक से एकत्र किये जाते हैं और न ही उनके मानक सहीं हैं। आंकड़ों का संग्रहण बेहतर हो, गुणवत्ता हो इस पर बात होनी चाहिए। हमलोगों को जब जनता ने काम करने का मौका दिया तो 12.5 फीसदी बच्चे स्कूलों से बाहर थे। उसे ठीक किया गया। हालांकि गुणवत्ता शिक्षा अभी चुनौती बनी हुई है। लेकिन स्कूल जाना भी एक प्रारंभिक शिक्षा है। आंकड़े हमारे पास थे, इसलिए इस कार्य को किया गया। आंकड़ों से विकास योजनाओं में मदद मिलती है। लेकिन हम जिन आंकड़ों का उपयोग करते हैं, उसे एकत्र करने के तरीकों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता। 

बिहार के सामाजिक क्षेत्र में काम करने का दायरा विशाल : राज्यपाल
राज्यपाल रामनाथ कोविन्द ने कहा है कि सामाजिक सांख्यिकी का एजेंडा विशाल है। खासकर बिहार के संदर्भ में  देखें तो सामाजिक क्षेत्र में काम करने का दायरा बहुत अधिक है। लेकिन सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले शोधार्थी अकादमिक तौर पर बेहतर काम करते हैं पर वास्तविकता में वह अपनी जिम्मेवारी नहीं निभा पाते हैं।  

एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह  में राज्यपाल ने कहा कि बिहार में विकास की गुंजाइश काफी अधिक है। आद्री जिस तरह से सामाजिक व सांख्यिकी के क्षेत्र में काम कर रहा है, वह काबिल-ए-तारीफ है। स्थापना काल के शुरुआती वर्षों में आद्री का सफर बेहद कठिन रहा होगा। अब इसने 25 वर्षों का सफर तय कर लिया है। समाज निर्माण में यह और सहायक हो, यह कामना है। 
स्वागत भाषण में आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने कहा कि 25वें रजत जयंती समारोह के मौके पर विकास के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इस बार सामाजिक सांख्यिकी पर चर्चा हो रही है। तीसरा सेमिनार बिहार-झारखंड पर के्द्रिरत होगा। 

बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से बिहार में चलाए जा रहे कार्यक्रमों की उप निदेशक उषा किरण त्रिगोपुला ने कहा कि फाउंडेशन मूल रूप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहा है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में काम हो रहा है। यूनिसेफ के भारत में प्रतिनिधि लुईस जार्जस अर्सेनॉल्ट ने कहा कहा कि स्थाई विकास के लिए सामाजिक क्षेत्र पर काम होना जरूरी है। 

समारोह में उपराष्ट्रपति मो हामिद अंसारी ने आद्री के निदेशक प्रभात पी घोष को सम्मानित किया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, सहकारिता मंत्री आलोक मेहता, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, जदयू सांसद केसी त्यागी व हरिवंश, पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, डीजीपी पीके ठाकुर, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, सीएम के सचिव चंचल कुमार व अतीश चंद्रा सहित शहर के जाने-माने बुद्विजीवी, गणमान्य व्यक्ति व पुलिस-प्रशासन के आलाधिकारी मौजूद थे।  

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें