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बनारस के डीएलडब्ल्यू की तर्ज पर विकसित होगा मढ़ौरा रेल फैक्ट्री

मढ़ौरा डीजल रेल इंजन फैक्ट्री के निर्माण के लिए करार होने के साथ ही इसे बनारस के डीएलडब्ल्यू की तर्ज पर विकसित होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले दो दशक में औद्योगिक मानचित्र के नक्शे से मिट चुकी...

बनारस के डीएलडब्ल्यू की तर्ज पर विकसित होगा मढ़ौरा रेल फैक्ट्री
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 01 Dec 2015 07:20 PM
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मढ़ौरा डीजल रेल इंजन फैक्ट्री के निर्माण के लिए करार होने के साथ ही इसे बनारस के डीएलडब्ल्यू की तर्ज पर विकसित होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले दो दशक में औद्योगिक मानचित्र के नक्शे से मिट चुकी इस ‘औद्योगिक नगरी’ के ताल पुरैना में रेल इंजन कारखाना खुलने से इसके पुनर्जीवित होने की आस एक बार फिर जगी है।

यहां के करीब 60 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद भी की जा रही है। डीएलडब्ल्यू से कई मामलों में बेहतर और बड़ी बनने वाली इस फैक्ट्री में करीब 15 हजार लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिल सकता है, जबकि करीब 45 हजार लोगों को इस फैक्ट्री के खुलने के कारण परोक्ष रूप कोई न कोई रोजगार मिलने की संभावना है।
 
लगेंगी कई सहयोगी फैक्ट्रियां
मढ़ौरा में डीजल रेल इंजन कारखाना खुलने के बाद यहां उसकी कई सहयोगी फैक्ट्रियां भी खुलेंगी, जो मढ़ौरा डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री के लिए आवश्यक पार्ट-पुर्जे तैयार करेंगी। बनारस के आलावा जहां भी इस प्रकार का कारखाना है, वहां कारखाने को मोटर, इंजन, टर्बो, नट, स्प्रिंग, बुफर आदि का उत्पादन छोटे सहयोगी कारखानों में कराना पड़ती है। ऐसे में यहां भी इंजन कारखाना खुलने के बाद उक्त सामग्रियों के उत्पादन के लिए कई सहयोगी फैक्ट्रियों का खुलना तय माना जा रहा है।
 
स्कूल, अस्पताल व स्टेडियम का होगा निर्माण
रेल इंजन कारखाना खुलने के बाद यहां काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के बच्चों के लिए केन्द्रीय विद्यालय के साथ-साथ बेहतर सुविधाओं वाला अस्पताल, आवासीय कॉलोनी, खेल मैदान व स्टेडियम, मार्केट कम्पलेक्स आदि का निर्माण किया जायेगा। इस कारखाने के लगने से मढ़ौरा के विकास के द्वार तो खुलेंगे ही, यहां एक नयी टाउनशिप भी विकसित हो सकेगी।
 
हर वर्ष देश में 100 व विदेशों में 50 इंजन बिकेंगे
मढ़ौरा में विदेशी तकनीक से प्रति वर्ष करीब 150 की संख्या में बनने वाले हाई स्पीड की उच्च क्षमता वाले अत्याधुनिक डीजल रेल इंजन की बिक्री देश के साथ-साथ विदेशों में भी की जायेगी। इस कारखाने में प्रतिवर्ष करीब 150 इंजन तैयार करने का लक्ष्य है, जिसमें करार के मुताबिक 100 इंजन हर साल भारतीय रेल खरीदेगा। शेष 50 डीजल इंजन को फैक्ट्री विदेशों में निर्यात कर सकेगी।
 
रेलवे को अधिगृहीत जमीन पर लेना है कब्जा
रेल इंजन कारखाने के निर्माण का टेंडर हो जाने के बाद अब रेलवे को मढ़ौरा के तालपुरैना में अधिगृहीत करीब 226 एकड़ जमीन पर कब्जा लेकर अमेरिकी निर्माणकर्ता कंपनी जीई को सौंपना होगा। हालांकि इस जमीन का कागजात जिला भूअर्जन विभाग रेलवे के अधिकारियों को पहले ही सौंप चुका है।

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