सारण के चुनावी अखाड़े से पहली बार लालू परिवार आउट
2015 के विधानसभा चुनाव में सारण के अखाड़े से लालू परिवार ‘आउट’ हो गया है। ऐसा पिछले करीब 12 वर्षों में पहली बार हुआ है। 1977 से अब तक के सारण के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 1990 से...
2015 के विधानसभा चुनाव में सारण के अखाड़े से लालू परिवार ‘आउट’ हो गया है। ऐसा पिछले करीब 12 वर्षों में पहली बार हुआ है। 1977 से अब तक के सारण के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो 1990 से 2000 के मुख्यमंत्रित्व काल को छोड़ दें तो यह पहला मौका है कि लालू-राबड़ी परिवार का कोई सदस्य यहां के चुनावी अखाड़े में नहीं उतर रहा है। बहुचर्चित चारा घोटाले में लालू प्रसाद के सजायाफ्ता होने पर नवंबर 2013 में संसद की सदस्यता छिनने के बाद उनके चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लग गई।
लिहाजा 2014 के लोकसभा चुनावी समर में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को अपनी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए यहां के चुनावी अखाड़े में उतारा था। हालांकि मोदी लहर में यहां के मतदाताओं ने उन्हें खारिज कर दिया। वैसे जिले में राबड़ी की यह लगातार दूसरी हार थी। इसके पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में भी जिले के सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से राबड़ी की करारी हार हुई थी। लिहाजा राबड़ी की लगातार दो हार से सकते में आये राजद सुप्रीमो ने अपने दोनों बेटों में किसी को सारण जिले के चुनावी अखाड़े में पहली बार उतारने से परहेज किया।
सोनुपर में लोस चुनाव में भी मामूली बढ़त देख किया किनारा: चुनावी सरगर्मी शुरू होने के पहले कयास लगाया जा रहा था कि लालू प्रसाद अपनी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए अपने एक बेटे को सोनपुर के चुनावी अखाड़े में उतार सकते हैं। इसके पीछे एक तर्क तो यह था कि लालू ने यहां से 1980 और 1985 का लगातार दो चुनाव जीता था। वहीं दूसरा तर्क यह था कि एक ही जिले (वैशाली) में दोनों बेटों को एक साथ उतारने से शायद परहेज करेंगे। लेकिन जानकार बताते हैं कि 2010 में राबड़ी के यहां से विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद पिछले साल लोकसभा चुनाव में भी उन्हें यहां से दो हजार से भी कम मतों से बढ़त मिली थी। इसलिए उन्होंने बेटे के राजनीतिक भविष्य के लिए सोनपुर का चयन कर कोई रिस्क लेना उचित नहीं समझा।
हालांकि 2010 के चुनाव में राबड़ी देवी को सोनपुर के साथ-साथ वैशाली के राघोपुर से भी पराजित होना पड़ा था, लेकिन उनके बेटे तेजस्वी यादव को वहीं से पहली बार चुनावी अखाड़े में उतारने का निर्णय लिया गया है। लालू प्रसाद ने सारण को 1977 से ही अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाया है। गोपालगंज का निवासी होने व पटना में छात्र नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने के बावजूद वे महज 29 साल की उम्र में ही पहली बार सारण के लोकसभा चुनावी अखाड़े में उतरे थे। तब जेपी लहर में लालू प्रसाद चुनाव जीत पहली बार संसद पहुंच गये। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सारण से रिकार्ड: चार बार सांसद बने और संसद की सदस्यता छिनने तक यहीं का सांसद रहे। हालांकि बीच में वे लोकसभा का चुनाव दो बार हारे भी। सारण के ही सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में भी लगातार दो चुनाव जीते।
लालू कब-कब लड़े सारण से
1977 (लोकसभा-जीते), 1980 (लोकसभा-हारे), 1980 (सोनपुर विधानसभा-जीते), 1984 (लोकसभा-हारे), 1985 (सोनपुर विधानसभा-जीते), 1989 (लोकसभा-जीते), (1990 से 2000 तक लालू-राबड़ी के मुख्यमंत्रित्व काल में गैप), 2004 (लोकसभा-जीते), 2009 (लोकसभा-जीते)
राबड़ी कब-कब लड़ीं सारण से
2010 (सोनपुर विधानसभा-हार), 2014 (लोकसभा-हार)