फोटो गैलरी

Hindi Newsपहले राबड़ी, अब नीतीश ने निषादों को छला: भाजपा

पहले राबड़ी, अब नीतीश ने निषादों को छला: भाजपा

पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा सांसद अजय निषाद व विधायक रेणु देवी ने अपने संयुक्त वक्तव्य में आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के लिए बिहार का निषाद समाज हमेशा...

पहले राबड़ी, अब नीतीश ने निषादों को छला: भाजपा
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 07 Sep 2015 10:38 AM
ऐप पर पढ़ें

पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा सांसद अजय निषाद व विधायक रेणु देवी ने अपने संयुक्त वक्तव्य में आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के लिए बिहार का निषाद समाज हमेशा ‘फुटबॉल’ की तरह रहा है। इसे चुनावी लाभ के लिए कभी इधर तो कभी उधर ‘किक’ मारा गया है।

भाजपा नेताओं ने कहा कि नौ साल पहले जिस प्रकार राबड़ी देवी ने निषादों को ठगा था, ठीक उसी प्रकार एक बार फिर नीतीश कुमार ने भी छलने का काम किया है। आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने निषादों को आदिवासी में शामिल करने की अनुशंसा कर इन्हें अब तक मिल रहे आरक्षण के लाभ से भी वंचित करने की साजिश की है।

नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के ऐन मौके पर निषादों पर लाठी बरसाने वाले नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक में ठीक उसी प्रकार उन्हें आदिवासी यानी अजजा में शामिल करने की अनुशंसा का निर्णय लिया है, जिस प्रकार राबड़ी देवी ने अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक में दो नवंबर 2004 को नोनिया, बिंद, मल्लाह, कमार (लोहार और कर्मकार), बढ़ई, तुरहा, राजभर, चन्द्रवंशी (कहार, कर्मकार) को दलित यानी अनुसूचित जाति में अधिसूचित करने की अनुशंसा का निर्णय लिया था।
 
इन्होंने कहा कि दस साल तक केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही, नीतीश कुमार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मगर इन तमाम जातियों को अजा में शामिल कराने की कोई पहल नहीं हुई। आरोप लगाया कि तीन महीने पहले आठ जून 2015 को आधी-अधूरी रिपोर्ट के साथ जिन मल्लाहों को नीतीश कुमार ने दलित का दर्जा देने की अनुशंसा किया, उन्हीं को अब आदिवासी बनाने का प्रस्ताव कर रहे हैं। हकीकत है कि अनुसूचित जाति या जनजाति में शामिल करने का राज्य को कोई अधिकार ही नहीं है। इसके लिए तो संविधान में संशोधन करना पड़ता है, जो केन्द्र सरकार ही कर सकती है।

राज्य सरकार का निर्णय असंवैधानिक
पटना।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉं. जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि मल्लाह, निषाद व नोनिया को अनुसूचित जाति में शामिल करने का निर्णय असंवैधानिक है। राज्य सरकार चुनाव नजदीक आते ही लोकलुभावन फैसला ले रही है। यह सिर्फ चुनावी स्टंट है। अगर सरकार इन जातियों के लिए चिंतित थी तो इस प्रस्ताव को बहुत पहले ही कैबिनेट से पारित करा लेती। अनुसूचित जनजाति में किसी को शामिल करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को है न कि राज्य सरकार को।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें