फोटो गैलरी

Hindi Newsबिहार में दामन छोड़ने-पकड़ने का चल रहा खेल

बिहार में दामन छोड़ने-पकड़ने का चल रहा खेल

उधर महागठबंधन और इधर नेताओं का पलायन। पिछले साल लोकसभा चुनाव में राजद, जदयू व कांग्रेस की करारी हार के बाद सूबे के दस विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव के समय राजद, जदयू व कांग्रेस महागठबंधन ने आकार...

बिहार में दामन छोड़ने-पकड़ने का चल रहा खेल
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 05 Aug 2015 10:14 AM
ऐप पर पढ़ें

उधर महागठबंधन और इधर नेताओं का पलायन। पिछले साल लोकसभा चुनाव में राजद, जदयू व कांग्रेस की करारी हार के बाद सूबे के दस विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव के समय राजद, जदयू व कांग्रेस महागठबंधन ने आकार लिया। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जहां एक ओर महागठबंधन की मजबूती के लिए कवायद चल रही है, वहीं दूसरी ओर इसमें शामिल नेताओं के पलायन का सिलसिला थम नहीं रहा है।

सारण जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों में से 2010 के विधानसभा चुनाव में उतरने वाले राजद, जदयू व कांग्रेस के चार प्रत्याशियों को महागठबंधन नहीं भाया है। ये चारों पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे। इनमें दो पूर्व विधायक भी रहे हैं। इनमें सबसे ताजा नाम है मढ़ौरा के पूर्व विधायक लालबाबू राय का। वे आगामी सात अगस्त को पटना में भाजपा कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय उर्फ मंटू की उपस्थिति में बीजेपी में शामिल होंगे। मढ़ौरा से पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने जदयू से लड़ा था। हालांकि उन्हें राजद प्रत्याशी जीतेंद्र राय से हार झेलनी पड़ी थी। इसके पूर्व तरैया से पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाले मशरक के तीन बार विधायक रह चुके तारकेश्वर सिंह भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। नये परिसीमन में मशरक के विलोपित होने के बाद वे तरैया के चुनावी अखाड़े में उतरे थे। इस बार वे बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। बनियापुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्व जदयू प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार ओझा भी ‘हम’ का दामन थाम चुके हैं। ओझा 2010 के चुनाव में करीब साढ़े तीन हजार मतों से पराजित हुए थे। वहीं एकमा विधानसभा क्षेत्र से पिछला चुनाव राजद के टिकट पर लड़ने वाले कामेश्वर कुमार सिंह उर्फ मुन्ना भी राजद छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। हालांकि पिछले चुनाव में उनकी बड़ी हार हुई थी।

मांझी में अभी शांति-शांति: मांझी विस क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में पहले व दूसरे स्थान पर रहने वाले पूर्व मंत्री व जदयू विधायक गौतम सिंह और राजद नेता हेमनारायण सिंह अब भी अपने-अपने दल में बने हुए हैं। हालांकि हेमनारायण सिंह इस बार चुनाव लड़ने के मुद्दे पर अभी खामोश दिख रहे हैं।

अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी बगावत की आशंका
परसा विधानसभा क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में पहले व दूसरे स्थान पर रहने वाले क्रमश: जदयू विधायक छोटेलाल राय और पूर्व मंत्री व राजद नेताचंद्रिका राय अब भी अपने-अपने दल में बने हुए हैं। दोनों इस आस में हैं कि उन्हें ही महागठबंधन का टिकट मिलेगा, लेकिन हर कोई जानता है कि संभव तो एक को ही होगा। इसी तरह अमनौर विधानसभा क्षेत्र में पिछले विस चुनाव में पहले व दूसरे स्थान पर रहने वाले क्रमश: जदयू विधायक कृष्ण कुमार उर्फ मंटू सिंह और राजद नेता सुनील राय अब भी अपने-अपने दल में बने हुए हैं। तरैया विधानसभा क्षेत्र में तीसरे स्थान पर रहने वाले पूर्व प्रत्याशी व राजद नेता मुद्रिका प्रसाद राय और पिछला चुनाव अमनौर से लड़ने वाले जदयू के प्रदेश महासचिव शैलेंद्र प्रताप सिंह अब भी अपने-अपने दल में बने हुए हैं। दोनों इस बार महागठबंधन का उम्मीदवार बनने को आशान्वित हैं। यहां कांग्रेस की भी दावेदारी है, लेकिन टिकट तो किसी एक को ही मिलेगा। इसी तरह छपरा विधानसभा क्षेत्र में पिछले साल हुए उपचुनाव में भाजपा में बगावत का फायदा उठाते हुए राजद उम्मीदवार रणधीर कुमार सिंह ने धमाकेदार अंदाज में जीत दर्ज की थी। लेकिन लगातार पंद्रह वर्षों तक यहां के विधायक रहे पूर्व मंत्री उदित राय ने टिकट की आस अब भी नहीं छोड़ी है। गड़खा विधानसभा क्षेत्र में भी पिछले कई दशकों से एक दूसरे से टकराते आ रहे पूर्व मंत्री व राजद नेता मुनेश्वर चौधरी और पूर्व विधायक व कांग्रेस नेता रघुनंदन मांझी अब भी अपने-अपने दल में बने हुए हैं। पिछले विस चुनाव में चौधरी दूसरे तो मांझी तीसरे स्थान पर रहे थे।

पूर्व मंत्री समेत कई अन्य ने भी थामा एनडीए का दामन
महागठबंधन के आकार लेने के बाद कई और पूर्व विधानसभा प्रत्याशियों ने भी जदयू छोड़ एनडीए का दामन थाम लिया है। इनमें मांझी के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री प्रो रवींद्रनाथ मिश्रा ‘हम’ की शरण में आ चुके हैं। इसी तरह मशरक के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रहे उपेंद्र सिंह भाजपा में वापस लौट आये हैं। मशरक के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी व जदयू के पूर्व प्रदेशमहासचिव कामेश्वर सिंह भी अपने समर्थकों के साथ जदयू छोड़ने की तैयारी में हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि वे एनडीए की ही सहयोगी लोजपा में शामिल होंगे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें