फोटो गैलरी

Hindi Newsबिहार की राजनीति में बड़े-बड़ों ने खाई मात

बिहार की राजनीति में बड़े-बड़ों ने खाई मात

राजनीतिक अखाड़े में सिर्फ राजनीति के धुरंधर ही किस्मत नहीं आजमाते हैं बल्कि अलग-अलग पेशों में मुकाम हासिल कर चुके शख्सियतों की भी दिलचस्पी राजनीति में खूब रही है। चाहे वह वकील रहे हों या डॉंक्टर।...

बिहार की राजनीति में बड़े-बड़ों ने खाई मात
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 30 May 2015 02:51 PM
ऐप पर पढ़ें

राजनीतिक अखाड़े में सिर्फ राजनीति के धुरंधर ही किस्मत नहीं आजमाते हैं बल्कि अलग-अलग पेशों में मुकाम हासिल कर चुके शख्सियतों की भी दिलचस्पी राजनीति में खूब रही है। चाहे वह वकील रहे हों या डॉंक्टर। फिल्म, कारोबार और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके लोगों ने भी बिहार की राजनीति में पारी खलने की कोशिश की। यहां तक कि नौकरशाही से भी राजनीति में कइयों ने कदम रखा। पर अपने पेशे में वे जिस तरह से चमके वैसी चमक राजनीति में उन्हें नसीब नहीं हुई।

बिहार की सियासत में कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने पुराने पेशे को छोड़कर राजनीति में कदम रखा। वकालत, कारोबार, फिल्म, डॉंक्टरी, नौकरशाही और शिक्षा के क्षेत्र से ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा रही है। इनमें भाजपा नेता और जानेमाने वकील रविशंकर प्रसाद दूसरी बार केन्द्रीय मंत्री जरुर बने लेकिन राजनीति में वह धमक नहीं बना पाए जो उन्होंने वकालत के पेशे में हासिल की। इसी तरह एक बड़ा नाम डॉक्टर सीपी ठाकुर का है। चिकित्सक के तौर पर विख्यात सीपी ठाकुर को कालाजार पर उनके योगदान के लिए देश-विदेश तक में जाना जाता है। राजनीति में उतरने के बाद वे सांसद और केन्द्रीय मंत्री भी बने लेकिन दांवपेच में माहिर नहीं माने जानेवाले डॉंक्टर ठाकुर राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी नहीं बन पाए। ऐसी ही स्थिति कुछ शॉटगन के नाम से मशहूर और अपने जमाने के बड़े फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा की है। कई दफे राज्यसभा में रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा फिलहाल पटना साहिब से भाजपा के सांसद जरुर हैं लेकिन फिल्मों की तरह राजनीति के पर्दे पर वह हीरो नहीं बन पाए। डॉं. गोपाल प्रसाद सिन्हा और डॉं. एसएन आर्या भी राजनीतिक जगत में कुछ खास हासिल नहीं कर पाए।

मशहूर फिल्मकार प्रकाश झा संसद में पहुंचने के लिए राजनीति के अखाड़े में उतरे जरुर पर जीत उन्हें नसीब नहीं हुई। साहित्य के क्षेत्र में स्थापित प्रेम कुमार मणी भी राजनीति के पन्ने पर बड़ी कहानी दर्ज नहीं कर पाए। कारोबार जगत में बड़ा नाम कमा चुके आरके सिन्हा काफी मशक्कत के बाद राज्यसभा में पहुंचे पर जिस तरह से उनका कारोबार देश-विदेश में फैला वैसा करिश्मा वे राजनीति में नहीं कर पाए हैं। जानेमाने बिल्डर अनिल शर्मा भी राजनीति में किस्मत आजमाने पिछले लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे। लोकसभा का चुनाव हारने के बाद उन्होंने राज्यसभा में जाने की भी कोशिश की पर उन्हें अपने बिजनेस की तरह यहां कामयाबी नहीं मिली। नौकरशाह भी राजनीति में खुद को उतरने से नहीं रोक पाए हैं। बिहार में कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने नौकरी के बाद पॉलिटिक्स में आजमाया। केपी रमैय्या, पंचमलाल और राजकुमार सिंह के नाम इस कड़ी में शामिल हैं। केन्द्रीय गृह सचिव रहे राजकुमार सिंह संसद में जरुर पहुंच गए पर केपी रमैय्या और पंचमलाल नाकाम रहे। इस कड़ी में एक और महत्वपूर्ण नाम है आरसीपी सिंह का। आईएएस की नौकरी छोड़कर उन्होंने राजनीति की राह पकड़ी। राजनीति के अखाड़े में दांवपेच आजमाने वालों कई और नाम हैं पर जिस उंचाई को उन्होंने अपने पेशे या नौकरी में हासिल की उस उंचाई तक शायद वे राजनीति में नहीं पहुंच पाए। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें